गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी थे। उन्हें विद्वानों का संरक्षक भी माना जाता है । वे एक महान योद्धा तो थे ही, उसके साथ वे एक महान कवि-लेखक भी थे। उनके दरबार में कुल 52 कवि और लेखक मौजूद हुआ करते थे। वह संस्कृत के अलावा अनेको भाषाओं की जानकारी भी रखते थे। कई सारे ग्रंथों की रचना भी गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा की गई थी। जो समाज को बहुत प्रभावित करती है। ‘खालसा पंथ’ की स्थापना भी की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। वो इन्ही के द्वारा किया गया था। गुरु गोविंद साहब ने सिखों के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ’ साहिब की स्थापना भी की थी ,वे मधुर आवाज के भी धनी माने जाते थे। इसके साथ ही सहनशीलता और सादगी से भरे रहते थे। गरीबों के हक़ के लिये वे हमेशा लड़े और सबको बराबर का हक देने को कहा करते थे और भाईचारे से रहने का संदेश भी देते थे।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – इस साल 2023 में गुरु गोबिंद सिंह जयंती 14 जनवरी 2023 को यानि शनिवार को मनाई जाएगी। इसी के साथ सिक्ख समाज के लोग लोहड़ी पर्व भी मनाएंगे। भारत देश के अलावा सिक्ख समाज के लोग जिस देश में रहते है वहा भी ये पर्व बहुत हर्सोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस साल 2023 में गुरु गोविंद सिंह की 356 वीं जन्म वर्षगांठ मनाई जाएगी।
गुरु गोविंद सिंह जयंती 2023 – जनवरी 14, 2023 शनिवार, को है।
सप्तमी की तिथि प्रारम्भ होगी – जनवरी 13, 2023 को शाम 06:17 से
सप्तमी की तिथि समाप्त होगी – जनवरी 14, 2023 को शाम 07:22 को
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को बिहार राज्य के पटना शहर में श्री गुरु तेग बहादुर के यहां हुआ था। जो सिख समुदाय के नौवें गुरु माने जाते थे। उनकी माता जी का नाम गुजरी देवी था। बचपन में इनका नाम गोविंदराय था। इन्होने अपने जीवन के शुरुआती 4 वर्ष उन्होंने पटना शहर के घर में ही बिताए, जहां पर उनका जन्म हुआ था।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – बाद में 1670 में उनका परिवार पंजाब के आनंदपुर साहब नामक स्थान पर रहने के लिए आ गया था। जो पूर्व में चक्क नानकी नाम से जाना जाता था। यह हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा की शुरुआत चक्क नानकी से ही प्रारम्भ हुई थी। एक योद्धा बनने के लिये जिन कला की जरूरत पड़ती है वो कला उन्होंने यही से सीखी थीं । उसके साथ ही संस्कृत और फारसी भाषा का ज्ञान भी प्राप्त किया था।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – एक बार कश्मीरी पंडित लोग अपनी फ़रियाद लेकर श्री गुरु तेग बहादुर के दरबार में पहुंचे । दरबार में पंडितों ने जबरन अपने धर्म को परिवर्तन करके मुसलमान बनाए जाने की बात कही। साथ ही ये भी कहा गया है अगर धर्म परिवर्तन नहीं किया तो हमें अपने प्राणों से हाथ धोने पड़ेंगे। हो कोई ऐसा महापुरुष, जो इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करे और अपना बलिदान दे सके, तो सभी का धर्म परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – उस समय गुरु गोविंद सिंह जी केवल नौ वर्ष के थे। उन्होंने अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी से कहा की आपसे बड़ा महापुरुष कौन हो सकता है। कश्मीरी पण्डितों की फरियाद को सुनकर गुरु तेग बहादुर ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के विरुद्ध खुद का बलिदान दे दिया। और लोगों को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए स्वयं इस्लाम न स्वीकारने की वजह से 11 नवम्बर 1675 को औरंगज़ेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सभी आम लोगों के सामने उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सिर धड़ से अलग कर दिया था । इसके बाद ही 29 मार्च 1676 को श्री गोविन्द सिंह जी को सिखों का दसवां गुरु घोषित किया गया था।