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त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला | Tripura Sundari Bala Mela

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला
March 25, 2023

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला 

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – आइये दोस्तों आज हम बात करेंगे माँ त्रिपुरा सुनके मेले के बारे में। यह त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में मां त्रिपुरा बाला सुंदरी का भव्य मंदिर स्थित है। यह मंदिर लगभग 5 हजार वर्ष से भी अधिक पुराना मंदिर है। यहां पर त्रिपुरा बाला देवी सती का गुप्त अंग यहाँ पर गिरा था। इसी वजह से इस मंदिर की मान्यता बहुत अधिक है। यहाँ प्रत्येक वर्ष में एक बार अप्रैल के महीने में इस मेले का आयोजनकिया जाता है। यहां पर माता के चरणों में अपने शीश झुकाने को दूर-दूर से लाखो की संख्या में भक्त यहाँ आते हैं। इस भव्य मंदिर का इतिहास महाभारत काल के समय से भी जुड़ा हुआ भी है।

 

मां यहां अनेको रूपों में विराजती हैं

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – ऐसा माना जाता है की पांचो पांडवों ने अपना अज्ञातवास इसी स्थान पर पूर्ण किया था। यहां पर पांच फलों के द्वारा माता की मूर्ति को स्थापित किया गया था। एवं 11 मुखी शिवलिंग भी यहीं पर स्तिथ है। इसी स्थान पर युधिष्ठिर ने 11 मुखी शिवलिंग की घोर आराधना की थी एवं विजय होने का आशीर्वाद भी प्राप्त किया था। इस स्थान पर मां के अनेको रूप हमे देखने को मिलते हैं। यहां पर मां काली, माँ शाकंभरी,माँ अन्नपूर्णा, माँ पार्वती एवं माँ  सरस्वती के रूप में भी अपने दर्शन दे रही है। भगवान् विष्णु के संग माँ लक्ष्मी के रूप में भी यहाँ पर विराजमान हैं। 

 

किसी शुभ कार्य का प्रथम निमंत्रण मां को ही दिया जाता है 

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – ऐसी मान्यता है। कि यहां पर किसी के घर में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य यदि होता है। तो सर्व प्रथम मां को ही निमंत्रण देकर शुभ कार्य में पधारने का आग्रह किया जाता है। माता का आशीर्वाद भी लिया जाता है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी श्री सत्येंद्र शर्मा ने ऐसा बताया है कि यह मंदिर लगभग 5 हजार वर्ष इ भी अधिक पुराना है। देवी सती का एक गुप्तांग यहां की पवित्र भूमि पर गिरा था। जिसकी वजह से इस जगह को मां भगवती के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया है की अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर ने भी माँ से विजय होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था। उसके बाद वो कुरुक्षेत्र के लिए प्रस्थान किये थे। 

 

आज तक कोई भी नहीं पढ़ सका यहां के शिलापट की भाषा को 

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – इस मंदिर के ऊपर की ओर एक छोटा सा शिलापट है जिसे आप कभी भी नहीं पढ़ नहीं पाएंगे। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी भी यहां पर दर्शन करने हेतु यहाँ आई थीं। यहां के शिलापट के बारे में जब उन्हें पता चला। तो उसके बाद यहां पर पुरातत्व विभाग की बहुत सी टीम भी आ चुकी हैं। और अन्य भी कई विभाग के लोग यहाँ पर पूर्व में आ चुके हैं। ये ही नहीं इस शिलापट को पढ़ने वाले व्यक्ति के लिए सर्कार के द्वारा इनाम भी रहा गया था। परंतु शिलापट पर लिखी हुए भाषा को आज तक कोई भी नहीं पढ़ सका है। पंडित श्री सत्येंद्र शर्मा ने ऐसा बताया है कि मां यहां पर एक पिंडी के रूप में स्थापित है। 

 

बिन मांगे ही मां ने सब कुछ दिया 

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – देहरादून से पधारे हुए एक श्रद्धालु मनीष पाल ने हमे बताया कि वो यह पर मां का धन्यवाद करने के लिए आए हैं। मां ने कुछ मांगे बिना ही उन्हें सब कुछ दे दिया है। घर में सुख शांति और खुशहाली बानी हुई है। उन्होंने पहले तो यहाँ आकर मां का हवन किया है। एवं उसके बाद अब वे भंडारा भी करेंगे एवं उनके घर में बच्चों की किलकारियां भी गूंज रही है। माता रानी के आशीर्वाद से घर में सभी सदस्यों की नौकरी लगी हुई है। उनके यहां पर बच्चों का मुंडन सस्कार भी यहीं किया जाता हैं। वह केवल इसी का धन्यवाद अदा करने के लिए बार-बार यहां पर आते हैं। 

 

मां के दर्शन करने के लिए बचपन से आ रहे है

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – गाजियाबाद से आए हुए एक श्रद्धालु अंकित गोयल का मानना है कि जब भी उन्हें कोई भी अवसर मिलता है। तो वो यहां पर आते ही मां के चरणों में अपने शीश झुकाते हैं। उन्होंने बताया है कि वे बचपन से यहां पर आ रहे हैं। वह जब भी इस मंदिर में आते हैं। तो उन्हें अपना बचपन पूरी तरह से याद आ जाता है। यहां पर आकर उन्हें बड़ा ही सुकून मिलता है और मानसिक शांति का अनुभव भी होता है। एवं उनकी सभी प्रकार की इच्छाएं भी पूरी हो जाती है। 

 

मौका मिलता ही यहाँ पर चले आते हैं 

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – वहीं, एक श्रद्धालु दिव्या ने अपनी शादी हो जाने के बाद इस मंदिर की महिमा को जाना है। यहां पर आकर उन्होंने माँ से बेटा मांगा था। एवं मां के आशीर्वाद से माँ की कृपा सर उन्हें मां बनने का सौभाग्य भी मिला। अब जब भी उन्हें मौका या कोई अवसर मिलता है। तो वो माता रानी के चरणों में अपना शीश झुकाने के लिए यहाँ पर चली आती है। 

 

यही कामना  होती है  श्रद्धालुओं के मन में 

 

त्रिपुरा सुंदरी बाला मेला – यहां पर आने वाले सभी भक्तो के मन से बस एक यही पुकार निकलती है। कि पूरा जहां है जिसकी माँ की शरण में , हम नमन करते है उस माता के कमल रुपी चरणों में। हम सब बने उस माता के चरणों कमलो की धूल एवं हम सब मिलकर मां को श्रद्धा के सुमन (पुष्प) चढ़ाएं। सभी श्रद्धालुओं की मां भगवती से बस यही एक कामना होती है। कि हे माँ आप का हाथ हमेशा मेरे सिर पर ही हो और मुझे अपना आशीर्वाद दो। हमारे पूरे परिवार में खुशियों भरा हो। हमारे घर में सुख शांति और खुशहाली सदैव बनी रहे। और हम सभी के जीवन में आपका आशीर्वाद और प्रेम प्रकाश ही प्रकाश हो। माँ के भक्त इन मनोकामनाओं एवं मां के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से यहां पर दौड़े चले आ जाते हैं। 

 

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