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आरती – Astrology https://astroupdate.com Online Astrologer Mon, 10 Jul 2023 04:47:45 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://astroupdate.com/wp-content/uploads/cropped-FEV_ICON-removebg-preview-1-32x32.png आरती – Astrology https://astroupdate.com 32 32 वीर तेजाजी की आरती हिंदी में | Veer Teja Ji Ki Aarti Hindi Me https://astroupdate.com/veer-teja-ji-ki-aarti-hindi-me/ https://astroupdate.com/veer-teja-ji-ki-aarti-hindi-me/#respond Sat, 08 Jul 2023 05:35:10 +0000 https://astroupdate.com/?p=5302 || वीर तेजाजी की आरती ||

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको वीर तेजा जी की आरती का विवरण देने जा रहे है , गौ रक्षक वीर तेजाजी की मान्यता राजस्थान में ही नहीं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में मानी जाती है

थारा हाथ माहि कलश बड़ो भारी कुवर तेजाजी हावो साबत सुरा ओ..धौरे धौरे आरती उतारू थाकी तेजा ओ..

लीलो घोड़ो असवारो कुवर तेजाजी

हां वो सावत सुरा ओ..

धौरे धौरे आरती उतारू थाकी तेजा ओ..

सावली सूरत काना मोती कुंवर तेजाजी ओ.. हां वो..

परियो थे कोट जरी को कुंवर तेजाजी. हां वो.

बांध्यो थे तो पंचरंग पागा कुंवर तेजाजी.. हां वो

थारा गला में झूमे वासक राजा कुंवर तेजाजी . हा वो.

कलयुग जोत सवाई कुवंर तेजाजी हां वो.

खेड़े खेड़े देवली बनाय कुंवर तेजाजी. हां वो.

बेटे है यों जाट को ने अमर कमायो नाम रे.

नौमी धारी रात जगावा कुंवर तेजाजी, हां वो..

दशमी को मेलों भरवे कुंवर तेजाजी . हां वो

नौमी धरा सु दूध चढ़ावा कुंवर तेजाजी.

दसमी रो चूरमो चढ़ावा कुंवर तेजाजी.

बाला की तांती बँधावा कुंवर तेजाजी.

काला रा खायोड़ा आवे कुंवर तेजाजी.

भैरूजी नारेल चढ़ावा कुंवर तेजाजी.

मीणा ने मार भगाया कुंवर तेजाजी.

बांध्या थे ढाल गेडा कुँवर तेजाजी.

धारा हाथ में ही भालों बीजण सारो कुंवर तेजाजी.

धन धरी जामण जांवो कुंवर तेजाजी.

पाणी री छनयारी धारी धरम केरी बेनवा वो हां वो.

गावे थाने लोग लुगाया कुंवर तेजाजी

धौरे धौरे आरती उतारू थाकी तेजा ओ..

वीर तेजाजी की आरती के साथ आप तेजा जी के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पैर क्लिक करे :-  वीर तेजा जी 

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ब्रह्मा जी की आरती हिंदी में | Brahma Ji Ki Aarti Hindi Me https://astroupdate.com/brahma-ji-ki-aarti/ https://astroupdate.com/brahma-ji-ki-aarti/#respond Tue, 30 May 2023 07:08:22 +0000 https://astroupdate.com/?p=5244 ब्रह्मा जी की आरती का आव्हान करते है 

आइये ब्रह्मा जी की आरती से पहले हम उनके बारे में जान लेते हैं। ब्रम्हा जी त्रिदेव में से एक है जिसमें ब्रह्मा जी ब्रह्माण्ड बनाने वाले, विष्णु जी पालनहार और शिव जी विनाशक है। पुराणों के अनुसार कहा जाता है की पहले ब्रम्हा जी के पाँच मस्तक थे परन्तु ब्रह्मा जी के झूठ बोलने के कारण शिव जी ने क्रोध में आकर उनका पांचवा मस्तक  धड़ से अलग कर दिया था | कहा जाता है की  ब्रह्मा जी की आरती करने से ब्रह्मा जी प्रसन होते है 

सम्पूर्ण भारत में ब्रम्हा जी के केवल दो ही मंदिर है परन्तु ब्रह्मा जी की आरती सम्पूर्ण जगत में की जाती है। पुराणों के अनुसार ऐसा एक श्राप के कारण हुआ है इस श्राप को कई रूप में देखा जाता है ,  पौराणिक कथाओ के अनुसार यह श्राप सरस्वती जी ने ब्रह्मा जी को दिया था।  क्योंकि एक यज्ञ में बैठने के लिए ब्रह्मा जी ने  गायत्री जी से दूसरा विवाह किया था। दूसरी मान्यता के अनुसार यह शराप शिवजी ने दिया था क्यूंकि ब्रम्हा जी ने अपनी पुत्री के साथ विवाह किया था।  मजा जाता है की ब्रह्मा जी की आरती करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।  

ब्रह्मा जी की आरती के साथ जी जानते है 4 वेद कोनसे है ?

  • ब्रह्मा जी को  चार सिर और चार हाथों के साथ कमल पर बैठे दिखाया जाता है। उनके हाथों में कमल, काल की गणना करने के लिए मोतियों की माला, जीवन की रचना के लिए पानी से भरा एक कमंडल और चारों वेद रहते हैं। उनके चारों सिर चारों वेदों–ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के प्रतीक है। ब्रह्मा जी की आरती में इन सभी बातो का वर्णन किया गया है। उनका वाहन हंस है जो अच्छाई और बुराई में भेद करने की अपनी क्षमता एवं शांति के कारण जाना जाता है।

 

ब्रह्मा जी की आरती (Brahma Ji Ki Aarti)

 

पितु मातु सहायक स्वामी सखा,

तुम ही एक नाथ हमारे हो।

जिनके कछु और आधार नहीं,

तिनके तुम ही रखवारे हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो,

दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को,

अतिशय करुणा उर धारे हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको,

तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं,

छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

महाराज महा महिमा तुम्हरी,

मुझसे विरले बुधवारे हो।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि,

मन मंदिर के उजियारे हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो,

इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि,

केहि के अब और सहारे हो।

 

भगवान ब्रह्मा जी की आरती हिंदी अर्थ सहित | 

 

पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।

हे भगवान ब्रह्मा!! आप ही हमारे माता-पिता, साथी, स्वामी सभी हो। आप ही हम सभी का पालन-पोषण करते हो।

जिनके कछु और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।

जिनका इस सृष्टि या ब्रह्मांड में कोई और नही हैं, उनकी देखरेख भी आप ही करते हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

आप सभी को हमेशा सुख प्रदान करते हो व सभी के दुखों, कष्टों, पापों का नाश करते हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।

आप इस संपूर्ण जगत का पालन-पोषण करते हो और सभी के ऊपर कृपा दृष्टि रखते हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको, तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

हम आपको भूल गए हैं क्योंकि आप तो हमारी सुध तक नही लेते हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं, छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

आपके उपकार का कोई अंत नही हैं क्योंकि यह सभी के ऊपर विभिन्न रूपों से रहता हैं।

महाराज महा महिमा तुम्हरी, मुझसे विरले बुधवारे हो।

हे ब्रह्मा भगवान, आपकी महिमा अपरंपार हैं और आप मुझसे मिले।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि, मन मंदिर के उजियारे हो।

आपके आगमन से घर में शुभ कार्य होते हैं, शांति स्थापित होती हैं और प्रेम का संचार होता हैं। आप मनुष्य के मन को भी एक नयी दिशा दिखाते हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

आप ही ने मुझे यह जीवन दिया हैं और अब आप मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि, केहि के अब और सहारे हो।

नोट :- यदि आप इसी प्रकार से किसी  धार्मिक , पौराणिक, मंदिरो , व्रत,  मेलों  , मुहूर्त , पूजा विधि , चलिसा  के बारे मैं जानना चाहते हो तो हमारी वेबसाइट https://astroupdate.com पर जा सकते है | 

 

 निवास्थान  Bramhlok ब्रह्मलोक 
मंत्र ॐ  ब्रह्मणे नमः 
अस्त्र  देवैया  धनुष , ब्रह्मास्त्र 
सवारी  हंस 
अन्य नाम  चतुरानन  , श्वेताम्बर , ब्रम्होस , रचेयता 
संतान  सनकादिश ऋषि , नारद मुनि , दक्ष प्रजापति , सप्तऋषि 

ब्रह्मा जी की आरती  इंग्लिश में :-

Pitu Matu Sahayak Svami Sakha,
Tum Hi Ek Nath Hamare Ho.