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – गुरु गोविंद सिंह जी का पहला विवाह 10 वर्ष की उम्र में ही हो गया था। 21 जून, 1677 के दिन माता जीतो के साथ हुआ था। आनन्दपुर से केवल 10 किलोमीटर दूर बसंतगढ़ में विवाह उनका सम्पन्न हुआ था। गुरु गोविंद सिंह और माता जीतो के 3 पुत्रो ने जन्म लिया जिनके नाम जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह थे। फिर 17 वर्ष की उम्र में दूसरा विवाह माता सुन्दरी के साथ 4 अप्रैल, 1684 को वही आनन्दपुर में हुआ। उनका एक पुत्र हुआ, जिसका नाम अजित सिंह था। उसके बाद 33 वर्ष की उम्र में तीसरा विवाह 15 अप्रैल, 1700 में माता साहिब देवन के साथ संपन्न हुआ। उनकी कोई सन्तान नहीं थी, पर सिख पन्थ के पन्नों और गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन में उनका भी बहुत प्रभावशाली स्थान रहा था। इस तरह से गुरु गोविंद जी के कुल 3 विवाह संपन्न हुए थे।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – सन 1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोविंद साहब ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। जिसके अंतर्गत सिख धर्म के अनुयायी विधिवत् रूप से दीक्षा प्राप्त करते है। सिख समुदाय की एक सभा में उन्होंने सबके सामने पूछा की – “कौन अपने सर का बलिदान देना चाहता है” उसी समय एक स्वयंसेवक इस बात के लिए राज़ी हो गया और गुरु गोविंद सिंह उसे तम्बू के अंदर ले गए और कुछ देर बाद वापस लौटे तब एक खून लगे हुए तलवार के साथ थे ।गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – गुरु ने दोबारा उस भीड़ के लोगों से वही सवाल दोबारा पूछा और उसी प्रकार एक और व्यक्ति और राज़ी हुआ और उनके साथ गया, पर वे तम्बू से जब बाहर निकले तो खून से सनी हुई तलवार उनके हाथ में यही । उसी तरह पांचवा स्वयंसेवक जब उनके साथ तम्बू के भीतर गया और कुछ देर बाद गुरु गोविंद सिंह जी सभी जीवित सेवकों के साथ वापस तम्बू के बहार लौटे तो उन्होंने उन्हें पंज प्यारे या पहले खालसा का नाम दिया था।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – उसके बाद गुरु गोविंद जी ने एक लोहे का बना हुआ कटोरा लिया और उसमें पानी और चीनी मिला कर दो-धारी तलवार से घोल कर अमृत का नाम दिया था । पहले 5 खालसा बनने के बाद उन्हें छठवां खालसा का नाम दिया गया था।गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – जिसके बाद उनका नाम गुरु गोविंद राय से गुरु गोविंद सिंह रख दिया गया था । उन्होंने पांच ककारों का महत्व खालसा के लिए समझाया और ये कहा – केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कछैरा। तभी से सिख समुदाय अपने साथ कहा – केश, कंघा, कड़ा, किरपान कछैरा अपने साथ रखते है ।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – गुरु गोविंद सिंह के दिए उपदेश आज भी खालसा पंथ और सिखों के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2023 – गुरु गोविंद सिंह जी ने न सिर्फ अपने महान उपदेशों के द्वारा लोगों को सही मार्गदर्शन किया बल्कि उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और अपराधों के खिलाफ विरोध भी किया था। उनके द्वारा लिखी कुछ रचनाएं है जो इस प्रकार से हैं।
गुरु गोविंद सिंह जी के 356वें जन्मदिन साल 2023 पर पूरे सिख समुदाय को लख-लख बधाईयां।