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Dhusshera Kab Hai | दशहरा 2023 में कब है | कब मनाया जाता है | महत्व | मुहूर्त

Dhusshera Kab Hai
December 15, 2022

दशहरा कब है 2023 – Dhusshera Kab Hai 2023 in Hindi

 

आइये जानते है दशहरा पर्व के बारे में और Dhusshera Kab Hai, दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में माना जाता है।  इसे विजया दशमी के नाम से भी जाना जाता है ,दशहरा पर्व हर वर्ष अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन ये पर्व आता है,इस पर्व को पुरे भारत वर्ष में बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है ,क्योकि इसी दिन भगवन श्री राम जी लंकेश रावण का वध किया था और माँ दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। दशहरा पर्व पर हर साल रावण,मेघनाद,और कुम्भकरण का पुतला जलाया जाता है,और माँ दुर्गा की मूर्ति \प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है।  

 

दशहरा पर्व का महत्व -Dussehra Parw Ka Mahatva 

Dhusshera Kab Hai

Dhusshera Kab Hai  – दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत का पर्व माना जाता है, दशहरा के दिन माँ दुर्गा की पूजा करके पूर्ण विधि से पूजा पाठ करके माँ दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, इस दिन दुर्गाशप्तशती और माँ चंडी का पाठ किया जाता है हवन किया जाता है माँ दुर्गा की विशेष पूजा करने का विधान भी माना जाता है।  क्योकि माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक राक्षसो से निरंतर युद्ध कर के दसवें दिन महिषासुर का वध कर के संसार को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी, साथ ही इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम लंका पति रावण को युद्ध में हरा कर माता सीता को रावण के बंधन से मुक्त करवाया था, इसी उपलक्ष में दशहरा पर्व सम्पूर्ण भारत वर्ष में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। आइये जानते है Dhusshera Kab Hai 

 

वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्त – Versh Ke Sadhe Teen Muhurat (Dhusshera Kab Hai)

Dhusshera Kab Hai – हर साल दशहरा के साढ़े तीन मुहूर्त होते है.दशहरा पर्व अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह काल में मनाया जाता है. इस काल का समय सूर्यौदय के  बाद दशवें मुहूर्त से बारहवें मुहूर्त तक की होती है.दशहरा का दिन हिन्दू रीती रिवाज के अनुसार सबसे पवित्र दिनों में माना जाता है।  आगे हम जानेंगे की इस वर्ष Dhusshera Kab Hai .

वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्त कुछ इस प्रकार से है.(साल का सबसे शुभ मुहूर्त -चैत्र शुकल प्रतिपदा,अश्विनी शुक्ल दशमी,वैशाख शुकल तृतीया,एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा(आधा मुहूर्त)) यह शुभ अवधी किसी भी नये कार्य की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। 

1 पूजा -Pooja

 

Dhusshera Kab Hai – दशहरे के शुभ दिन पर राम,लक्ष्मण,सीता,हनुमान,माँदुर्गा,अपराजिता देवी,शस्त्र,ग्रन्थ  

औजार,और शमी वृक्ष की पूजा की जाती है। 

 

2 रावण दहन – Rawan Dahan

 

Dhusshera Kab Hai – इस दिन लोग अपने घरो में पूजा पाठ से निवृत हो कर रावण दहन का कार्यक्रम देखने जाते है और रावण दहन का आनंद लेते है। 

 

3 खरीददरी 

 

Dhusshera Kab Hai  – इस दिन वाहन,जमीन नए वस्त्र और भी अनन्य कोई और संपत्ति खरीदने का प्रचलन है। 

 

4 दशहरी – Dussehari

 

Dhusshera Kab Hai  – रावण दहन  के दिन बड़ो द्वारा बच्चो की दशहरी दी जाती है, दशहरी के रूप में बच्चो को रूपए ,इनाम आदि चीजे दी जाती है। 

 

5 मिलान समारोह

 