Jinake Kuchh Aur Adhar Nahin,
Tinake Tum Hi Rakhware Ho .

Sab Bhati Sada Sukhadayak Ho,
Dukh Nirgun Nashan Hare Ho .

Pratipal Kare Sare Jag Ko,
Atishay Karuna Ur Dhare Ho .

Bhool Gaye Hain Ham To Tumako,
Tum To Hamari Sudhi Nahin Bisare Ho .

Upakaran Ko Kachhu Ant Nahin,
Chhinn Hi Chhinn Jo Vistare Ho .

Maharaj Maha Mahima Tumhari,
Mujhase Virale Budhavare Ho .

Shubh Shanti Niketan Prem Nidhi,
Man Mandir Ke Ujiyare Ho .

Is Jivan Ke Tum Hi Jivan Ho,
In Pranan Ke Tum Pyare Ho Mein .

Tum Son Prabhu Paye “Kamal” Hari,
Kehi Ke Ab Aur Sahare Ho .

 

अन्य जानकारों  :-

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संतोषी माता की आरती लिरिक्स हिंदी में | Santoshi Mata Ki Aarti Lyrics In Hindi https://astroupdate.com/santoshi-mata-ki-aarti-lyrics/ https://astroupdate.com/santoshi-mata-ki-aarti-lyrics/#respond Tue, 14 Feb 2023 07:35:11 +0000 https://astroupdate.com/?p=4593 संतोषी माता की आरती लिरिक्स – Santoshi Mata Ki Aarti Lyrics 

 

शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी जी के साथ मां संतोषी जी की भी पूजा करना अत्यंत लाभकारी होती है और प्रायः संतोषी माता की आरती शुक्रवार को की ही जाती है। हमारी मान्यता है कि मां संतोषी का उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सक्षमता  प्राप्त होती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप माँ संतोषी के पिता गणेश जी और माता रिद्धि-सिद्धि को माना गया है। संतोषी माता के पूजन के पश्चात आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। अतः संतोषी माता की यह आरती अवश्य ही पढ़िए और संतोषी माता की आरती लिरिक्स हिंदी में नीचे दिये जा रही है। 

 

संतोषी माता की आरती लिरिक्स हिंदी में 

 

संतोषी माता की आरती

 

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।

अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।

जय सन्तोषी माता….

 

सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।

हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।

जय सन्तोषी माता….

 

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।

मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।

जय सन्तोषी माता….

 

स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।

धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।

जय सन्तोषी माता….

 

गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।

संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।

जय सन्तोषी माता….

 

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।

भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।

जय सन्तोषी माता….

 

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।

बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।

जय सन्तोषी माता….

 

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।

अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।

जय सन्तोषी माता….

 

सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।

हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।

जय सन्तोषी माता….

 

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।

मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।

जय सन्तोषी माता….

 

स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।

धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।

जय सन्तोषी माता….

 

गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।

संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।

जय सन्तोषी माता….

 

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।

भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।

जय सन्तोषी माता….

 

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।

बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।

जय सन्तोषी माता….

 

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।

जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।

जय सन्तोषी माता….

 

दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।

बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।

जय सन्तोषी माता….

 

ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।

पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।

जय सन्तोषी माता….

 

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।

संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।

जय सन्तोषी माता….

 

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।

रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।

जय सन्तोषी माता….

अन्य जानकारी :-

 

 

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षटतिला एकादशी 2023 में कब है, महत्व और आरती | Shattila Ekadashi 2023 https://astroupdate.com/shattila-ekadashi-2/ https://astroupdate.com/shattila-ekadashi-2/#respond Sun, 05 Feb 2023 20:31:45 +0000 https://astroupdate.com/?p=1440 आइये जानते हैं षटतिला एकादशी वर्ष 2023 में कब है, षटतिला एकादशी का महत्व षटतिला एकादशी किस दिन है और आरती

 

 षटतिला एकादशी 2023 – षटतिला एकादशी एक शुभ हिंदू त्योहार है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। कृष्ण पक्ष के पौष माह में पड़ने वाली एकादशी व्रत को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। षटतिला एकादशी जनवरी या फरवरी के महीने में आती है। एक वर्ष में होने वाली कुल चौबीस एकादशियां होती हैं। प्रत्येक एकादशी का नाम उस माह के अनुसार होता है जिस दिन वे आती हैं। इस दिन, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और वे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

यहां षटतिला शब्द का अर्थ है छः तिल, और इस दिन, भक्त छः विभिन्न प्रकार के तिल का उपयोग करते हैं और वे इसे भगवान विष्णु को अर्पित करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई भक्त भगवान विष्णु को छह प्रकार के तिल चढ़ाता है और इस दिन एक दिन का उपवास रखता है तो उन्हें अत्यंत सुख और धन की प्राप्ति होती है।

 

षटतिला एकादशी का महत्व – Shattila Ekadashi Ka Mahatva

 

 षटतिला एकादशी 2023 – इस दिन व्रत का पालन करना और गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है। षट्तिला एकादशी के दिन व्रत रखने वाले लोग कभी गरीब और भूखे नहीं जाते और भगवान विष्णु द्वारा उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मोक्ष पाने वाले भक्तों को पूरे समर्पण के साथ इस व्रत का पालन करना चाहिए। भगवान विष्णु अपने भक्तों के अनजाने में किए गए सभी पापों को क्षमा कर देते हैं जो षटतिला एकादशी व्रत का पालन करते हैं, अपने घर को भोजन और खुशी से भरते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं। हालाँकि, षटतिला एकादशी के दिन व्रत का पालन करना लाभकारी माना जाता है, यदि भक्त गरीब या ब्राह्मणों को अन्न और अन्य वस्तुओं का दान करें क्योंकि यह प्रदर्शन करने से भक्तों को प्रचुर धन और खुशी के साथ आशीर्वाद मिलता है।

 

षटतिला एकादशी कब है और व्रत मुहूर्त – Shattila Ekadashi Kab Hai

 

 इस साल 2023 में षटतिला एकादशी 18 जनवरी 2023 को यानि बुधवार को मनाई जाएगी। 

इस एकादशी की तिथि की शुरुआत 17 जनवरी 2023 को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगी। 

और समाप्ति 18 जनवरी 2023 को दोपहर 4 बजकर 3 मिनट पर होगी। 

और इसका पारण समय अगले दिन यानि 19 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। 

 

षटतिला एकादशी व्रत कथा – Shattila Ekadashi Vrat Katha

 

 षटतिला एकादशी 2023 – भक्त जो एकादशी के दिन व्रत रखते हैं, उन्हें इसके पीछे की कथा अवश्य सुननी और पढ़नी चाहिए। व्रत तभी लाभदायक माना जाता है जब इस दिन भक्त कथा और विष्णु मंत्र पढ़ते हैं। बहुत समय पहले की बात है जब नारद मुनि ने एक बार भगवान विष्णु के निवास स्थान वैकुंठ का दौरा किया और उनसे शतिला एकादशी की कथा, उसके महत्व और उसके लाभों के बारे में पूछा। भगवान विष्णु एक जिज्ञासु नारद को देखकर मुस्कुराए और संत के साथ चले गए। फिर प्रभु विष्णु जी ने कहा की –

 षटतिला एकादशी 2023 – प्राचीन काल में, पृथ्वी पर एक ब्राह्मण महिला रहती थी, जो मेरे प्रति बहुत श्रद्धा और भक्ति रखती थी। वह मेरे लिए सभी उपवास रखती थी और एक समय था जब वह मेरा आशीर्वाद लेने के लिए एक महीने तक उपवास रखती थी।

 षटतिला एकादशी 2023 –  इन सभी अच्छे कार्यों के कारण, महिला के शरीर को शुद्ध किया गया था। हालाँकि, इस महिला ने कभी भी ब्राह्मणों और गरीबों को कुछ भी दान नहीं किया। एक दिन मैंने ब्राह्मण के रूप में स्त्री से मिलने और भिक्षा माँगने का निश्चय किया। लेकिन उसने कोई खाना देने के बजाय जमीन से मिट्टी उठाकर मुझे दे दी।जब समय आया और महिला की आत्मा ने अपना शरीर छोड़ दिया, तो उसे उपवास के प्रभाव के कारण स्वर्ग में जगह दी गई।

 षटतिला एकादशी 2023 – उसे सामने एक झोपड़ी और आम का पेड़ दिया गया था, लेकिन घर के अंदर का हिस्सा खाली था। यह देखकर, उसने मुझसे पूछा कि उसकी झोपड़ी खाली क्यों है, भले ही वह पूरी निष्ठा के साथ मेरी पूजा करती है।

