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Good Friday 2023 | गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है , महत्व | गुड फ्राइडे 2023

गुड फ्राइडे 2022
September 27, 2021

जानिए Good Friday 2023 गुड फ्राइडे 2023 के बारे में और इसे क्यों मनाया जाता है,  ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया गया था और वह कौन थे, गुड फ्राइडे कैसे मनाते हैं और इसका क्या महत्व है?

 

वर्ष 2023 में गुड फ्राइडे 7 अप्रैल शुक्रवार 2023 के दिन मनाया जायेगा।  गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह दिन शोक दिवस की भांति होता है। इस दिन शोक इसलिए प्रकट किया जाता है, क्योंकि गुड फ्राइडे के दिन ही  ईसा मसीह को शारीरिक यातनाएं दी गई थी। इस दिन लोग कालेे रंग के कपडे पहन कर चर्च जाते हैं और शोक व्यक्त करते हैं। ईसा मसीह ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज की भलाई में न्योछावर  कर दिया था। सदैव भलाई करने वाले जीजस का लोग बहुत आदर करते थे। इसी इर्शा के चलते उन पर अत्याचार किए गए थे। जिसके बाद उनको सूली पर चढ़ाया था। परन्तु वो कभी नहीं मरे हमेशा दिलो में जीवित है और रहेंगे।  

 

ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह को भगवान के रूप में देखते हैं। इसलिए उनके द्वारा सहन की गई पीड़ा को याद करके वह इसदिन को शोक दिवस की तरह मनाते है। इस दिन जीजस ने अपने प्राण त्याग दिए थे, लेकिन उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसी कारण से इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है। शांति के पुजारी की हत्या के रूप में शोक व्यक्त करके इस दिन को पूरे भारत एवं विश्व के कोने कोने में मनाया जाता है। भारत में भी ईसाई धर्म के लोगों की भारी संख्या है। इस दिन भारी मात्रा में लोग चर्च के इकट्ठा होते नज़र आते हैं। ईसाई धर्म में क्राॅस को प्रभु जीजन का प्रतीक माना जाता है और इसदिन इस प्रतीक को चूम कर उनको याद किया जाता है। 

 

गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है?

ईसा मसीह स्वयं को भगवान का पुत्र मानते थे और लोगों की भलाई के लिए उनका मार्गदर्शन करते थे। यहूदियों के धर्मगुरुओं को इस बात से बहुत ईर्ष्या होती थी। रोमन गर्वन पिलातुस से कट्टरपंथी धर्मगुरुओं द्वारा शिकायत करने पर ईसा मसीह को शारीरिक यातनाएं दी गई थी। इस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया गया था। उनको सूली पर लटकाने के पीछे की कहानी बहुत ही रोचक है। इसके बारे में आपको हम आगे बताएंगे। 

 

इस दिन मानवता, भाई चारा, शांति और एकता का संदेश देने के लिए इस दिन को ईसाई धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन जीजस को क्राॅस पर लटकाया गया था, लेकिन इतनी पीड़ा को सहन करने के बाद भी अपने मार्ग से भटके नहीं थे। बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए इसी क्राॅस का प्रयोग ईसाई धर्म में आज भी किया जाता है। इस क्राॅस को सत्यता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

 

ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया गया था?

ईसाई धर्म के अनुसार लगभग दो हजार साल पहले ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया था। वह लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान बताते थे। इसी के साथ साथ वह अपने ज्ञान से लोगों का मार्गदर्शन करते थे। उन्होंने बुराई के अंधकार को खत्म कर अच्छाई प्रकाश लोगों पर डाला था। 

 