Dhusshera Kab Hai – इस दिन भारत में कई जगहों पर मिलान समारोह का कार्यक्रम भी रखा जाता है, इससे लोग आपसी मत भेद को भूलकर एक दूसरे के गले मिलते है,और मित्रता के रूप को बढ़ावा देते है।  

 

6 बड़ो का लेते है आशीर्वाद

 

Dhusshera Kab Hai – इस दीन लोग अपने बड़े बुजुर्गो के चरण स्पर्श करके उनका सानिध्य और आशीर्वाद लेने की परंपरा भी आज तक बानी हुई है। 

 

7 विजय तिलक

Dhusshera Kab Hai – इस दिन तिलक लगाकर ही रावण दहन का कार्यक्रम देखने जाते है,जा लौट कर घर एते है तब प्रवेश द्वार पर ही पुरुषो का तिलक लगाया जाता है और आरती उतार कर  कर स्वागत किया जाता है। 

 

8 गिलकी के भजिये

 

Dhusshera Kab Hai – इस दिन कई प्रकार के पकवान बनाकर गिलकी के पकोड़े बना कर खाने का भी प्रचलन है। 

 

9 सोना या शमी के पत्ते देने का रिवाज

 

Dhusshera Kab Hai  – रावण दहन के कार्यक्रम के बाद स्वर्ण के रूप में शमी के पत्ते एकदूसरे को देने की रिवाज आज भी जगहों पर निभाई जाती है। 

 

10 दीपक जलने का रिवाज

 

Dhusshera Kab Hai  – दशहरा पर्व के दिन शमी,पीपल, बरगद के वृक्ष के निचे और कई मंदिरो में दीपक जलाये जाते है लोग घरो में भी दीपक जलाते है इस दिन पटाखे फोड़ने का रिवाज भी है।  

दशहरा पर्व क्यों मनाया जाता है – Dussehra Kyo Manaya Jata Hai और Dhusshera Kab Hai

 

Dhusshera Kab Hai  – आइये जानते है दशहरा पर्व के बारे में,  ये बुराइयों पर अच्छाई की जीत का प्रतिक भी माना जाता है और जानिए इस वर्ष Dhusshera Kab Hai , इसी ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है सामान्यतः आज जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है, वैसे अपनी ख़ुशी को जाहिर करने की सबकी कला सबकी अलग अलग होती है,पुराने दिनों की मान्यता के अनुसार इस दिन औजारो एवं हथियारों की पूजा की जाती थी क्योकि वे इसे युद्ध में मिली जीत के जश्न के रूप में देखते थे,लेकिन इन सबके पीछे एक ही करण है बुराई पर अच्छाई की जीत.किसानो के लिए यह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलों की ख़ुशी और सैनिको के लिए दुश्मनो पर विजय पाने की ख़ुशी का पर्व है,इन्ही कुछ नेक कारणो के कारण ही दशहरा पर्व बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है 

दशहरा कब है 2023 – Dussehra Kab Hai 2023

 

Dhusshera Kab Hai  – दशहरा अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन ये त्यौहार मनाया जाता है यह नवरात्र के नौ दिन पुरे होने के बाद दसवें दिन मनाये जाने वाला त्यौहार है 

साल 2023 में ये 22 अक्टूबर को मंगलवार को मनाया जायेगा।इसे विजय दशमी या विजय पर्व के रूप में भी मनाया जाता है, भारत में बहुत सी जगहों पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है. बल्कि रावण की पूजा की जाती है यह जगह कुछ इस प्रकार है -कर्नाटक के कोलार, मध्यप्रदेश के मंदसौर, राजस्थान के जोधपुर, आंध्रप्रदेश के काकीनाडा, और हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ इत्यादि जगहों पर रावण की पूजा की जाती है। 

 

दशहरा पर्व की कहानी क्या है – Dussehra Parw Ki Kahani Kya Hai/ और Dhusshera Kab Hai

 

Dhusshera Kab Hai  – दशहरे पर्व के पीछे कई प्रकार की रोचक कहानिया है जिसमे सबसे प्रचलित कहानी ये है की इस दिन भगवान् श्री राम ने लंका पति रावण से  युद्ध कर उसका  वध करके रावण का घमंड को तोडना और बुराई का विनाश करना था,

