Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
  • Home ›  
  • जयपुर के घाट के बालाजी का भव्य मंदिर आरती का समय |Ghat K Balaji Temple

जयपुर के घाट के बालाजी का भव्य मंदिर आरती का समय |Ghat K Balaji Temple

घाट के बालाजी
February 7, 2023

जयपुर के निकट घाट के बालाजी का भव्य मंदिर – Ghat K Balaji Temple

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर की गलता घाटी में स्थित घाट के बालाजी का मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है।  चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर देखने में मन को आकर्षित और मनमोहक लगता है। 

 घाट वाले बालाजी मंदिर में जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर आता है। उसके मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। इसी मान्यता के कारण यहां पर हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु घाट के बालाजी का आशीर्वाद लेने आते हैं। 

[the_ad id=”3463″]

 

घाट के बालाजी

 

 

घाट के बालाजी मंदिर में दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है  तो वे यहां पर सवामणी का आयोजन भी करते हैं।  जिसमें चूरमे का भोग श्री बालाजी महाराज को लगाया जाता है जो कि यहां प्रमुख रूप से प्रसिद्ध है। 

घाट वाले बालाजी का मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घाट वाले बालाजी का मंदिर गलता धाम से कुछ दूरी पर स्थित है।  घाट के बालाजी मंदिर के पास ही सिसोदिया रानी बाग स्थित है। 

जयपुर के  महाराजा जयसिंह का मुंडन संस्कार इसे बालाजी मंदिर में हुआ था। घाट के बालाजी मंदिर को जयपुर के राजाओं के कुल देवता के रूप में जाना जाता है।  

 

घाट के बालाजी मंदिर का इतिहास

 

घाट वाले बालाजी मंदिर को लेकर इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर में 1965 में पौष बड़ा आयोजन की शुरुआत हुई थी,जो आगे चलकर लक्खी पौष बड़ा महोत्सव के नाम से जाने जाने लगा और धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे जयपुर शहर में फैल गई।  आज जयपुर शहर के हर मंदिर में  पौष बड़ा  प्रसादी का आयोजन होता रहता है।  इसी के साथ अन्नकूट महोत्सव के साथ चौदस को मंदिर में विशेष रुप में प्रसादी का आयोजन होता है। 

माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी महाराजा का जन्मदिन मनाया जाता है।  भाद्रपद में 6 कोसी और 12 कोसी परिक्रमा होती है। जयपुर शहर में निकलने वाली प्राचीन मंदिरों की परिक्रमा का  विश्राम स्थल घाट के बालाजी का मंदिर की है। 

 

घाट के बालाजी मंदिर की वास्तुकला

 

घाट के बालाजी मंदिर का निर्माण दक्षिणशैली से हुआ है। घाट के बालाजी मंदिर के गर्भ गृह के दाहिने हाथ पर कुछ ऊंचाई पर शिवजी का और पंच गणेश जी  का मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर दर्शन शैली से बना हुआ है। इस ही स्थान पर पहले लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर भी हुआ करता था।  जिसे बाद में जामडोली ने विराजित कर दिया गया। 

इसके बाद यहां पर शिवजी के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई और मंदिर के बाहर पंच गणेश जी को विराजित किया गया। गणेश जी की मूर्तियां 40 वर्ष पहले मंदिर की सफाई अभियान के दौरान जमीन से निकाली गई। 

गणेश जी की मूर्तियां जिसके पास महिषासुर मर्दिनी और उसके पास शिव मंदिर चुने से ढका हुआ था। चुने को पूर्ण रूप से हटाने में 1 वर्ष का समय लगा और जब  पूर्ण रूप से चुने को हटाया तब मंदिर की आकृतियां और मूर्तियां दिखाई देने लगी।  जिन्हें बाद में  मंदिर में स्थापित कर दिया गया। 

 

घाट के बालाजी मंदिर में आरती का समय

 

जयपुर की घाट के बालाजी का मंदिर प्राचीन मंदिर मे माना जाता है।  घाट के बालाजी को  जयपुर का कुल देवता भी माना जाता है।  प्राचीन समय में मंदिर के आसपास कई सारे तालाब और पानी के  कुंड बने हुए थे। जिसके कारण इस  स्थान का नाम घाट वाले बालाजी पड़ गया।  

घाट वाले बालाजी मंदिर में प्रात 5:00 बजे बालाजी को स्नान कराया जाता है और उसके बाद बालाजी का श्रृंगार किया जाता है। घाट वाले बालाजी मंदिर में बालाजी की पहली आरती 7:00  होती है। और शयन आरती रात्रि 10:00 बजे होती है और बालाजी को भोग लगाकर मंदिर के पट बंद कर दी जाता है।  

 

घाट के बालाजी

 

 

 ऐसा माना जाता है कि दोपहर में 12:00 बजे से 3:00 बजे तक घाट वाले बालाजी के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की मन्नत जल्दी पूर्ण होती है। 

 घाट वाले बालाजी मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को बालाजी का चोला बदला जाता है 

Latet Updates

x