 

भगवान विष्णु जी की महिमा – Vishnu Ji Ki Mahima

 

 षटतिला एकादशी 2023 – प्रभु हरी ने उससे कहा कि तुम भी मेरी भक्ति करते हो, सच्चे मन से प्रार्थना की, लेकिन एक चीज जो तुम करना भूल गयी, वह गरीब और जरूरतमंदों को दान करना। फिर उसने पूछा कि क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे वह इसे वापस सही कर सके।

 षटतिला एकादशी 2023 – भगवान विष्णु जी ने कहा, जब देवकन्याएँ आपसे मिलने आयेंगी, तो उनसे पूछें कि षटतिला एकादशी व्रत का पालन कैसे करें। तिल और अन्य अन्न दान करने के साथ पूरी श्रद्धा के साथ उस व्रत का पालन करने पर आपको अपने सभी पापों से छुटकारा मिल जाएगा। और पूरा व्रत विधि पूर्वक करते ही कुछ ही समय में उसकी झोपड़ी अनाज से भर गई। इस दिन व्रत का पालन करना महत्वपूर्ण है लेकिन अगर गरीबों को तिल और अन्न दान किए बिना किया जाए, तो भक्तों को व्रत का पालन करने का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।

 

षटतिला एकादशी 2023 व्रत विधि – Shattila Ekadashi 2023 Vrat Vidhi 

 

 षटतिला एकादशी 2023 – इस दिन भक्त सुबह जल्दी स्नान करता है। फिर भगवान विष्णु को तिल से बने प्रसाद के साथ, अधिमानतः काले रंग की पूजा की जाती है। इस दिन छह रूपों में तिल का उपयोग किया जाता है। तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल का तिलक, तिल मिश्रित जल का सेवन, भोजन तिल के साथ तिल चढ़ाएं और प्रार्थना करें।

 षटतिला एकादशी 2023 – विष्णु मंत्रों और षटतिला एकादशी व्रत कथा का पाठ करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्तों को इस दिन प्याज, लहसुन और चावल के सेवन से बचना चाहिए। अगले दिन व्रत खोला जाता है, जिसे भगवान विष्णु को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का भोग लगाकर पराना भी कहा जाता है।

 

षटतिला एकादशी व्रत के लाभ – Shattila Ekadashi Vrat Ke Labh 

 

 षटतिला एकादशी 2023 – पूरे भक्तिभाव के साथ षटतिला एकादशी के व्रत का पालन करने से, भक्तों को अपने सभी जन्मों में धन, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रचुरता मिलती है। षटतिला एकादशी के दिन जरूरतमंदों को धन, कपड़े और भोजन दान करने से भक्तों को बहुत सारी खूबियां मिलती हैं और वे अपने घरों में कभी भी अन्न की कमी या धन हानि और समृद्धि का सामना नहीं करते।

 

षटतिला एकादशी व्रत पराना – Shattila Ekadashi Vrat Parana

 

 षटतिला एकादशी 2023 – पराना का अर्थ है उपवास तोड़ना और उपवास के अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। यह आवश्यक है कि भक्त द्वादशी तिथि के भीतर जब तक कि द्वादशी सूर्योदय से पहले खत्म न हो जाए। द्वादशी के भीतर परना न करने से व्रत का कोई लाभ नहीं मिलता और यह अपराध के समान है। पराना दिवस पर, द्वादशी प्रातः 8:37 बजे समाप्त होगी और इसलिए भक्तों को इससे पहले अपना व्रत खोलना होगा।

 

षटतिला एकादशी 2023 आरती हिंदी लिरिक्स में 

 

ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥

॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥

॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥

॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥

॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥

॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥

॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥

 

षटतिला एकादशी 2023 आरती इंग्लिश लिरिक्स में 

 

Om Jai Ekadashi, Jai Ekadashi, Jai Ekadashi Mata।

Vishnu Puja Vrat Ko Dharan Kar, Shakti Mukti Pata॥

Om Jai Ekadashi…॥

Tere Naam Ginau Devi, Bhakti Pradan Karni।

Gan Gaurav Ki Deni Mata, Shashtro Mein Varni॥

Om Jai Ekadashi…॥

Margashirsha Ke Krishnapaksha Ki Utapanna Vishvatarini Janmi।

Shukla Paksha Mein Hui Mokshada, Muktidata Ban Aayi॥

Om Jai Ekadashi…॥

Paush Ke Krishnapaksha Ki Saphala Naamak Hai।

Shuklapaksha Mein Hoye Putrada, Anand Adhik Rahe॥

Om Jai Ekadashi…॥

Naam Shattila Magh Maas Mein, Krishnapaksha Aave।

Shuklapaksha Mein Jaya Kahave, Vijay Sada Pave॥

Om Jai Ekadashi…॥

Vijaya Phalguna Krishnapaksha Mein Shukla Amalaki।

Papmochani Krishna Paksha Mein Chaitra Mahabali Ki॥

Om Jai Ekadashi…॥

Chaitra Shukla Mein Naam Kamada, Dhan Dene Wali।

Naam Varuthini Krishna Paksha Mein, Vaishakha Maah Wali॥

Om Jai Ekadashi…॥

Shukla Paksha Mein Hoye Mohini Apara Jyeshtha Krishnapakshi।

Naam Nirjala Sab Sukha Karni, Shuklapaksha Rakhi॥

Om Jai Ekadashi…॥

Yogini Naam Ashadha Mein Jano, Krishnapaksha Karni।

Devshayani Naam Kahayo, Shuklapaksha Dharani॥

Om Jai Ekadashi…॥

Kamika Shravan Maas Mein Aave, Krishnapaksha Kahiye।

Sharvan Shukla Hoye Pavitra Anand Se Rahiye॥

Om Jai Ekadashi…॥

Aja Bhadrapada Krishnapaksha Ki, Parivartini Shukla।

Indra Aashwin Krishnapaksha Mein, Vrat Se Bhavsagar Nikla॥

Om Jai Ekadashi…॥

Papankusha Hai Shukla Paksha Mein, Aap Haranahari।

Rama Maas Kartik Mein Aave, Sukhdayak Bhari॥

Om Jai Ekadashi…॥

Devotthani Shukla Paksha Ki, Dukhnashak Maiya।

Paavan Maas Mein Karu Viniti Paar Karo Naiya॥

Om Jai Ekadashi…॥

Parama Krishna Paksha Mein Hoti, Jana Mangal Karni।

Shukla Maas Mein hoye Padmini, Dukh Daridra Harni॥

Om Jai Ekadashi…॥

Jo Koi Aarti Ekadashi Ki, Bhakti Sahita Gaave।

Jan Gurdita Swarga Ka Vasa, Nishchay Vah Paave॥

Om Jai Ekadashi…॥

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श्री गायत्री माता की आरती हिंदी एवं इंग्लिश लिरिक्स | Shri Gayatri Mata Aarti Lyrics in Hindi And English https://astroupdate.com/shri-gayatri-mata-ki-aarti/ https://astroupdate.com/shri-gayatri-mata-ki-aarti/#respond Tue, 31 Jan 2023 09:40:22 +0000 https://astroupdate.com/?p=4053 श्री गायत्री माता की आरती हिंदी एवं इंग्लिश लिरिक्स – Shri Gayatri Mata Aarti Lyrics in Hindi And English

गायत्री माता, जिन्हे गायत्री देवी के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवी हैं। और विशेष रूप से हिंदुओं के द्वारा पूजनीय हैं। गायत्री माता, देवी सरस्वती का एक रूप भी मानते है। ऐसा माना जाता है कि प्रतिदिन श्री गायत्री माता की आरती करने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और इसे एक शक्तिशाली साधना भी माना जाता है। श्री गायत्री माता की आरती लगभग हर घर और मंदिर में सुनाई जाती है।  क्योंकि यह देवी को समर्पित है एवं सबसे महत्वपूर्ण आरती में से एक माना जाता है। श्री गायत्री माता की आरती में देवी की स्तुति करने और उनसे मार्गदर्शन, शक्ति और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने वाले विभिन्न छंद भी शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि श्री गायत्री माता की आरती करने से शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान भी होता है। गायत्री माता की आरती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। और गायत्री देवी के प्रति श्रद्धा और भक्ति दिखाने का एक तरीका है।

 

श्री गायत्री माता की आरती हिंदी में 

जयति जय गायत्री माता,

जयति जय गायत्री माता ।

सत् मारग पर हमें चलाओ,

जो है सुखदाता ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक क‌र्त्री ।

दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।

भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।

अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।

सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।

कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।

जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।

यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।

विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।

शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

जयति जय गायत्री माता,

जयति जय गायत्री माता ।

सत् मारग पर हमें चलाओ,

जो है सुखदाता ॥

 

