गलता जी मंदिर का इतिहास,वास्तुकला,जल कुंड | Galtaji Temple

गलता जी मंदिर-Galtaji Temple

राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक पौराणिक हिंदू तीर्थ स्थल है। अरावली पर्वत श्रंखला मे  बना  यह तीर्थ स्थल गलता जी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां कई सारे मंदिर ,पवित्र कुंड, मंडप, प्राकृतिक झरने बने हुए हैं। यह मंदिर एक सुंदर पहाड़ी इलाके के बीचो बीच में स्थित है जो एक खूबसूरत घाट से घिरा हुआ है।  यहां हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। 

 गलता जी मंदिर का निर्माण  गुलाबी रंग बलुआ पत्थर से किया गया था। गलता जी मंदिर एक बहुत विशाल परिसर के रूप  मे  किया गया हैं। जिसके अंदर कई सारे देवी देवताओं के मंदिर स्थित है। सिटी पैलेस के अंदर इस मंदिर की दीवारों पर प्राचीन चित्रकारी देखने को मिलती है।  जो कि इस मंदिर को और भी मनमोहक बना देते हैं।  गलता जी मंदिर अपनी वास्तुकला की वजह से सुप्रसिद्ध है।  इस मंदिर का निर्माण किस तरह से किया गया था कि देखने  देखने में यह  मंदिर किसी महल से कम ना लगे। 

यह अद्भुत मंदिर किसी भी  पारंपारिक मंदिर से तुलना करने पर एक भव्य महल यह हवेली जैसा प्रतीक होता है।  इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां लगभग हर जनजाति के वानर देखने को मिल जाएंगे।  प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है जिसके कारण यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

 

गलता जी मंदिर

 

 गलता जी मंदिर का इतिहास – History Of Galtaji Temple In Hindi

गलता जी मंदिर को लेकर इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर  16 वीं शताब्दी  की शुरुआत में रामानंदी संप्रदाय के लोगों द्वारा बनवाया गया था।  इस मंदिर की संरचना गुलाबी  बलुआ पत्थर से दीवान राव कृपाराम द्वारा बनवाई गई थी।  जोकि जयपुर के तत्कालीन राजा जय सिंह द्वितीय  के दरबार में दरबारी थे। 

 माना जाता है कि संत गालव ने 100 साल तक तपस्या करते हुए अपना संपूर्ण जीवन इसी स्थान पर बिताया और इसी स्थान पर लीन हो गए। 

 उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया।  उन्हीं के आशीर्वाद स्वरुप इस पवित्र स्थान के जल को अद्भुत शक्तियां मिली। लोगों का मानना है कि गलता जी मंदिर के घाट में बने कुंड में नहाने से पाप और दोषों से मुक्ति मिलती है। 

बाद में उन्हीं संत की स्तुति करने के लिए गलता जी मंदिर का निर्माण किया गया और उन्हीं के नाम पर गलता जी नाम रखा गया।  कुछ विद्वानों का मानना है कि इसी जगह पर तुलसीदास द्वारा पवित्र रामचरितमानस कुछ अंश लिखे गए हैं। 

 गलता जी मंदिर की वास्तुकला- Architecture Of Galtaji In Hindi

अरावली  की पहाड़ियों में स्थित गलता जी मंदिर चारों ओर से हरे भरे पेड़-पौधों और झाड़ियों से  घिरा हुआ है।  गलता जी मंदिर को गोल गुंबदनुमा छत और दीवारों पर प्राचीन चित्रकारी करके सजाया गया है।  गलता जी मंदिर के अंदर भगवान राम ,भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान के मंदिर भी स्थित है।  गलता जी मंदिर की एक प्राकृतिक खूबसूरती यह भी है कि यहां साल के 365 दिन प्राकृतिक ताजे पानी के झरने बहते रहते हैं।  और इसी के साथ यहां साथ पवित्र कुंड यानी पानी की टंकी है। इन सभी कुंडों में से गलता कुंड के पानी को सबसे पवित्र माना जाता है और इसकी खासियत यह है कि यह कभी सूखता भी नहीं है और हमेशा गोमुख से (Gaumukh)  शुद्ध और पवित्र  पानी बहता रहता है।

 

गलता जी मंदिर

 

गलता जी मंदिर में जल कुंड- Water Pool At Galtaji Temple In Hindi

गलता जी मंदिर अपने प्राकृतिक  जल स्रोत ,झरनों और ना  सूखने  वाले कुंडों के  लिए  जाना जाता है। यहां हर साल भक्तों का आना जाना लगा रहता है।  इसलिए यह सबसे ज्यादा धार्मिक और पूजनीय स्थान में से एक है।  गलता जी मंदिर में पानी स्वचालित रूप से टंकियों में इकट्ठा होता रहता है।  इसकी सबसे खास बात यह है कि इन टंकियों में जमा होने वाला पानी साल के 365 दिन बहता रहता है और ना ही यह कभी सोखता है। हिंदू त्यौहार मकर सक्रांति के मौके पर यहां लाखों की संख्या में भक्तजन पवित्र पानी में डुबकी लगाकर और मंदिर में पूजा अर्चना कर अपने सुखी जीवन के लिए कामना करते हैं।

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