“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||” ये श्लोक तो आपने सुना ही होगा भगवत गीता में जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, कि जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म का प्रकोप बढ़ने लगता है तब तब मेरा अवतार इस सृष्टि को पाप मुक्त करने हेतु निश्चित तौर पर होता है। आप यह जान लीजिए जब भी किसी प्रकार की आतताई बढ़ने लगती है तब भगवान का अवतार अवश्य होता है। चाहे वह कौन सा भी युग हो। अभी वर्तमान में कल युग चल रहा है और इस कलयुग में “कल्कि अवतार” होगा ऐसा शास्त्रों का कहना है। कल्कि अवतार के रूप में भगवान विष्णु अपना दसवां रूप प्रकट करेंगे। अब तक भगवान विष्णु के 9 अवतार हो चुके हैं। जिनमें पहला अवतार “मतस्य” के रूप में दूसरा “कूर्मा” तीसरा “वराह” चौथा अवतार “नरसिम्हा” पांचवा अवतार “वामन” छठा अवतार “परशुराम” सातवाँ “राम” और आठवा “कृष्ण” नौवा “बुद्ध” दसवा “कल्कि” अवतार होगा। ऐसा धार्मिक ग्रंथों का कहना है। यह बात सत्य है कि ऐसा जरूर होगा। लगभग 300 वर्षों से कल्कि अवतार जयंती भी मनाई जा रही है। जयंती को विधिवत मनाने की शुरुआत राजस्थान के मावजी महाराज ने की थी। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष के छठवें दिन कल्कि जयंती मनाई जाती है। वर्ल्कि जयंती 2023 22 अगस्त को मनाई जाएगी।
आइए जानते हैं कल्कि जयंती क्यों मनाई जाती है? और मनाने के पीछे का कारण क्या है ? तथा इसके पीछे की शास्त्रार्थ कथा क्या है? यह सभी आप इस लेख में जानने वाले हैं। संपूर्ण लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ते रहिए और जानकारी हासिल करते रहिए।
जैसा कि आप जानते हैं वर्तमान समय कलयुग का चल रहा है और इस कलयुग में बताया जाता है कि अंत होते-होते मनुष्य की उम्र 16 वर्ष ही रह जाएगी और कलयुग में टेक्निकली पाप बहुत बढ़ जाएगा। आप ऐसे समझिए कि कलयुग अपनी कला के माध्यम से लोगों पर अत्याचार करेगा और धर्म को झुकने पर मजबूर कर देगा। जब जब भी धर्म की हानि होती है धर्म को नुकसान होता है। तो भगवान अवश्य उसकी रक्षा हेतु धरती पर अवतरित होते हैं। कल्कि जयंती मनाने के पीछे यही कारण है कि भगवान की स्तुति की जाए और उन्हें जल्द ही अवतरित होने के लिए आमंत्रित किया जाए। ताकि सृष्टि में हो रहे पाप को जल्द से जल्द मिटाया जाए और श्रद्धालु और भक्त गणों को हो रही समस्या से निजात दिलाया जाए।
क्लिक जयंती की शुरुआत आज से 300 वर्ष पहले ही की जा चुकी है। इस जयंती की शुरुआत राजस्थान के मावजी नामक संत द्वारा की गई है। इस जयंती के दिन भगवान विष्णु, कृष्ण के साथ-साथ कल्कि अवतार की भी पूजा अर्चना की जाती है। राजस्थान के जयपुर प्रांत में कल्कि का बहुत बड़ा मंदिर भी है और इस दिन पूजा-अर्चना आदि कर भंडारा आदि किया जाता है। कल्कि जयंती मनाने के पीछे विशेष कारण यही माने जाते हैं कि भगवान की पूजा आराधना करने से भक्तों को शांति मिलती है और उन पर हो रहे अत्याचार का असर नहीं होता। इन्हीं मान्यताओं के चलते भगवान विष्णु तथा कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि भगवान विष्णु का दसवां अवतार ही क्लिक अवतार के नाम से जाना जाएगा। विष्णु पुराण में कल्कि अवतार का विस्तार पूर्वक लेख मिलता है। इसे धार्मिक प्रवृत्ति के लोग सच मानते हैं और कुछ अज्ञानी जन इसे भ्रम अर्थात अपवाह मानते हैं। परंतु कलयुग में हो रहे अत्याचार का अंत तो कोई ना कोई दिव्य शक्ति ही करेगी यह तो तय है।