Dhusshera Kab Hai  – भगवान् श्री राम अयोध्या के राजकुमार थे और राजा दशरथ के पुत्र थे। उनकी पत्नी का नाम सीता था और उनकर छोटे भाई का नाम लक्ष्मण था राजा दशरथ की पत्नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के लिए वनवास केलिए जाना पड़ा और अयोद्धया नगरी को छोड़ना पड़ा। उसी वनवास के समय के दौरान रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया, रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता था महाबलशाली राजा था उसके पास सोने की लंका थी जिसे उसने भगवान् शिव की कठोर तपस्या करके भगवान् शिव से वरदान में मांगी थी लेकिन उसमे अपार घमंड और अहंकार था।  रावण  भगवान् शिव का महान भक्त था और रावण अपने आप को भगवान् विष्णु का दुश्मन मानता था हकीकत में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे जबकि माता एक राक्षस कुल में उत्पन्न हुई थी इसीलिए रावण में ब्राह्मण के सामान तेज ज्ञान एवं राक्षस के सामान शक्ति थी और इन्ही दो बातो का रावण को बड़ा ही अहंकार था जिसे ख़त्म करने केलिए भगवान् विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था।  

रावण द्वारा माता सीता का अपहरण कर लेजाने के बाद राम ने अपनी सीता को वापस लेन के लिए रावण से युद्ध किया जिसमे वानर सेना और हनुमान से राम का साथ दिया,और इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान् श्री राम का साथ दिया और अंत में भगवान् श्री राम ने रावण का वध कर के रावण का घमंड को और उसके अहंकार का नाश कर दिया। इसी विजय के स्वरुप में दशहरा पर्व मनाया जाता है। 

 

 

आज दशहरा कैसे मनाया जाता है – Aaj Dussehra Kaise Manaya Jata Hai / Dhusshera Kab Hai

 

Dhusshera Kab Hai  – आज के समय में हिन्दू पौराणिक कथाओ की मान्यताओं को आधार मानकर मनाया जाता है,माता की नौ दिन की पूजा की समाप्ति के पश्च्यात दसवें दिन जश्न के तौर पर मनाया जाने वाला त्यौहार है, हमारे भारत देश में कई जगहो पर रामलीला का आयोजन भी होता है जिसमे कलाकर रामायण के पात्र बनते है और भगवान् श्री राम और रावण के बिच के युद्ध को एक नाटक के रूप में प्रदर्शित करते है।  इस वर्ष Dhusshera Kab Hai ये आप ऊपर पढ़ सकते है। 

 

दशहरा का मेला – Dussehra Ka Mela / जानिए 2023 me Dhusshera Kab Hai

 

Dhusshera Kab Hai – हमारे भारत देश में कई जगहों पर दशहरा का मेला भी लगता है जहा असंख्य लोगो की भीड़ होती है,वह पर कई खाने पिने की दुकाने होती है उसी में नाट्य नाटिका के कार्यक्रम का प्रदर्शन भी होता है।  

दशहरा के दिन लोग अपने वाहनों की सफाई करते है.व्यापारी अपने लेखा की पूजा भी करते है किसान अपने जानवरो की और फसल की पूजा भी करते है इंजीनियर अपने मशीन और औजार की और भारतीय सैनिक अपने हथियारों की पूजा करते है।  

इस दिन सभी पुरुष और बच्चे दशहरा के मैदान में जाते है और रावण,कुम्भकरण और रावण पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करते है अपनी ख़ुशी मनाते है सभी शहर वासी और ग्राम वासी एकसाथ इस अलौकिक जीत का जश्न मनाते है और आनंद लेते है,और शमी पत्र जिसे स्वर्ण पत्र भी कहा जाता है वो अपने घर पर लेट है।  