श्री गायत्री माता की आरती

श्री गायत्री माता की आरती इंग्लिश में 

 

Jayati Jai Gayatri Mata, Jayati Jai Gayatri Mata।
Sat Marag Par Hamen Chalao, Jo Hai Sukhadata॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Aadi Shakti Tum Alakh Niranjan Jagapalak Ka‌rtri।
Dukh Shok, Bhay, Klesh Kalash Daridra Dainy Hatri॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Brahm Rupini, Pranat Palin Jagat Dhatra Ambe।
Bhav Bhayahari, Jan-Hitakari, Sukhada Jagadambe॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Bhay Harini, Bhavatarini, Anagheaj Aanand Rashi।
Avikari, Akhahari, Avichalit, Amale, Avinashi॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Kaamadhenu Satachit Aanand Jai Ganga Geeta।
Savita Ki Shashvat, Shakti Tum Savitri Sita॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Rig, Yaju Saam, Atharv Pranayani, Pranav Mahamahime।
Kundalini Sahastra Sushuman Shobha Gun Garime॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Swaha, Svadha, Shachi Brahmani Radha Rudrani।
Jai Sataroopa, Vani, Vidya, Kamala Kalyani॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Janani Ham Hain Deen-Heen, DuKh-Daridra Ke Ghere।
Yadpi Kutil, Kapati Kapoot Tau Balak Hain Tere॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Snehasani Karunamay Mata Charan Sharan Deejai।
Vilakh Rahe Ham Shishu Sut Tere Daya Drashti Keejai॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Kaam, Krodh, Mad, Lobh, Dambh, Durbhav Dvesh Hariye।
Shuddh Buddhi Nishpap Hrday Man Ko Pavitra Kariye॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Tum Samarth Sab Bhanti Tarini Tushti-Pushti Ddata।
Sat Marg Par Hamen Chalao, Jo Hai Sukhadata॥
॥ Jayati Jai Gayatri Mata…॥

Jayati Jai Gayatri Mata, Jayati Jai Gayatri Mata।
Sat Marag Par Hamen Chalao, Jo Hai Sukhadata॥

गायत्री माता की आरती के अलावा आप गायत्री माता का भजन भी सुन सकते है।

अन्य जानकारी :-

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Khatu Shyam ji Kon Hai| कौन है बाबा श्याम ,अपूर्व कहानी,शीश का दानी,आरती का महत्व, https://astroupdate.com/khatu-shyam-ji/ https://astroupdate.com/khatu-shyam-ji/#respond Sat, 28 Jan 2023 05:40:12 +0000 https://astroupdate.com/?p=2489 कौन है खाटू श्याम जी – Kon Hai Khatu Shyam Ji  

   Khatu Shyam Ji  – भारत देश के राजस्थान राज्य में सीकर जिले के एक छोटा सा गांव जो विश्व भर में प्रशिद्ध खाटूनगरी के नाम से विख्यात नगर वा पर शीश के दानी श्याम बाबा का एक विशाल मंदिर जो पुरे विश्व में प्रशिद्ध जो वहा बसा हुआ है जो पुरे विश्व में विख्यात है हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवता हो का बहोत बड़ा एक महत्व है सभी देवी देवता अपने अपने रूपों में जाने जाते है आज हम इन्ही देवताओ में एक कलियुग के अवतारी बाबा श्यामजी के बारे में जान रहे है खाटूश्यामजी को श्री कृष्ण द्वारा वरदान मिला था की जैसे जैसे कलियुग अपने चर्म सीमा में आगे बढ़ेगा वैसे वैसे उनका  नाम पूजा जायेगा क्यों की भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक के महान बलिदान से काफी प्रशन्न हुए और उन्हये वरदान दिया था की जैसे जैसे कलियुग बढ़ेगा वैसे वैसे तुम्हारा नाम श्याम के नाम से पूजे जाओगे तुम्हारे भक्तो का केवल तुम्हारा सच्चे मन से नाम लेने मात्र से ही उनका उद्धार होता रहेगा यदि भक्त तुम्हारी सच्चे और प्रेम भाव से भक्ति और पूजा करने मात्र से ही उन की हर एक मनोकामना पूर्ण होगी और सभी कार्य सफल होंगे 

श्री श्याम बाबा की अपूर्व कहानी – Shri Shyam Baba Ki Apurv Kahani 

Khatu Shyam Ji  – महाभारत के समय से ही आरंभ होती है। महाभारत के समय श्याम को बर्बरीक के नाम से जाना जाता थे। बर्बरीक अति बलशाली गदाधारी भीम के पुत्र घटोत्कच और दैत्य मूर की पुत्री मोरवी के पुत्र हैं। बाल्यकाल से ही वे बहुत वीर और महान योद्धा थे। बर्बरीक ने युद्ध कला अपनी माँ और भगवान श्री कृष्ण से सीखी थी नौ दूर्गा माता रानी की घोर तपष्या कर के उन्हें प्रशन्न किया और तीन अमोघ बाण प्राप्त किये इसी प्रकार श्याम बाबा को तीन बाणधारी के नाम से भी पुरे विश्व में विख्यात है।  अग्नि देव  कठोर तपस्या करने के बाद अग्नि देव प्र्शन्न हुए और उन्हें धनुष प्रधान किया अग्निदेव ने जो धनुष प्रधान किया था वो धनुष इतना बलशाली था की वो तीनो लोको में विजय प्राप्त कराने में समर्थ था। 

Khatu Shyam Ji  – महाभारत  का युद्ध कौरव और पांडव के मध्य अपरिहार्य हो गया था, यह समाचार बर्बरीक को प्राप्त हुए तो उनकी भी युद्ध में समलित होने की इच्छा जाग्रत हुई जब वे अपनी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने पहुँचे तब माँ उन को हारे हुए पक्ष का साथ देने का वचन दिया। वे अपने नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर तीन बाण और धनुष के साथ कुरूक्षेत्र की रणभूमि की ओर चल पड़े।

क्यों कहा जाता है बाबा श्याम को शीश का दानी – Kyo Kaha Jata Hai Baba Shyam Ko Shish Ka Dani 

Khatu Shyam Ji  –  जब बर्बरीक अथार्त श्याम बाबा कौरव और पांडव के मध्य जो युद्ध हो रहा था उस समय श्री श्याम बाबा अपनी माँ का आर्शीर्वाद लेकर यूद्ध में शामिल होने जा रहे थे उसी टाइम उन्हें रास्ते के मध्य में सर्वव्यापी सम्पूर्ण जगत के निर्माता भगवान श्री कृष्ण जो एक सादारण मनुष्य की तरह एक ब्रामण की वेशभूसा धारण किये हुए बर्बरीक के बारे में जानने के लिए उन्हें रोका और यह जानकर उनकी हँसी उड़ायी कि वह मात्र तीन बाण से युद्ध में सम्मिलित होने आया है ऐसा सुनकर बर्बरीक ने उत्तर दिया कि मात्र एक बाण शत्रु सेना को परास्त करने के लिए पर्याप्त है और ऐसा करने के बाद बाण वापस तूणीर में ही आएगा। यदि में तीनो बाणो का प्रयोग इसी युद्ध में ले लिया तो सम्पूर्ण ब्रमांड का सर्वनाश हो जायेगा  यह जानकर भगवान् कृष्ण ने उन्हें चुनौती दी की इस वृक्ष के सभी पत्तों को वेधकर दिखलाओ।

वे दोनों पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े थे। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की और अपने तूणीर से एक बाण निकाला और ईश्वर को स्मरण कर बाण पेड़ के पत्तों की ओर चलाया। बाण ने क्षणभर में पेड़ के सभी पत्तों को वेध दिया और श्री कृष्ण के पैर के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगा, क्योंकि एक पत्ता उन्होंने अपने पैर के नीचे छुपा लिया था; बर्बरीक ने कहा कि आप अपने पैर को हटा लीजिए अन्यथा ये बाण आपके पैर को भी वेध देगा। तत्पश्चात, श्री कृष्ण ने बालक बर्बरीक से पूछा कि वह युद्ध में किस ओर से सम्मिलित होगा; Khatu Shyam Ji  – बर्बरीक ने अपनी माँ को दिये वचन को दोहराया और कहा युद्ध में जो पक्ष निर्बल और हार रहा होगा उसी को अपना साथ देगा। श्री कृष्ण जानते थे कि युद्ध में हार तो कौरवों की निश्चित है और इस कारण अगर बर्बरीक ने उनका साथ दिया तो परिणाम गलत पक्ष में चला जाएगा। जो सादारण ब्रामण मनुष्य का वेश धारण किये हुए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान मांगने की इच्छा प्रकट की तो बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से वचन किया और उन दान मांगने को कहाँ।  ब्रामण का वेश धारण किये हुए श्री कृष्ण ने उनसे सीष का दान माँग लिया वीर बर्बरीक क्षण भर के लिए अचम्भित हुए, परन्तु अपने वचन से अडिग नहीं हो सकते थे। वीर बर्बरीक बोले एक साधारण ब्राह्मण इस तरह का दान नहीं माँग सकता है, अत: ब्रामण  से अपने वास्तिवक रूप से अवगत कराने की प्रार्थना की। ब्राह्मणरूपी श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ गये।