जैसा की हम सब जानते है , कल्कि अवतार भारतवर्ष में ही होगा यह सभी शास्त्रों का और धर्म ज्ञाताओं का कहना है। परंतु अभी तक कल्कि अवतार के जन्म स्थान को लेकर सभी इतिहासकारों और धर्म शास्त्रों में एक रहस्य बना हुआ है। कुछ धर्म शास्त्रों में कल्कि अवतार के स्थान का जिक्र हुआ है और परिवार का विवरण पढ़ने को मिलता है। उसी विवरण के आधार पर हम आपको यह विवरण दे रहे हैं। परंतु यह सही है इसका कोई प्रमाण उपस्थित नहीं है।आइए जानते हैं कल्कि अवतार का जन्म कहां होगा तथा उनका परिवार संबंधी विवरण:-
- कल्कि अवतार जन्म (जयंती) – सावन महीने की छठ
- माता-पिता – सुमति – विष्णुयश
- घोड़ा- सफेद
- बच्चे-जय, विजय, मेघमाल, बलाहक
- गुरु-परशुराम
- भाई-सुमंत, प्राज्ञ, कवी
- जन्म स्थान-संभल
सबसे बड़ा रहस्य तो यही है कि भारत में यह संभल गांव शहर या राज्य कहां पर है। इसका कोई वास्तविक स्थान का पता नहीं चल पाया है। परंतु कुछ लोग इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में होना बताते हैं। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि कल्कि अवतार किसी निम्न कुल में जन्म लेंगे और इनका रंग गोरा होगा तथा पीले वस्त्र धारण करते हुए सुंदर स्वरूप में प्रकट होंगे और कलयुग में हो रहे आतताई का अंत करेंगे। पुराने धर्म ग्रंथों में इस बात का जिक्र अवश्य हुआ है कि कलयुग में कल्कि अवतार होंगे और कलयुग जो कि एक राक्षसी स्वरूप है इसका अंत अर्थात वध करेंगे। जिसे हम कलयुग कहते हैं। कलयुग वास्तव में एक राक्षस प्रवृत्ति का इंसान है जो अपनी आतताई को इस युग में बड़ी बेपरवाही से फैलाने वाला है। घार्मिक और भोले लोग जो आस्था के रूप में भगवान को पूछते हैं उन्हें इस कलयुग में काफी कष्ट होने वाले हैं। क्योंकि आप अभी भी देख रहे होंगे कि जो धर्म पर अडिग हैं और सत्य बोलने वाले लोग हैं उनका गला अभी से ही कटने लगा है। जो झूठ बोलते हैं उनका बोलबाला अभी से ही बढ़ने लगा है। अब आप सोचिए अगर ऐसी स्थिति लगातार बढ़ती ही रहेगी तो धर्म पर चलने वाले लोग इस कलयुग में कैसे श्वांस ले पाएंगे।
कलयुग में हो रही आतताई हो का अंत करने हेतु ही कली अवतार होगा अब इस अवतार के पीछे बहुत बड़े रहस्य हैं। जिन पर से पर्दा अभी तक नहीं उठाया जा सका है। आइये आगे और जानते है कल्कि जयंती 2023 में क्या क्या होगा ?
कलिक अवतार को लेकर धर्म शास्त्रों के अनुसार काफी विवरण मिलता है और मुख्यतः विष्णु पुराण में कल्कि अवतार को विस्तार से बताया गया है। इस अवतार की पुष्टि करने हेतु गुरु गोविंद सिंह ने भी विष्णु पुराण में इस अवतार का जिक्र होना बताया है और उनका कहना है कि भगवान विष्णु का दसवां अवतार ही कलिक अवतार होगा।
भगवान विष्णु के इस अवतार की विशेषता के तौर पर कल्कि एक सफेद घोड़े पर सवार होंगे और घोड़ा चलते हुई स्थिति में दिखाई देगा। उनके हाथ में दिव्य तलवार होगी तथा उनका रंग गोरा होगा और वह पीले वस्त्र धारण करते हुए सफेद घोड़े पर सवार होंगे। कल्कि अवतार को लेकर कुछ मान्यताएं ऐसी भी है कि जब माता काली के पीछे का घोड़ा धीरे-धीरे जमीन पर आता हुआ दिखाई देता है जिस दिन वह जमीन पर आ जाएगा वहीं कलिक अवतार का सही समय होगा। सिख्ख गुरु गोविन्द सिंह ने बहुत से बड़े कार्य किये, उनके द्वारा भी कल्कि के जन्म के बारे में व्याख्या की गई है। गोविन्द सिंह के द्वारा दशम ग्रन्थ में चौबीस अवतार के बारे में बताया गया है। इन्हें सौ सिख्ख का अवतार भी कहा गया है। गुरु गोविन्द सिंह ने विष्णु पुराण के कुछ अनुछेद की भी व्याख्या की है। उन्होंने बोला की कल्कि विष्णु का अवतार है। जो कलियुग में सफ़ेद घोड़े पर तलवार लेकर आयेंगे।
