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Shashthi Puja 2023 | षष्टी पूजा 2023 | षष्टी देवी कोन है,क्यों मनाया जाता है,महत्व,विधि,लाभ

Shashthi Puja 
December 13, 2022

षष्टी पूजा 2023 – Shashthi Puja 2023 

Shashthi Puja – षष्टी पर्व या छठ पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दुओ का पर्व है। सूर्य की उपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत में  बिहार,झारखण्ड,पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई आदि क्षेत्रों में मनाया जाने वाला पर्व है।

Shashthi Puja – हिन्दुओ द्वारा मनाए जाने वाले इस महान पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं। धीरे धीरे यह त्यौहार प्रवासी भारतीयों के साथ साथ विश्वभर मे भी प्रचलित व प्रसिद्ध हो गया है।छठ पर्व षष्टी का ही अपभ्रंश है। कार्तिक मास कीअमावस्या को दीवाली का त्यौहार मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसिए व्रत/उपवास की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रिकार्तिक शुक्ल षष्टी की होती है। इसी कारण इस व्रत/उपवास का नामकरण छठ व्रत हो गया।

षष्टी देवी कोन है – Shashthi Devi Kon Hai 

Shashthi Puja – यह हिन्दुओ की लोक देवी है, जो बच्चों के दाता है और ये बच्चो की रक्षा करने वाली देवी के रूप में इस देवी की पूजा की जाती है। यह वनस्पति और प्रजनन की देवी भी हैं और ऐसा माना जाता है कि वे बच्चों को जन्म देती हैं और बच्चे के जन्म के दौरान उनकी सहायता भी करती हैं। माता षष्ठी भगवान श्री कार्तिकेय की पहली पत्नी हैं। माता षष्ठी को दक्षिण भारत के लोग देवसेना के नाम से जानते हैं ।

षष्टी पूजा पर्व क्यों मनाया जाता है – Shashthi Puja Parv Kyo Manaya Jata Hai 

Shashthi Puja – हमारी पौराणिक कथा की मान्यता के अनुसार राजा प्रियवद के भी कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि नाम का यज्ञ कराकर राजा पत्नी मालिनीको यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई परंतु वह पुत्र मृत ही जन्मा था। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और अपने पुत्र के वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। तब उसी वक्त वहा भगवान की मानस नाम की कन्या देवसेना प्रकट हुई और उसने कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने की वजह से मैं षष्ठी कहलाती हूं। है राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी मेरी पूजा के लिए प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा रखते हुए।  देवी षष्ठी का पूजन और व्रत/उपवास  किया और फिर उन्हें पुनः पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।इसीलिए इस पूजा को छठ पूजा भी कहा जाता है। 

षष्टी पूजा का महत्व – Shashthi Puja Ka Mahatva

Shashthi Puja – षष्टी पूजा करने से निसंतान को संतान प्राप्ति होती है। और जिसके संतान है तो उसकी संतान की लम्बी और सुखी जीवन की कामना करने हेतु ये व्रत/उपवास महिलाएं करती है। इस षष्टी पूजा के करने से हमारे घर में भी सुख-शांति बानी रहती है। घर में समृद्धि आती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

इस दिन महिलाएं निराहार रहकर इस व्रत को करती है। और दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन ग्रहण करती है और इस दिन हल के साथ-साथ बलराम की पूजा की जाती है। ऐसा करने से भगवान् बलराम अति प्रसन्न रहते है और अपना आशीर्वाद भी देते है। 

षष्टी की पूजा विधि – Shashthi Puja ki Vidhi 

  • हर छठ पर्व के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद साफ़ और स्वच्छ वस्त्र को धारण कर लें।
  •  फिर एक चौकी लें उस पर नीले रंग का साफ कपड़ा बिछाकर कलावे (रोली) से बांध दें। 
  • फिर उस चौकी पर भगवान् श्री कृष्ण और भगवान् श्री बलराम की मूर्ति या प्रतिमा को रख दें।
  • फिर भगवान श्री कृष्ण और बलराम को जल अर्पित करने के बाद चंदन लगाना चाहिए।
  • संभव हो सके तो भगवान् को नीले रंग के फूल चढ़ाएं। 
  • भगवान् श्री बलराम जी को नीले रंग के वस्त्र और भगवान् श्री कृष्ण को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • भगवान् बलराम का शस्त्र हल है। इसलिए उनकी प्रतिमा या मूर्ति पर एक छोटा हल रखकर उसका पूजन करना भी श्रेष्ठ रहता है।
  • इसके बाद भगवान् श्री कृष्ण और भगवान् श्री बलराम जी को भोग लगाएं।
  • इसके बाद धूप जलाकर और घी का दीपक जलाकर भगवान् की आरती कर लें।

षष्टी पूजा के लाभ – Shashthi Puja Ke Labh 

Shashthi Puja – षष्टी पूजा के अनेको लाभ होते है जैसे की इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति होती है। संतान की लम्बी उम्र होती है। और इस व्रत के करने से घर में सुख और शांति का वातावरण बना रहता है घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मनुष्य के जीवन में सुख और आनंद रहता और मरणोपरांत उस मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।  

 

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