अहोई अष्टमी पूजा विधि के दौरान सर्वप्रथम प्रातःकाल नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहनिए। इसके पश्चात पूजन स्थल को साफ-सफाई करके उपवास का संकल्प लीजिये। और पुरे दिन भर निर्जला उपवास का पालन कीजिये। इसके पश्चात माँ दुर्गा और अहोई माता जी का ध्यान करते हुए शुद्ध घी दीपक जलाएं। आराधना स्थल को साफ करके उत्तर व पूर्व दिशा या ईशान कोण में चौकी को स्थापित करें। चौकी को गंगाजल छिड़कर उसे पवित्र करके उस पर लाल या पीला रंग वस्त्र बिछाइये।इसके बाद माता अहोई जी की मूर्त स्थापित करें।अब गेंहू के दानों से चौकी के बीच में एक ढेर बनाइये, इस पर जल से भरा एक तांबे का कलश जरूर रखिये।इसके बाद माता अहोई जी के चरणों में मोती की माला या चांदी के मोती रखिये।
अहोई अष्टमी पूजा विधि को ध्यान में रखते हुए हमे आचमन विधि करने के बाद,चौकी पर धूप-दीपक जलाएं और अहोई माता जी को पुष्प (फूल) चढ़ाइये।इसके पश्चात अहोई माता जी को रोली, दूध और भात का अर्पण कीजिये।बायना के साथ 8 पूड़ीया, 8 मालपुए एक कटोरी में लेकर चौकी के ऊपर रखिये।इसके पश्चात अपने हाथ में गेहूं के सात दानो और फूलों की पंखुडिया लेकर अहोई माता जी की कहानी पढ़िए।
अहोई अष्टमी माता की कहानी पूर्ण होने पर, अपने हाथ में लिए गेहूं के दानो और पुष्प (फूल) माता जी के चरणों में अर्पित कर दीजिये। इसके उपरांत मोती की माला या चांदी के मोती एक साफ दागे या कलावा में पिरोकर गले में पहनिए।अब तारों और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर इनकी पंचोपचार (हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प और भोग) के द्वारा पूजा कीजिये।पूजा में रखी गई दक्षिणा अर्थात बायना अपनी सास (माँ) या घर की बुजुर्ग महिला को दें और उनका आशीर्वाद ले।अंत में जल को ग्रहण करके अपने उपवास का पूरा करें और भोजन को ग्रहण कीजिये।
अहोई अष्टमी पूजा विधि की सामग्री की सूची | Ahoi Asthami Puja Vidhi Samagree
ज़य अहोई माता ज़य अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत हरि विष्णु धाता॥
ब्राहमणी रुद्राणी कमला तू हे है जग दाता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥
माता रूप निरंजन सुख संपत्ती दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥
तू हे है पाताल बसंती तू हे है सुख दाता।
कर्मा प्रभाव प्रकाशक जज्निदधि से त्राता॥
जिस घर तारो वास वही में गुण आता।
कर ना सके सोई कर ले मन नहीं घबराता॥
तुम बिन सुख ना होवय पुतरा ना कोई पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥
सुभ गुण सुन्दर युक्ता शियर निदधि जाता।
रतन चतुर्दर्श तौकू कोई नहीं पाता॥
श्री अहोई मा की आरती जो कोई गाता।
उर् उमंग अत्ती उपजय पाप उत्तर जाता॥
अहोई अष्टमी पूजा विधि – अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat 2023) करवा चौथ व्रत के चार दिन पश्चात और दिवाली से आठ दिन पहले रखा जाता है। उत्तर भारत में इस व्रत का बहुत महत्व है। अहोई अष्टमी को अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। इस उपवास को निर्जला रखा जाता है। पूजन के बाद सितारों को देखकर और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस उपवास को खोला जाता है। व्रत करने वाली माताए अहोई माता जी से अपनी संतान की दीर्घायु और उनके लिए खुशहाली मांगती हैं। अहोई अष्टमी के व्रत करने से सम्पूर्ण मनोकामनाए पूरी हो जाती है।
अहोई माता की पूजा का शुभ मुहूर्त | Ahoi Mata Ki Puja Ka Muhurat
रविवार, 05 नवंबर 2023
तारों को देखने का सायं काल का समय: 05:58 अपराह्न लगभग।
अष्टमी तिथि शुरू: 05 नवंबर 2023 पूर्वाह्न 00:59 बजे।
अष्टमी तिथि समाप्त: 06 नवंबर 2023 पूर्वाह्न 03:18 बजे।
अन्य जानकारी :-