घटस्थापना करने से पूर्व थोड़ा इसके बारे में जानिये: घट यानी मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिवस शुभ मुहूर्त में ईशान(उतर-पूर्व) कोण में स्थापित किया जाता है। घट में सर्वप्रथम थोड़ी-सी मिट्टी डाले, और फिर जौ(ज्वार) डालें। फिर उसके बाद एक परत मिट्टी की बिछा दीजिये। एक बार फिर ज्वर डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाइएं। अब इस पर पानी का छिड़काव करें। इस तरह ऊपर तक पात्र को मिट्टी से भर देवे। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजा करें। जहां पर घट स्थापित करना है, वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल रंग कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित कीजिए। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांध दीजिये।
अब एक तांबे के कलश में भर लीजिये और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र(बरतन) अर्थात घट(घड़ा) के उपर रख दीजिये। अब कलश के ऊपर पात रखें, पत्तों के मध्य में नाड़ा बंधा हुआ है, अब नारियल लाल रंग के कपड़े में लपेटकर रखें। अब घट और कलश का पूजन करें। फल ,मिठाई ,नैवेज्ञ आदि घट के आस-पास रखें। इसके बाद श्री गणेश भगवान की वंदना करें और फिर देवी का यज्ञ करें। अब देवी-देवताओं का यज्ञ करते हुए प्रार्थना करें कि
‘हे समस्त देवी और देवता, आप सभी 9 दिवस के लिए कृपया कलश में विराजित हों।
यज्ञ करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता कलश में विराजमान हैं और कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, भोग चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र(सुगन्धित पदार्थ) अर्पित करें, नैवेद्य (प्रसाद) यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।
आश्विन घटस्थापना रविवार, अक्टूबर 15, 2023 को
घटस्थापना मुहूर्त – 11:44 ए एम से 12:30 पी एम
समय – 00 घण्टे 46 मिनट्स
अभिजित मुहूर्त के दौरान घटस्थापना मुहूर्त निश्चित होता है।
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध चित्रा नक्षत्र के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2023 को 11:24 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समापन – अक्टूबर 16, 2023 को 12:32 ए एम बजे
चित्रा नक्षत्र प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2023 को 04:24 पी एम बजे
चित्रा नक्षत्र समापन – अक्टूबर 15, 2023 को 06:13 पी एम बजे
वैधृति योग प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2023 को 10:25 ए एम बजे
वैधृति योग समापन – अक्टूबर 15, 2023 को 10:25 ए एम बजे
नवरात्रि सबसे बहुप्रतीक्षण हिन्दू त्यौहार है, जो की नौ दिनों तक अपार भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। एक वर्ष में चार नवरात्र होती हैं जिनमें से शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि का बहुत अधिक प्रधानता है। कई अन्य अनुष्ठान और परंपराएं हैं जो इन दोनों नवरात्रि समारोहों के लिए समान हैं। ऐसा ही एक विशेष रिवाज है नवरात्रि घटस्थापना। शारदीय घटस्थापना, जैसा कि नाम से ही पता चलता है की इसमें घट या कलश की स्थापना की जाती है। यह अनुष्ठान नौ दिवसीय उत्सव और उमंग की शुरुआत का प्रतीक है।
अन्य जानकारी:-