Shani Grah Ke Upay
ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव का विशेष स्थान बताया गया है। शनि देव को कर्म का देवता भी कहा जाता है। शनिदेव व्यक्तियों को उनके द्वारा किए गए कर्मों के अनुरूप ही फल प्रदान करते हैं। अच्छे कर्म करने पर अच्छा फल प्रदान करते है और बुरे कर्म करने वाले को बुरा फल ही प्रदान करते हैं। ऐसी माना जाता है। कि शनिदेव गरीबों और असहायों पर अपनी विशेष कृपा बनाये रखते हैं। जो व्यक्ति हमेशा गरीबों की सहायता करते हैं। शनिदेव उन पर हमेशा अपनी कृपा को बनाये रखते हैं। Shani Grah Ke Upay और जो लोग गरीब और असहाय व्यक्ति को परेशान करते हैं। उन्हें शनिदेव के कोप(क्रोध) का शिकार बनना पड़ता है। शनिदेव के अशुभ होने की स्तिथि पर व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनिदोष लग जाता है। हमारे शास्त्रों में शनि के दोषों से मुक्त होने के लिए और अपनी कुंडली में शनि को मजबूत करने के लिए हमारे ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय भी बताए गए हैं।
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ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनिदेव अच्छे भाव के होते हैं। उस व्यक्ति को शनिदेव हमेशा शुभ और सकारात्मक फल प्रदान करते है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार शनिदेव तुला राशि में उच्च भाव के होते हैं। यानी शनि के तुला राशि में उच्च होने पर व्यक्ति को अच्छे,शुभ और सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं। Shani Grah Ke Upay शनिदेव के शुभ होने की स्तिथि में कर्मशील और न्यायप्रिय व्यक्ति बन जाता है। शनि देव के शुभ प्रभाव से व्यक्ति का भाग्य उज्जवल और प्रबल बना रहता है। उसे हर क्षेत्र में सफलताएं प्राप्त होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ होता है वह व्यक्ति हमेशा सकारात्मक रहता है। और अपनी आयु में वृद्धि करता है। और उम्र भर निरोगी जीवन व्यतीत करता है।
जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनिदेव अशुभ भाव के हो या शत्रु के साथ रहें। तो उनके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां बानी रहती हैं। शनि देव के कुंडली में कमजोर होने पर वह व्यक्ति गंभीर बीमीरियों से पीड़ित रहता है। कठोर कारावास की सजा भी भुगतता है। व्यक्ति को नौकरी नहीं मिलती है। और उसे व्यापार में घाटा होता ही रहता है। कमजोर शनि वाले व्यक्ति को बहुत ही कम भाग्य का साथ प्राप्त होता है।
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