Khatu Shyam Ji- श्री कृष्ण ने बर्बरीक को शीश दान मांगने का कारण समझाया युद्ध आरम्भ होने से पूर्व युद्धभूमि पूजन के लिए तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश की आहुति देनी होती है; इसलिए ऐसा करने के लिए वे विवश थे बर्बरीक ने उन से प्राथना की कि वे अंतिम समय तक युद्ध देकना चाहते है भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक की प्राथना स्वीकार कर ली भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक के इस बलिदान  से प्रशन्न होकर  बर्बरीक को इस युद्ध में वीर की सबसे अलंकृत उपाधि प्रधान की उन के शीश को युद्ध भूमि के पास ही एक पहाड़ी पर सुशोभित किया गया जहा से बर्बरीक समपूर्ण युद्ध का जायजा ले सकते थे। फाल्गुन माह की द्वादशी को उन्होंने अपने शीश का दान दिया था इस प्रकार वे शीश के दानी कहलाये।

 

Khatu Shyam Ji  – इसी लिए भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक से अत्यधिक प्रशन्न होकर उन्हे वरदान दिया था की तुम श्याम नाम से जाने जाओगे और जैसे जैसे कलियुग बढ़ेगा वैसे वैसे तुम्हारी पूजा होगी और कलयुग में तुमरा ये नाम श्याम के नाम से  सम्पूर्ण जगत में पूजा जायेगा।  क्योंकि उस  कलयुग में हारे हुए का साथ देने वाला ही श्याम नाम धारण करने में समर्थ है। 

Khatu Shyam Ji  – उन का शीश  खाटू नगर में  दफ़नाया गया था इसलिए इन्हे खाटूश्याम बाबा कहाँ जाता है आज वर्तमान समय में खाटू श्याम बाबा का मंदिर भारत देश के राजस्थान प्रदेश में सीकर जिले के एक छोटे से गांव खाटू नगर जहाँ श्याम बाबा का मंदिर स्तिथ है जो सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है श्याम बाबा के मंदिर का निर्माण इस प्रकार से हुआ है की।

Khatu Shyam Ji  – जिस स्थान पर शीश को दफनाया गया था खाटूनगरी में उस स्थान पर प्रतिदिन एक गौ माता आती थी और अपने स्तनों से दुग्ध की धरा स्वतः ही बहा रही थी। बाद में खुदाई के बाद वो शीश प्रकट हुआ जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्रह्माण को सूपुर्द कर दिया गया। एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया गया। तदन्तर उस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। मंदिर इस समय अपने वर्तमान आकार ले लिया और मूर्ति गर्भगृह में प्रतिस्थापित किया गया था। मूर्ति दुर्लभ पत्थर से बना है। खाटूश्याम, परिवारों की एक बड़ी संख्या के कुलदेवता है।

तत्सतथेती तं प्राह केशवो देवसंसदि !

शिरस्ते पूजयिषयन्ति देव्याः पूज्यो भविष्यसि

Khatu Shyam Ji  – भावार्थ: “उस समय देवताओं की सभा में  श्री हरी ने कहा— हे वीर! ठीक है, तुम्हारे शीश की पूजा होगी और तुम देवरूप में पूजित होकर प्रसिद्धि पाओगे।”

वहाँ उपस्थित सभी लोगों को इतना वृत्तान्त सुनाकर देवी चण्डिका  ने पुनः कहा— “अपने अभिशाप को वरदान में परिणति देख यक्षराज सूर्यवर्चा उस देवसभा से अदृश्य हो गये और कालान्तर में इस पृथ्वी लोक में महाबली भीम के पुत्र  घटोत्कच एवं मोरवी के संसर्ग से बर्बरीक के रूप में जन्म लिया। इसलिए आप सभी को इस बात पर कोई शोक नहीं करना चाहिए और इसमें श्री कृष्ण का कोई दोष नहीं है।”

 

क्या श्याम बाबा का शीश आज भी अजर अमर है – Kya Shyam Baba Ka Shish Aaj Bhi Ajar Mar Hai

स्कन्द पुराण के अनुसार श्लोक संख्या 66 71 72 के अनुसार कहा गया है 

इत्युक्ते चण्डिका देवी तदा भक्त शिरस्तिव्दम !

अभ्युक्ष्य सुधया शीघ्र मजरं चामरं व्याधात !!

यथा राहू शिरस्त्द्वत तच्छिरः प्रणामम तान !

उवाच च दिदृक्षामि तदनुमन्यताम !! 

Khatu Shyam Ji  – ऐसा कहने में आता है की चण्डिका देवी ने उस भक्त वीर बर्बरीक के  के शीश को जल्दी से अमृत से अभ्युक्ष्य (छिड़क) कर राहू के शीश की तरह अजर और अमर बना दिया और इस नविन जागृत शीश ने उन सबको प्रणाम किया और कहा— “मैं युद्ध देखना चाहता हूँ, आपलोग इसकी स्वीकृति दीजिए।”

Khatu Shyam Ji  – ऐसा मत हमे स्कन्द पुराण में देकने को मिलता है

भगवान श्री कृष्ण ने स्कन्द पुराण  के श्लोक 66 73 74 में ये बतया है की 

ततः कृष्णो वच: प्राह मेघगम्भीरवाक् प्रभु: !

यावन्मही स नक्षत्र याव्च्चंद्रदिवाकरौ !

तावत्वं सर्वलोकानां वत्स! पूज्यो भविष्यसि !!

Khatu Shyam Ji  – भगवान मेघ के समान गम्भीरभाषी भगवान श्री कृष्ण ने कहा है की  -”हे वत्स” जब तक ये पृथ्वी आकाश सूर्य नक्षत्र चन्द्रमा है तब तक तुम सब के लिए पूजनीय हो 

स्कन्द पुराणों के अनुसार ऐसे मत आज भी देकने को मिलते है और स्कन्द पुराण के अनुसार माना गया है की आज भी बाबा श्याम का शीश  अजर अमर है 

 

खाटू श्याम जी आरती का महत्व – Khatu Shyam Ji Arti Ka Mahatva 

Khatu Shyam Ji  – खाटू श्यामजी की आरती का शुद्ध उच्चारण और खाटूश्यामजी की कथा करने से सभी प्रकार के पापो से छुटकारा  है। हर प्रकार की दुःख दर्द पीड़ा दूर होती है खाटू श्याम जी की आरती सुबह शाम दोनों टाइम करना चाहिए साफ़ स्वच्छ कपडे पहन कर आरती करते समय श्याम बाबा की प्रतिमा लगा कर दीपक अगरबत्ती नैवेद्य आदि का बोग लगा कर साफ़ एवं स्वच्छ जगह पर बैठ कर करना चाइये जिस से शीश के दानी श्याम प्यारे जल्दी अपने भक्तो से प्रसन्न होते है

(खाटूश्यामजी आरती)

(khatu shyamji aarti)

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे।

खाटू धाम विराजत,

अनुपम रूप धरे॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

रतन जड़ित सिंहासन,

सिर पर चंवर ढुरे ।

तन केसरिया बागो,

कुण्डल श्रवण पड़े ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

गल पुष्पों की माला,

सिर पार मुकुट धरे ।

खेवत धूप अग्नि पर,

दीपक ज्योति जले ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

मोदक खीर चूरमा,

सुवरण थाल भरे ।

सेवक भोग लगावत,

सेवा नित्य करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

झांझ कटोरा और घडियावल,

शंख मृदंग घुरे ।

भक्त आरती गावे,

जय-जयकार करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

जो ध्यावे फल पावे,

सब दुःख से उबरे ।

सेवक जन निज मुख से,

श्री श्याम-श्याम उचरे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

श्री श्याम बिहारी जी की आरती,

जो कोई नर गावे ।

कहत भक्त-जन,

मनवांछित फल पावे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

जय श्री श्याम हरे,

बाबा जी श्री श्याम हरे ।

निज भक्तों के तुमने,

पूरण काज करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे।

खाटू धाम विराजत,

अनुपम रूप धरे॥

ॐ जय श्री श्याम हरे…॥

 

