लक्ष्मी पूजा – सर्वप्रथम चौकी के ऊपर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्तियां रखें। उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रखिये । लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्तियाँ दाहिनी ओर रखे।
लक्ष्मी पूजा – पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ ही बैठें। कलश को लक्ष्मी जी के समीप चावलों पर ही रखें। नारियल को लाल रंग के वस्त्र में इस प्रकार लपेटें की नारियल का आगे का भाग दिखाई देता रहे व इसे कलश के ऊपर रखें। यह कलश अम्बुनाथ का प्रतीक है।दो बड़े दीपक रखें। एक घी का और दूसरा तेल का दीपक। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में रखे। एक दीपक गणेश जी के समक्ष रखें। मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी को रखकर उसके ऊपर पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुठी चावल से लाल रंग के कपडे पर नवग्रह की प्रतीक की नौ ढेरियां बनाएं। गणेश जी की ओर चावल की सोलह ढेर बनाएं। ये सोलह मातृका का चिन्ह हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के मध्य स्वस्तिक का प्रतीक बनाएं।इसके मध्य में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी बनाये। सबसे ऊपर की ऒर बीचों-बीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली को व जल भरकर कलश रखिये ।
लक्ष्मी पूजा – इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य को आपकी बाईं ओर बिठाइये। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बिठाइये।
लक्ष्मी पूजा की चौकी –
(1) लक्ष्मी मूर्ति (2) गणेश मूर्ति, (3) मिट्टी के दो बड़े दीपक, (4) कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण (5) नवग्रह, (6) षोडशमातृकाएं, (7) कोई प्रतीक, (8) बहीखाता, (9) कलम और दवात, (10) नकदी की संदूकची, (11) 3-थालियां (12) जल का पात्र, (13) यजमान, (14) पुजारी, (15) परिवार के सदस्य, (16) आगंतुक।
लक्ष्मी पूजा – सम्पूर्ण सामग्री को एकत्र करने के पश्चात और सारी तैयारी पूरी होने के बाद कैसे करें लक्ष्मी जी की पूजा, जानें यहां-
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हस्तो को खोलिये और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को साफ़ कर ले. वापस तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि कीजिये।आचमन करने से विद्या तत्व, बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है। तथा तिलक व अंग न्यास से मनुष्य पूजन के लिए पवित्र हो जाता है।
आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर(ध्यान) कीजिए। और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए, क्योंकि भगवान के साक्षात रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के शुरू में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में फूल ,अक्षत और थोड़ा जल को लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए ईश्वर को प्रणाम किया जाता है।
लक्ष्मी पूजा – लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्तियाँ, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी स्नान के लिए साफ़ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिए एक बड़ी व दो छोटी तौलिया हो। बहीखाते, सिक्कों की थैली, लेखनी, काली स्याही से भरी दवात, तीन थालियाँ, एक साफ कपड़ा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी के बड़े और छोटे दीपक, रुई, माचिस, सरसों का तेल, घी, दूध, दही, शहद, शुद्ध जल।
पंचामृत (दूध, दही,घी, शहद, व शुद्ध जल का मिश्रण)
मधुपर्क (दही,दूध,शहद व शुद्ध जल का मिश्रण)
लक्ष्मी पूजा – हल्दी और चूने का पाउडर, रोली, चन्दन का चूरा,आधा किलो साबुत चावल, कलश,दो मीटर लाल वस्त्र, हाथ पोंछने के लिए कपड़ा, कपूर, नारियल, गोला, मेवा, फूल, गुलाब अथवा गेंदे की माला, दुर्वा, पान के पत्ते, सुपारी, पताशे, खांड के खिलौने, मिठाई, फल, साड़ी आदि, सूखा मेवा, लौंग, छोटी इलायची, केसर, सिन्दूर, कुमकुम, गिलास, चम्मच, प्लेट,कटोरी, तीन गोल प्लेट, द्वार पर टाँगने के लिए वन्दनवार। ध्यान में रहे लक्ष्मी जी की पूजा में चावल का प्रयोग नहीं होना चाहिए।पंचमेवा गतुफल सेब, केला, दो कमल,लक्ष्मीजी के हवन में कमलगट्टों को घी में भिगोकर अवश्य अर्पण करना चाहिए। कमल के गट्टों की माला द्वारा किए गए माँ लक्ष्मी जी के जाप का विशेष महत्व बताया है।
अन्य जानकारी : –