लेख सारणी
आइये आज जानते है की बाबा भेरु नाथ जी महाराज के बारे में। भैरव नाथ जी को शिवजी का ही एक दूसरा अवतार माना जाता है। (भैरव नाथ का अर्थ भी ये ही है की जो देकने में भयंकर हो और भय की रक्षा करता हो )
पुराणों के अनुसार भगवान् शिव और दैत्य अंधक के बीच एक विशाल युद्ध हुआ था जिसमे दैत्य अंधक की गदा से भगवान शिव के मस्तिष्क के चार टुकड़े हो गए थे और उस मस्तिष्क में से रक्त की धारा बहने लगी थी उसी रक्त की धारा में से बाबा भैरव नाथ जी की उत्पति हुई थी इसीलिए भैरव को शिव के विनाश से जुड़ा एक अवतार माना जाता है। हिन्दू धर्म में बाबा भैरव नाथ जी का बहोत बडा महत्व है। बाबा भैरव नाथ शिव के अवतार और गोरखनाथ जी के शिष्य थे और जिन्हे माता वैष्णव देवी ने मुक्ति प्रधान की थी। और मान्यता हे की बाबा भैरव नाथ को प्रशन्न करने से माता देवी भी प्रशन्न होती है इसलिए माता के नवरात्री में भी बाबा भैरव नाथ की पूजा अर्चना भी अष्ट्मी के दिन की जाती है दुर्गा माता ने वरदान दिया था की यदि मेरी पूजा होने के बाद बाबा भैरव नाथ की भी पूजा होगी तब ही मेरी पूजा सफल होगी इसलिए नवरात्रि उत्सव में भी अष्ट्मी के दिन बाबा भैरव को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा दिन माना गया है
मान्यता है की भगवान भैरव को प्रसाद चढ़ाने से घर में नकारत्मक शक्तियो का आगमन नहीं होता है और शारारिक बाधा भी नहीं आती है बाबा भैरव को प्रहस्न करने से बाबा भैरव अपने भक्तो पर हर प्रकार की रक्षा करते है
बाबा भैरव नाथ को काली उड़द की दाल से बने पकवान को सरसो के तेल में ही बनाये गए हो गुलगुले पकोड़े कचौड़ी इमरती उड़द के गुलगुले आदि का भोग लगा कर बाबा भैरव नाथ के वाहन कुत्ते को भी खिलाये जिस से बाबा भैरव नाथ अपने भक्तो से जल्दी प्रशन्न होते है और अपने भक्तो की हर मनोकामना को पूर्ण करते है
ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्। ॐ भैरवाय नमः ॐ ॐ भैरवाय नमः ॐ
बाबा भैरव के इस मन्त्र का विधी पूर्वक जप करने से शारारिक कष्ट नहीं आते है। और शत्रुहो का नाश हो जाता है। मृत्यु के भय के निवारण हेतु भी इस मन्त्र का प्रयोग किया जाता है
बाबा भैरव का मुख्य वार रविवार के दिन इन नामो का गोमुखी माला से उच्चारण करने से भयानक से भयानक कष्ट भी दूर हो जाते है
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
Jai Bhairav Deva, Prabhu Jai Bhairav Deva
Jay Kali Aur Gaura devi Karat Seva.
Jai Bhairav Deva…
Tumhi Paap Uddharak, Dukh Sindhu Taarak
Bhakto Ke Sukh Karak, Bheeshan Vapu Dharak
Jai Bhairav Deva…
Vaahan Shvaan Viraajat, Kar Trishul Dhari
Mahima Amit Tumhari, Jai Jai Bhayahari
Jai Bhairav Deva…
Tum Bin Devaa Pujan, Safal Nahi Hove
Chaumukha Deepak, Darshak Dukh Khove
Jai Bhairav Deva…
Tail Chatik Dadhi Mishrit, Bhashavali Teri
Kripa Kariye Bhairav, Kariye Nahi Deri
Jai Bhairav Deva…
Paanv Ghungharoo Baajat, Aaru Damaru Jamakavat
Batuknath Ban Balakjan Man Harashavat
Jai Bhairav Deva…
Batuknath Ki aarti, Jo Koi Nar Gave
Kahe Dharanidhar, Nar Manvanchit Phal Pave
Jai Bhairav Deva…