कल्कि जयंती 2023 आ गयी है परन्तु कलिक अवतार का रहस्य अभी भी रहस्य बना हुआ है। परंतु कुछ इतिहासकार और धर्म शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म का पतन होने पर कलिक अवतार होना निश्चित बताया है। हिंदू धर्म के मुख्य शास्त्र के रूप में वेद ही सर्वश्रेष्ठ है। वेदों का सार है उपनिषद और उपनिषदों का सार है गीता। इतिहास ग्रंथ महाभारत का एक हिस्सा है गीता। रामायण, पुराण और स्मृतियां भी इतिहास और व्यवस्था को उल्लेखीत करने वाले ग्रंथ है। धर्मग्रंथ नहीं। धर्म शास्त्रों के अनुसार कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का है। जिसका अभी प्रथम चरण का ही पालन हुआ है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। आप इसे ऐसे समझिए 3102+2017= 5119 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426881 वर्ष अभी बाकी है। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। जब भगवान राम का अवतार हुआ था वह 14 कलाओं के साथ हुआ था और भगवान श्री कृष्ण ने 16 कलाओं के साथ अवतार लिया था। अब आप सोचिए जब भगवान विष्णु 64 कलाओं के साथ अवतरित होंगे तो उनकी शक्ति कितनी भयंकर होगी। तथा उनका रूप तेजेश्वर और उनकी गति कितनी तीव्र होगी। इसका अंदाजा लगाना कलयुग के इंसान की बस में नहीं है।
जब भी भगवान विष्णु ने धरती पर दुष्टों का विनाश करने हेतु अवतरित हुए हैं। तब तब भगवान विष्णु मानव रूप में विवाह भी रचाया है और सृष्टि को संदेश देने हेतु सभी परंपराओं को यथावत निभाया है। इसी श्रंखला में जब भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा तब भी वे कलयुग में विवाह करेंगे ऐसे धर्म शास्त्रों में वर्णित लेख मिलता है। इसी लेख के अनुसार कल्कि अवतार में उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। उनके भाई जो उनसे बड़े होंगे क्रमशः सुमन्त, प्राज्ञ और कवि नाम के नाम के होंगे। याज्ञवलक्य जी पुरोहित और भगवान परशुराम उनके गुरू होंगे। भगवान श्री कल्कि की दो पत्नियां होंगी लक्ष्मी रूपी पद्मा और माता वैष्णवी शक्ति रूपी रमा। उनके पुत्र होंगे जय, विजय, मेघमाल तथा बलाहक। भगवान विष्णु का कल्कि अवतार निष्कलंक अवतार होगा।
कलिक अवतार का विवाह को लेकर एक रहस्य यह भी है कि जब त्रेतायुग में भगवान श्री राम माता सीता की खोज में थे। तब उन्होंने समुद्र किनारे एक बालिका को देखा जो तपस्या कर रही थी। बालिका ने भगवान राम को प्रणाम किया और कहा कि मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं। मेरा नाम वैष्णवी है। तब भगवान राम ने कहा कि मैं इस जन्म में मर्यादा पुरुषोत्तम हूँ और मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। हां जब मेरा कलयुग में कल्कि अवतार होगा तब मैं तुमसे विवाह करूंगा ऐसा कुछ ग्रंथों में वर्णन मिलता है।
कलयुग अवतार के रहस्य को समझते हुए आप एक पौराणिक कथा सुनिए जब राजा परीक्षित जोकि द्वापर युग के अंतिम राजा थे। उस वक्त कलयुग जो कि एक दानव शक्ति है। उन्होंने राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में प्रवेश किया था। तब से कलयुग की शुरुआत हुई है। कलयुग की शुरुआत स्वर्ण से ही हुई है। कथा अनुसार राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट से कलियुगे अपना प्रकोप फैला रहा है। आप अभी वर्तमान समय में देख भी रहे हैं कि सबसे ज्यादा सोने को महत्व दिया जा रहा है। इस पौराणिक कथा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कल्कि अवतार “कलयुग” नामक दैत्य का ही वध करने हेतु अवतरित होंगे। क्योंकि कलयुग नामक दैत्य अपने युग में धर्म को नष्ट करने के लिए यथासंभव प्रयोग करेगा और जो भी धर्म पर चलने वाले लोग हैं उनका जीना मुश्किल हो जाएगा। पाप अपने चरम सीमा पर होगा और अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ता ही जाएगा। इसी पाप का अंत करने भगवान विष्णु कल्कि अवतार धारण करेंगे और सृष्टि को पाप मुक्त तथा धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।