वरलक्ष्मी पूजा विधि -Varalakshmi Pooja Vidhi
वरलक्ष्मी व्रत के दिन में महिलाएं अपने परिवार के सुखी जीवन के लिए उपवास रखती हैं और व्रत रखकर मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं। घर की साफ-सफाई के उपरांत स्नान करके ध्यान से पूजा के स्थल को गंगाजल से शुद्ध(पवित्र) करना चाहिए। इसके बाद उपवास का संकल्प करना चाहिए।
माता लक्ष्मी जी की मूर्ति को नए वस्त्र, आभूषण और कुमकुम से सजाइये। ऐसा करने के बाद माता लक्ष्मी जी की मूर्ति को पूर्व दिशा में गणेश जी की मूर्त के साथ फर्श पर रखें, और पूजा स्थल पर थोड़ा-सा तंदू फैलाएं। एक घड़े में जल को भर कर कटोरी में रख दीजिये। इसके बाद कलश के चारों ओर चंदन लगाएं।
कलश के पास पान, सिक्का, सुपारी, आम के पात (पते) इत्यादि रख दीजिये। इसके बाद नारियल पर चंदन, हल्दी व कुमकुम लगाकर कलश पर रख दीजिये। थाली में लाल रंग का वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीपक़, धूप आदि से माता लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। मां की मूर्त के समक्ष दीपक जलाएं और वरलक्ष्मी उपवास की कथा भी पढ़ें। पूजा के समापन के बाद महिलाओं को नैवेज्ञ (प्रसाद) बाँटिये।
इस दिन उपवास निष्फल रहना चाहिए। रात में आरती-अर्चना के बाद आटा गूंथना बहुत ही उचित माना जाता है। इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है।
वरलक्ष्मी व्रत पूजा के लिए आवश्यक वस्तुओं को पहले ही एकत्रित कर लेना चाहिए। इस सूची में दैनिक पूजा में उपयोग में आने वाली वस्तु शामिल नहीं की गई है। परन्तु यह केवल उन वस्तुओं को सूचीबद्ध करता है जो विशेष रूप से वरलक्ष्मी व्रत पूजन विधि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पुराणों,वेदो और शास्त्रों के अनुसार वरलक्ष्मी जयंती सावन के माह शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत विवाहित जोड़ों को संतान प्राप्ति का सुख परदहां करता है। स्त्रीत्व के व्रत के कारण सुहागन महिलाएं इस व्रत को बड़े उमंग और उत्साह के साथ रखती हैं। इस व्रत को करने से इस व्रत से सुख, धन और समृद्धि शीघ्र ही प्राप्ति होती है। वरलक्ष्मी व्रत रखने से अष्टलक्ष्मी पूजन के समान फल(सुख,धन,समृद्धि ) की प्राप्ति होती है।अगर पति यह व्रत पत्नी के संग रखता है, तो इसका महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। यह व्रत कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में बड़े उत्साहऔर उमंग के साथ मनाया जाता है।और यह व्रत यह बहुत ही प्रचलित है।
ज्योतिष शास्त्रानुसार माता लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए सबसे ठीक समय उचित लग्न के दौरान होता ही है।माना जाता है कि यदि निश्चित लग्न के दौरान माँ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, तो माँ लक्ष्मी दीर्घकालिक समृद्धि प्रदान करती है।
25 अगस्त 2023, दिन – शुक्रवार
वरलक्ष्मी पूजा के लिए कोई भी उपयुक्त समय चुना जा सकता है। हालांकि,सायं (शाम) का समय जो प्रदोष के साथ आता है। देवी लक्ष्मी का पूजन करने के लिए सबसे उचित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिवस माँ वरलक्ष्मी की पूजा करना अष्टलक्ष्मी यानी धन की आठ देवियों(माताएं) आदि लक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी की पूजा करने के बराबर है। उत्तर भारत के मुकाबले यह व्रत दक्षिण भारत में अधिक महत्वपूर्ण है। वर-लक्ष्मी व्रत माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और आशीर्वाद लेने के लिए सबसे उचित दिनों में से एक है।