(खाटू श्याम जी पुष्पांजलि)

 

हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियो चित्त लगाये

दस आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज

धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान

अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण

श्याम श्याम तो में रटूं श्याम हैं जीवन प्राण

श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम

खाटू नगर के बीच में बण्यो आपको धाम

फाल्गुन शुक्ल मेला भरे जय जय बाबा श्याम

फाल्गुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भरी होए

बाबा के दरबार से खाली जाये न कोए

उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्री राम

लज्जा सब की रखियो खाटू के बाबा श्याम

पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर

सब भक्तो की विनती दर्शन देवो हजूर

आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान

श्याम भक्त पावे सदा श्याम कृपा से मान

जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम

खाटू वाले बाबा जय श्री श्याम

लीलो घोड़ो लाल लगाम

जिस पर बैठ्यो बाबो श्याम

॥ॐ श्री श्याम देवाय नमः॥

]]> https://astroupdate.com/khatu-shyam-ji/feed/ 0 बांके बिहारी आरती हिंदी एवं इंग्लिश लिरिक्स | Banke Bihari Aarti Lyrics in Hindi And English https://astroupdate.com/banke-bihari-aarti/ https://astroupdate.com/banke-bihari-aarti/#respond Wed, 25 Jan 2023 12:09:00 +0000 https://astroupdate.com/?p=3872 बांके बिहारी आरती 

बांके बिहारी आरती – बांके बिहारी का मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है। बांके बिहारी मंदिर भारत के प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। बांके बिहारी, श्री कृष्ण जी का ही एक रूप है। कहा जाता है की बांके बिहारी आरती जिस घर में प्रतिदिन की जाती है उस घर में सुख शांति बनी रहती है। बांके के अर्थ है तीन कोणो का मुड़ा हुआ , जो की श्री कृष्ण जी बांसुरी बजाते हुए की एक अद्भुत छवि है। भगवान बांके बिहारी की मात्र एक छोटी सी  झलक पाने और अपनी मनोकामनओं की पूर्ण करवाने के लिए हर दिन हज़ारो की संख्या में देश-विदेश से उनके भक्त आते हैं।

बांके बिहारी आरती – ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति बांके बिहारी के दर्शन या पूजा करता है, उसका जीवन सफल हो जाता है अतः उसके सभी परेशानी और संकट दूर हो जाते है। शास्त्रों में वृंदावन की भूमि को देव भूमि भी कहा गया है। वृंदावन के भूमि की मिट्टी को माथे पर लगाने मात्र से ही भक्तों का जीवन शान्ति ,सफल और सुखमय से गुजरता है। यहां के कण-कण में राधा-कृष्ण के प्रेम की ध्वनि सुनाई देती है।

 

बांके बिहारी आरती हिंदी लिरिक्स 

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,

हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।

आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,

श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ।

॥ श्री बांके बिहारी…॥

मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,

प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।

देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।

॥ श्री बांके बिहारी…॥

चरणों से निकली गंगा प्यारी,

जिसने सारी दुनिया तारी ।

मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।

॥ श्री बांके बिहारी…॥

दास अनाथ के नाथ आप हो,

दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।

हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।

॥ श्री बांके बिहारी…॥

श्री हरीदास के प्यारे तुम हो।

मेरे मोहन जीवन धन हो।

देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।

॥ श्री बांके बिहारी…॥

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,

हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।

आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,

श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।

 

बांके बिहारी आरती

बांके बिहारी आरती इंग्लिश लिरिक्स 

 

Shri Banke Bihari Teri Aarti Gau।

Kunj Bihari Teri Aarti Gau।

Shri Shyamsundar Teri Aarti Gau।

Shri Banke Bihari Teri Aarti Gau॥

Mor Mukut Prabhu Shish Pe Sohe।

Pyari Banshi Mero Man Mohe।

Dekhi Chhavi Balihari Jau।

Shri Banke Bihari Teri Aarti Gau॥

Charano Se Nikali Ganga Pyari।

Jisane Saari Dunia Taari।

Mai Un Charano Ke Darshan Pau।

Shri Banke Bihari Teri Aarti Gau॥

Daas Anath Ke Nath Aap Ho।

Dukh Sukh Jeevan Pyare Saath Ho।

Hari Charano Me Shish Navau।

Shri Banke Bihari Teri Aarti Gau॥

Shri Hari Daas Ke Pyare Tum Ho।

Mere Mohan Jeevan Dhan Ho।

Dekhi Yugal Chhavi Bali-Bali Jau।

Shri Banke Bihari Teri Aarti Gau॥

Aarti Gau Pyare Tumako Rijhau।

He Giridhar Teri Aarti Gau।

Shri Shyamsundar Teri Aarti Gau।

 

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श्री राम जी आरती हिंदी एवं इंग्लिश लिरिक्स – Shree Ram Ji Aarti Lyrics in Hindi And English https://astroupdate.com/shree-ram-ji-aarti/ https://astroupdate.com/shree-ram-ji-aarti/#respond Wed, 25 Jan 2023 09:21:20 +0000 https://astroupdate.com/?p=3851 श्री राम जी आरती हिंदी एवं इंग्लिश लिरिक्स – जय श्री राम 

श्री राम जी आरती – श्री राम को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय शख्सियतों में से एक माना जाता है। वह विष्णु के सातवें अवतार हैं, जो हिंदू देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं। कहा जाता है की श्री राम जी आरती जिस घर में प्रतिदिन  की जाती है उस घर में सुख शांति बनी रहती है। साथ में इनके परम भक्त बालाजी की आरती भी करनी चाहिए। श्री राम को कई लोग धर्म और आदर्श मानव व्यवहार का अवतार भी मानते हैं।

श्री राम जी आरती – श्री राम की कहानी सबसे महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथों में से एक रामायण में बताई गई है। श्री राम को उनकी सौतेली माँ कैकेयी द्वारा चौदह वर्ष के लिए वनवास भेजा गया था । अपने वनवास के दौरान,मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता से मिलते हैं और उनसे विवाह करते हैं। रावण, माता सीता का अपहरण करके उन्हें लंका के अपने राज्य में ले जाते है। श्री राम तब लंका में एक सेना का नेतृत्व करते हैं, रावण का वध  कर, माता सीता को रावण से स्वतंत्र करवाते  हैं।

श्री राम जी आरती – अयोध्या लौटने के बाद, श्री राम का राज्याभिषेक होता है। श्री राम की कहानी न केवल अपने धार्मिक मूल्य के लिए बल्कि अपने नैतिक और नैतिक पाठों के लिए भी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है। श्री राम हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और उनकी कहानी आज भी हिंदुओं के लिए प्रासंगिक और सार्थक है।

श्री राम आरती हिंदी लिरिक्स 

॥ आरती श्री रामचन्द्रजी ॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।

नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्।

पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्।

रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्।

आजानुभुज शर चाप-धर,संग्राम जित खरदूषणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

इति वदति तुलसीदास,शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कंज निवास कुरु,कामादि खल दल गंजनम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो।

करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली।

तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

 

श्री राम आरती इंग्लिश लिरिक्स 

श्री राम आरती इंग्लिश लिरिक्स 

॥ Aarti Shri Ramachandraji ॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman,Haran Bhavbhay Darunam।

Nav Kanj Lochan, kanj Mukh KarKanj Pad Kanjarunam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

Kandarp Aganit Amit Chhavi,Nav Neel Neerad Sundaram।

Pat Peet Maanahu Tadit Ruchi-ShuchiNaumi Janak Sutavaram॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

Bhaju Deenbandhu DineshDanav Daitya Vansh Nikandanam।

Raghunand Anand Kand KaushalChandra Dasharath Nandanam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

Shir Mukut Kundal TilakCharu Udar Ang Vibhushanam।

Ajanubhuj Shar Chap-DharSangram Jit Khardushnam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

Iti Vadati Tulsidas,Shankar Shesh Muni Man Ranjanam।

Mam Hriday Kanj Nivas Kuru,Kaamadi Khal Dal Ganjanam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

Man Jahi Raacheu MilahiSo Var Sahaj Sundar Sanvaro।

Karuna Nidhaan SujaanSheel Saneh Janat Ravro॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