ईसा मसीह के प्रति लोगों की श्रद्धा देखकर यहूदियों के अधिकतर धर्मगुरु उनसे ईष्र्या करते थे। ईसा मसीह स्वयं को भगवान का पुत्र बताते थे। उनकी यह बात यहूदी धर्मगुरुओं को एक बड़े पाप से कम नहीं लगती थी। कई बार कट्टरपंती धर्मगुरुओं ने ईसा मसीह का विरोध किया क्योंकि सोमनों को यहूदी क्रांति का भय बना लगता था। यहूदी धर्मगुरुओं ने मिलकर इस घटना की शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस से की। पिलातुस यहूदी धर्मगुरुओं का बहुत आदर करता था और उनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन करने का प्रयास करता था। 

 

इसलिए धर्मगुरुओं की इस शिकायत पर उसने ईसा मसीह को सूली पर लटकाने की सजा सुना दी। इस दिन क्रूज पर लटकाने के साथ साथ उन पर बहुुत अत्याचार किए गए। उनको क्राॅस पर लटकाने के लिए उनके शरीर में कीलें लगा दी गई थी। जीजस को बिना किसी गलती से इतनी हैवानियत से यातनाएं दी गई कि जिसे देखकर लोगों के दिल दहल गए थे। 

कहा हुई थी ईसा मसीह की मृत्यु 

ईसाई मान्यताओं के अनुसार गोलगोथा नामक स्थान पर ही उनकी हत्या की थी। इस स्थान पर ही उनको कांटों का ताज पहनाया गया था और प्रभु यीशु को अपने कंधों पर सूली ले जाने के लिए विवश कर दिया था। इस दौरान प्रभु ईसा मसीह पर चाबुक भी बरसाए गए थे। माना जाता है कि इस टीले पर स्थित स्थान पर जीजस ने पूरे छह घंटे सूली पर लटकने के बाद अपने प्राण त्यागे थे। इस समय पूरे तीन घंटो तक पूरे क्षेत्र में अंधकार छा गया था और कब्रों के कपाट अपने आप ही खुल गए थे। लेकिन निर्दयी पिलातुस ने अपना इरादा नहीं बदला और प्रभु यीशु द्वारा कहे वचनों को दोष मान कर उनकी हत्या कर दी। ईसा ने मात्र यही कहा था कि वह ईश्वर के पुत्र हैं।

 

इतना हो जाने के बाद भी जीजस ने किसी भी प्रकार का विरोध नहीं किया। अपने प्राणों का त्याग करते समय भी यीशु ने प्रार्थना की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि हे भगवान इनको क्षमा कर देना, यह नहीं जानते यह क्या कर रहे हैं। उनको अभी अच्छे और बुरे का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं है। 

 

कैसे मनाया जाता है ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे

इस दिन ईसाई धर्म के अनुयायी घरों से सजावट का सामान हटा देते हैं और न हटाए जाने वाले सामान को कपड़े के प्रयोग से ढक दिया जाता है। इस दिवस के चलते आस्था के साथ लोग चर्च जाकर प्रार्थना करते हैं और अपने यीशु भगवान को प्रसन्न करने के लिए गीत गाते हैं। इस दिन को उपवास रखकर भी मनाया जाता है। इस दिन की तैयारी चालीस पूर्व की आरंभ कर दी जाती है। इस दिन ईसाई धर्म के लोग सात्विक भोजन को ग्रहण करते हैं। इन 40 दिनों में लोग शोक प्रकट करते हैं और चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं। 

 

इस दिन भगवान जीजस के अंतिम वाक्यों को याद किया जाता है। भगवान ईसा मसीह के कुछ अनुयायी चालीस दिनों तक व्रत का पालन करते है। कुछ स्थानों पर इस दिन नृत्य का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन लोग मीठे में चाॅकलेट देकर और एक दूसरे को फूल देकर इस दिन को मनाते हैं। वहीं कुछ लोगों द्वारा केक और कार्ड देकर इस दिन को मनाया जाता है। चर्च में जाकर लगातार तीन घंटो तक भगवान यीशु द्वारा सहन की गई पीड़ाओं को याद किया जाता है। क्राॅस के समीप खड़े होकर इस समय को व्यतीत किया जाता है। इस दिन का पद यात्रा निकाल कर भी मनाया जाता है। इस दिन लोग दान करते हैं और इस धन का एत्रित करके सामाजिक कार्याें में प्रयोग किया जाता है। 

 

इसे कब मनाया जाता है?

हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र मास के समय प्रतिपदा के समय से इस दिन का आरंभ हो जाता है। वहीं ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन की शुरुआत क्रिसमस का दिन समाप्त होते ही हो जाती है। इस दिन को ऐश वेडनस्डे कहा जाता है। इस दिन से लेकर गुड फ्राइडे तक इस दिन को मनाया जाता है। गुड फ्राइडे के समापन के समय को लेंट नाम से भी जाना जाता है। 

 

वर्ष 2023  में कब है  गुड फ्राइडे

साल 2023  में 7  अप्रैल को शुक्रवार के दिन गुड फ्राइडे मनाया जाएगा। 

 

इस दिन अवकाश होता है, जिसमें लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं और भगवान ईसा मसीह के लिए गाने गाते हैं। 

 

इस शोक दिवस के बाद आने वाले रविवार ईस्टर रविवार के रूप में मनाया जाता है। यह अवकाश वाला दिन ईसाई धर्म में ईस्टर त्योहार की तरह होता है। ईसाई मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही उनके भगवान पुन जीवित हो गए थे। इसलिए इस दिन को मृतोत्थान रविवार का नाम दिया गया है। 

 

गुड फ्राइडे के दिन घंटी बजाने के बजाए लड़की को खटखटाने की ध्वनि को उत्तम माना जाता है। भगवान यीशु अपनी मृत्यू के कुछ दिनों के बाद ही जिंदा हो गए थे। इस दिन को पवित्र मानकर इस ईस्टर रविवार मानकर यीशु के वापिस आने की ख़ुशी में ईसाईयों द्वारा मनाया जाता है। 

 

कौन थे ईसा मसीह

वर्तमान समय से हजारों साल पहले नासरत में गेब्रियल नाम के एक दूत ने मरियम को अपने अमोघ दर्शन दिए थे। इस दर्शन के समय उन्होंने कहा था कि आप एक पवित्र आत्मा को पुत्र के रूप में जन्म देने वाली है। इसका नाम यीशु रखा जाएगा। बैतलहम में मरियम ने एक बालक को जन्म दिया। आज भी बाइबल यीशु के जन्म की तिथि बताने में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं है। 

 

ग्रेट फ्राइडे को ईसाई धर्म में महत्व

ग्रेट फ्राइडे भी गुड फ्राइडे को ही कहा जाता है। ईसाई धर्म के लोगों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन को शोक दिवस मानकर लोग अपने घरों से सजावट के सामान को घर से हटा देते हैं। कई लोग सजावट के सामान को कपड़े से छुपा देते हैं। इसे होली फ्राईडे पवित्र दिन की वजह से कहा जाता है। होली शब्द का अर्थ पवित्रता होता है। इस दिन ईसा मसीह ने प्राण त्याग दिए थे, इसी कारण से कुछ ईसाई धर्म के अनुयायी इसे ब्लैक यानि बुरा दिन मानकर ब्लैक फ्राइडे बुलाते हैं। 

 

जीजस क्राइस्ट ने अपने जीवन का कुछ समय भारत में बीताया है। इसलिए भारतवर्ष में भी इस त्योहार का महत्व बहुत की बड़ जाता है। भारत में आने के बाद उन्होंने योग और तांत्रिक साधना सीखने का प्रयास भी किया था। सूली में लटकाए जाने के दो दिन बाद वह दोबारा जीवित हो गए थे। इसलिए ग्रेट फ्राइडे के दो दिनों बाद आने वाले रविवार को भी ईसाई धर्म के लोग बहुत ही खुशी से मनाते हैं। ग्रेट फ्राइडे के दिन को उत्तरी आयरलैंड, इंग्लैंड और वेल्स में अवकाश किया जाता है। यही नहीं भारत में भी अधिकतर स्थानों पर इस दिन अवकाश होता है। 

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