Aehi Bhanti Gauri AsisSun Siy Hit Hiy Hiy Harshit Ali।

Tulsi Bhavanihi Poojee Puni PuniMudit Man Mandir Chali॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…॥

आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है इसी प्रकार की अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिये और शेयर भी करिये, हमारा उद्देश्य आपको प्रतिदिन कुछ नया सिखाने  का और सभी प्रकार जी जानकारी प्रदान करने का रहता है  – जय श्री राम

अन्य जानकारी :-

]]> https://astroupdate.com/shree-ram-ji-aarti/feed/ 0 Hanuman Ji Ki Aarti | हनुमान जी की आरती हिंदी में https://astroupdate.com/hanuman-ji-ki-aarti/ https://astroupdate.com/hanuman-ji-ki-aarti/#respond Tue, 24 Jan 2023 06:05:21 +0000 https://astroupdate.com/?p=3154 हनुमान जी की आरती – Hanuman Ji Ki Aarti 

Hanuman Ji Ki Aarti  -जैसा की हम सभी को ज्ञात है की हनुमान जी को बल का देवता माना जाता है। हनुमान जी भगवान् श्री राम और माता सीता के परम सेवक माने जाते है। हनुमान जी अपनी अद्भुद शक्तियों के लिए भी जाने जाते है। हनुमान जी के अनेको नाम है जैसे बालाजी,महावीर,हनुमत  आदि नमो से भी जाना जाता है हनुमन जी के कुल  108 चमत्कारी नाम है। बालाजी के अनुसार  किसी भी शुभ कार्य में हनुमानजी कि आरती (Hanuman Ji Ki Aarti) के बिना वो कार्य सम्पन नहीं माना जाता है  क्यों की हनुमान कलयुग के देवता के रूप में पूजे जाने वाले देवताओ में से एक है ।  आइये साथ में मिलकर हनुमान जी की आरती का आव्हान करते है।  – Hanuman Ji Ki Aarti

हनुमान जी की आरती हिंदी में – (Hanuman Ji Ki Aarti)

Hanuman Ji Ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की ।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। …. ….. 

जाके बल से गिरवर काँपे ।

रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई ।

संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। ….. …… 

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।

लंका जारि सिया सुधि लाये ॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।

जात पवनसुत बार न लाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। ….. ….. 

लंका जारि असुर संहारे ।

सियाराम जी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।

लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।

अहिरावण की भुजा उखारे ॥

बाईं भुजा असुर दल मारे ।

दाहिने भुजा संतजन तारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। …..  ….. 

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।

जय जय जय हनुमान उचारें ॥

कंचन थार कपूर लौ छाई ।

आरती करत अंजना माई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। …. ….. 

जो हनुमानजी की आरती गावे ।

बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥

लंक विध्वंस किये रघुराई ।

तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई। ….. ….. 

// इति समाप्तम  //

 

अन्य आरती :-

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Ekadashi Mata ki Aarti | एकादशी माता की आरती | जानिए क्यों मनाया जाता है ये व्रत https://astroupdate.com/ekadashi-mata-ki-aarti/ https://astroupdate.com/ekadashi-mata-ki-aarti/#respond Thu, 22 Dec 2022 23:04:18 +0000 https://astroupdate.com/?p=1125 जानियें एकादशी माता की आरती और देवी एकादशी के बारे में

एकादशी माता की आरती – मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाता है। उत्पन्ना एकादशी को वैतरणी एकादशी या उत्पातिका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी पर भगवान विष्णु और माँ एकादशी की पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आप लोग जानते हो कि व्रत में सर्वश्रेष्ठ एकादशी वास्तव में एक देवी है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी की देवी का जन्म उत्पन्ना एकादशी के दिन हुआ था। इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना कहा जाता है। एकादशी देवी का जन्म भगवान विष्णु के शरीर से हुआ हैं।

एकादशी माता की आरती – वैष्णवों के बीच एक मान्यता है कि प्राचीन काल में मुर नामक एक राक्षस था। उसने इंद्रलोक को जीतने के बाद पूरी पृथ्वी को जीत लिया। उसके अत्याचारों से भयभीत और चिंतित सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे। मृतकों से बचाने के लिए देवताओं से प्रार्थना की।

एकादशी माता की आरती –  तब भगवान विष्णु ने देवताओं को उन्हें इस समस्या से बहार निकलने का आश्वासन दिया। तब भगवान विष्णु ने ध्यान लगाया और स्वयं को देवी एकादशी के रूप में प्रकट किया। वह उन्हें असुरों के आतंक से देवताओं की रक्षा के लिए, मुर नामक राक्षस को मारने का आदेश देते है। एकादशी देवी ने भगवान को प्रणाम किया और मुर को मार डाला। तब से, सभी के लिए परवाह करने वाली एकादशी भगवान विष्णु की सबसे प्रिय बन गई।

ॐ जय एकादशी माता, जय हो एकादशी माता। यहां पाठकों के लिए एकादशी आरती है। इस आरती में सभी एकादशियों के नाम शामिल हैं। विष्णु पूजा व्रत को प्राप्त करके, शक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है। ।। ॐ।।

एकादशी माता की आरती

एकादशी माता की आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥

ॐ जय एकादशी…॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥

ॐ जय एकादशी…॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥

ॐ जय एकादशी…॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥

ॐ जय एकादशी…॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥

ॐ जय एकादशी…॥

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥

ॐ जय एकादशी…॥

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥

ॐ जय एकादशी…॥

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥

ॐ जय एकादशी…॥

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥

ॐ जय एकादशी…॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥

ॐ जय एकादशी…॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥

ॐ जय एकादशी…॥

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥

ॐ जय एकादशी…॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥

ॐ जय एकादशी…॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥

ॐ जय एकादशी…॥

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥

ॐ जय एकादशी…॥

                                   Ekadashi Mata ki  Aarti

 

Om Jai Ekadashi, Jai Ekadashi, Jai Ekadashi Mata।

Vishnu Puja Vrat Ko Dharan Kar, Shakti Mukti Pata॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Tere Naam Ginau Devi, Bhakti Pradan Karni।

Gan Gaurav Ki Deni Mata, Shashtro Mein Varni॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Margashirsha Ke Krishnapaksha Ki Utapanna Vishvatarini Janmi।

Shukla Paksha Mein Hui Mokshada, Muktidata Ban Aayi॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Paush Ke Krishnapaksha Ki Saphala Naamak Hai।

Shuklapaksha Mein Hoye Putrada, Anand Adhik Rahe ||

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Naam Shattila Magh Maas Mein, Krishnapaksha Aave।

Shuklapaksha Mein Jaya Kahave, Vijay Sada Pave॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Vijaya Phalguna Krishnapaksha Mein Shukla Amalaki।

Papmochani Krishna Paksha Mein Chaitra Mahabali Ki॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Chaitra Shukla Mein Naam Kamada, Dhan Dene Wali।

Naam Varuthini Krishna Paksha Mein, Vaishakha Maah Wali॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Shukla Paksha Mein Hoye Mohini Apara Jyeshtha Krishnapakshi।

Naam Nirjala Sab Sukha Karni, Shuklapaksha Rakhi॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Yogini Naam Ashadha Mein Jano, Krishnapaksha Karni।

Devshayani Naam Kahayo, Shuklapaksha Dharani॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Kamika Shravan Maas Mein Aave, Krishnapaksha Kahiye।

Sharvan Shukla Hoye Pavitra Anand Se Rahiye॥

  Om Jai Ekadashi Mata…॥

Aja Bhadrapada Krishnapaksha Ki, Parivartini Shukla।

Indra Aashwin Krishnapaksha Mein, Vrat Se Bhavsagar Nikla॥

  Om Jai Ekadashi Mata…॥

Papankusha Hai Shukla Paksha Mein, Aap Haranahari।

Rama Maas Kartik Mein Aave, Sukhdayak Bhari॥

Om Jai Ekadashi Mata…॥

Devotthani Shukla Paksha Ki, Dukhnashak Maiya।

Paavan Maas Mein Karu Viniti Paar Karo Naiya॥

  Om Jai Ekadashi Mata…॥

Parama Krishna Paksha Mein Hoti, Jana Mangal Karni।

Shukla Maas Mein hoye Padmini, Dukh Daridra Harni॥

   Om Jai Ekadashi Mata…॥

Jo Koi Aarti Ekadashi Ki, Bhakti Sahita Gaave।

Jan Gurdita Swarga Ka Vasa, Nishchay Vah Paave॥

 Om Jai Ekadashi Mata…॥

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Shri Krishan Ki Aarti | श्री कृष्ण की आरती https://astroupdate.com/shri-krishan-ki-aarti/ https://astroupdate.com/shri-krishan-ki-aarti/#respond Thu, 24 Nov 2022 11:29:52 +0000 https://astroupdate.com/?p=3179 श्री कृष्ण की आरती – Shri Krishan Ki Aarti 

Shri Krishan Ki Aarti – श्रीकृषण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी के दिन हुआ था इसी लिए इस दिन सभी  हिन्दू धर्म के लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाते  है।

Shri Krishan Ki Aarti – कई लोगो का ऐसा भी  मानना है की यदि हम घर में लड्डू गोपाल को स्थापित करते है और उन्हें अपने घर के सदस्य की तरह उनका अच्छे से ख्याल रखते है तो हमारे घर में सुख शान्ति बनी रहती है भगवान् श्री कृष्ण को कलयुग का देवता भी कहते है और हिन्दू धर्म में इनकी मान्यता भी अपरम्पार है।

Shri Krishan Ki Aarti – श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग तरह तरह से उपवास भी  रखते  है। कई लोग पुरे दिन निराहार रहकर भी उपवास करते है तो कुछ लोग सूरज ढलने के बाद जल ग्रहण भी नहीं करते।

Shri Krishan Ki Aarti – कुछ लोगो का ऐसा मानना है की इस दिन भगवान् श्रीकृष्ण को माखन का भोग भी लगाना चाहिए क्योकि आप सभी ये जानते है की भगवान् श्री कृष्ण को माखन बहित ही प्रिय था। वही अगर देखा जाये तो इस दिन श्रीकृष्ण  की पूजा के पश्चात कुंज बिहारी की आरती भी जरूर करनी चाहिए।

 

तो आइये हम सब साथ मिलकर श्रीकृष्ण की आरती का गायन करते है 

 आरती श्रीकृष्ण की –Aarti Shri Krishan Ki 

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की…. जय श्रीकृष्ण 

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला। 

श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला ……. जय श्रीकृष्ण

गगन सम अंग कांति काली,राधिका चमक रही आली

लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक,कस्तूरी तिलक। …… जय श्रीकृष्ण 

चंद्र सी झलक,ललित छवि श्यामा प्यारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,आरती कुंजबिहारी की……… जय श्रीकृष्ण 

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,देवता दरसन को तरसैं। 

गगन सों सुमन रासि बरसै,बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग। 

अतुल रति गोप कुमारी की,श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की। …… जय श्रीकृष्ण 

जहां ते प्रकट भई गंगा,सकल मन हारिणि श्री गंगा 

स्मरन ते होत मोह भंगा,बसी शिव सीस

जटा के बीच,हरै अघ कीच,चरन छवि श्रीबनवारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…….. जय श्रीकृष्ण 

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,बज रही वृंदावन बेनू 

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू …… जय श्रीकृष्ण 

हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद,कटत भव फंद। 

टेर सुन दीन दुखारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की। …… जय श्रीकृष्ण 

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …. जय श्रीकृष्ण 

 

 

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Bhairav Baba Ki Arti| भैरव बाबा की आरती,भैरव महाराज के चमत्कारी उपाय,भैरव महाराज की महिमा https://astroupdate.com/bhairav-baba-ki-arti/ https://astroupdate.com/bhairav-baba-ki-arti/#respond Wed, 02 Nov 2022 03:57:29 +0000 https://astroupdate.com/?p=2469 आइये जानते है बाबा भेरु नाथ की महिमा और भैरव नाथ आरती का उल्लेख –  (Bhairav Baba Ki Arti )

   Bhairav Baba Ki Arti – आइये आज जानते है की बाबा भेरु नाथ जी महाराज के बारे में। भैरव नाथ जी को शिवजी का ही एक दूसरा अवतार माना जाता है। (भैरव नाथ का अर्थ भी ये ही है की जो देकने में भयंकर हो और भय की रक्षा करता हो ) 

    Bhairav Baba Ki Arti – पुराणों के अनुसार भगवान् शिव और दैत्य अंधक के बीच एक विशाल युद्ध हुआ था जिसमे दैत्य अंधक की गदा से भगवान शिव के मस्तिष्क के चार टुकड़े हो गए थे और उस मस्तिष्क में से रक्त की धारा बहने लगी थी उसी रक्त की धारा में से बाबा भैरव नाथ जी की उत्पति हुई थी इसीलिए भैरव को शिव के विनाश से जुड़ा एक अवतार माना जाता है। हिन्दू धर्म में बाबा भैरव नाथ जी का बहोत बडा महत्व है। 

Bhairav Baba Ki Arti –  बाबा भैरव नाथ शिव के अवतार और गोरखनाथ जी के शिष्य थे और जिन्हे  माता वैष्णव देवी ने मुक्ति प्रधान की थी। और मान्यता हे की बाबा भैरव नाथ को प्रशन्न करने से माता देवी भी प्रशन्न होती है इसलिए माता के नवरात्री में भी बाबा भैरव नाथ की पूजा अर्चना भी अष्ट्मी के दिन की जाती है दुर्गा माता ने वरदान दिया था की यदि मेरी पूजा होने के बाद बाबा भैरव नाथ की भी पूजा होगी तब ही मेरी पूजा सफल होगी इसलिए नवरात्रि उत्सव में भी अष्ट्मी के दिन बाबा भैरव को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा दिन माना गया है 

भैरव बाबा का प्रसाद क्या है | क्या चढ़ाने से बाबा भैरव कैसे जल्दी प्रसन्न होते है :-  

  Bhairav Baba Ki Arti – ऐसी मान्यता है की भगवान भैरव को प्रसाद चढ़ाने से घर में नकारत्मक शक्तियो का आगमन नहीं होता है और शारारिक बाधा भी नहीं आती है बाबा भैरव को प्रहस्न करने से बाबा भैरव अपने भक्तो पर हर प्रकार की रक्षा करते है 

Bhairav Baba Ki Arti – बाबा भैरव नाथ को काली उड़द की दाल से बने पकवान को सरसो के तेल में ही बनाये गए हो गुलगुले पकोड़े कचौड़ी इमरती उड़द के गुलगुले आदि का भोग लगा कर बाबा भैरव नाथ के वाहन कुत्ते को भी खिलाये जिस से बाबा भैरव नाथ अपने भक्तो से जल्दी प्रशन्न होते है और अपने भक्तो की हर मनोकामना को पूर्ण करते है

 

बाबा भैरव नाथ का मंत्र :-

 ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्। ॐ भैरवाय नमः ॐ ॐ भैरवाय नमः ॐ 

बाबा भैरव के इस मन्त्र का विधी पूर्वक जप करने से शारारिक कष्ट नहीं आते है। और शत्रुहो का नाश हो जाता है। मृत्यु के भय के निवारण हेतु भी इस मन्त्र का प्रयोग किया जाता है 

बाबा भैरव के अन्य नाम :-

Bhairav Baba Ki Arti – बाबा भैरव का मुख्य वार रविवार के दिन इन नामो का गोमुखी माला से उच्चारण करने से भयानक से भयानक कष्ट भी दूर हो जाते है

  • दण्डपाणी
  •  स्वस्वा 
  • भैरवीवल्लभ,
  • दंडधारि
  •  भैरवनाथ बटुकनाथ

(भैरव बाबा की आरती)

(Bhairav Baba Ki Arti )

                   

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।

जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।

भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।

महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।

चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।

कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।

बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।

कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥

॥ जय भैरव देवा…॥

(Bhairav Baba Ki Arti )

Jai Bhairav Deva, Prabhu Jai Bhairav Deva

Jay Kali Aur Gaura devi Karat Seva.

Jai Bhairav Deva…

Tumhi Paap Uddharak, Dukh Sindhu Taarak

Bhakto Ke Sukh Karak, Bheeshan Vapu Dharak

Jai Bhairav Deva…

Vaahan Shvaan Viraajat, Kar Trishul Dhari

Mahima Amit Tumhari, Jai Jai Bhayahari

Jai Bhairav Deva…

Tum Bin Devaa Pujan, Safal Nahi Hove

Chaumukha Deepak, Darshak Dukh Khove

Jai Bhairav Deva…

Tail Chatik Dadhi Mishrit, Bhashavali Teri

Kripa Kariye Bhairav, Kariye Nahi Deri

Jai Bhairav Deva…

Paanv Ghungharoo Baajat, Aaru Damaru Jamakavat

Batuknath Ban Balakjan Man Harashavat

Jai Bhairav Deva…

Batuknath Ki aarti, Jo Koi Nar Gave

Kahe Dharanidhar, Nar Manvanchit Phal Pave

Jai Bhairav Deva…

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