और पुरुषो के मेले से लौटने पर घर की स्त्रियां उन पुरुषो की तिलक लगाकर आरती उतार कर उनका स्वागत करती है पौराणिक कथाओ के अनुसार ऐसा माना जाता है की पुरुष अपनी बुराइयों को त्याग कर वापस लौटा है इसलिए उसका स्वागत किया जाता है  

इसके बाद वे पुरुष शमी पत्र अपने घर के बड़े बुजुर्गो के देते है और उनके चरण स्पर्श करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते है अपने से छोटो को प्यार देते है और बराबर वालो के गले मिल कर बधाईया देते है और अपनी ख़ुशी मनाते है 

यदि संक्षिप्त में कहा जाये तो ये त्यौहार सभी गीले शिकवे को भुला कर भाईचारा को बढ़ावा देने का पर्व है,जिसमे मनुष्य अपने ह्रदय में भरे मेल,घृणा बैर आदि को मिटा कर इस त्यौहार के माध्यम से एक दूसरे से वापस मिल जाते है,

हमारे देश में धार्मिक त्योहारों और मान्यताओं के पीछे बस एक ही भावना होती हैं ,वो है प्रेम, सदाचार ये पर्व हमे हमारी एकता की यद् दिलाता है जिसे हम समय के साथ भूलते जा रहे है ऐसे हालातो में हमे हमारे ये त्यौहार ही हमे आपस में बांध कर रखते है 

 

दशहरे का बदलता रूप – Dusshera Ka Badalta Roop/ 2023 में Dhusshera Kab Hai

Dhusshera Kab Hai – जैस कि हम जानते है की आज के इस कलियुगी दौर में त्यौहार अपनीओ वास्तविकता से अलग होकर आधुनिक रूप ले रहा है इसी काराण त्योहारों का महत्व काम दिखाई दे रहा है जैसे

  • दशहरा पर एक दूसरे के घर जाने का रिवाज था, जो अब ये रिवाज मोबाइल कॉल और इंटरनेट मैसेज ने लेली है 
  • किसी के घर खली हाथ नहीं जाते थे,इसलिए शमी पत्र ले जाते थे और अब इसकी जगह मिठाई और तोहफे ले जाने लगे है,इसी कारण अर्ग्नल खर्चे होने लगे है और हमारे त्यौहार प्रतिस्पर्धा के त्यौहार बनते जा रहे है,
  • पहले रावण दहन के जरिये पौराणिक कथाओ को यद् किया जाता था जिससे सभी को घमंड और अहंकार न करने का सन्देश मिलता था और अब अलग अलग प्रकार के पठाखे फोड़े जाते है जिससे फिजूल खर्चे को बढ़ावा मिलता है और हमारे पर्यावरण को भी नुकसान होता है और दुर्घटनाओं को भी बढ़ावा मिलता है,

Dhusshera Kab Hai  – कुछ इसी प्रकार के आधुनिकरण के कारण त्योहारों का रूप दिन प्रति दिन बदलता जा रहा है और कही न कही साधारण व्यक्ति इसे धार्मिक आडम्बर मानकर इनसे दूर होता जा रहा है हमारी पौराणिक कथाओ के अनुसार तो त्योहारों का रूप बहुत ही सादा था हम मनुष्यो ने ही इसका रूप को बिगाड़ा है 

पहले के दौर में त्यौहार के माध्यम से ईश्वर के प्रति भक्ति भाव और श्रद्धा थी लेकिन  अब दिखावा ज्यादा हो गया है,आज मनुष्य त्योहारों की नीव से दूर होता जा रहा है और मनुष्य के मन्न में कटुता बढ़ती जा रही है मनुष्य अब त्योहारों को वक़्त और रुपयों और पैसो की बर्बादी के नजरिये से देखने लगा है 

हम सभी को दिखावे के रूप को छोड़ कर अपनी सादगी के साथ त्योहारों को पुरे परिवार के साथ मिल कर मनाना चाहिए।देश की आर्थिक व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए हमारे सभी त्योहारों का भी योगदान रहता है 

हमारे देश के 5 जगहों के मशहूर दशहरा मेला – Humare Dehs Ke 5 Jagaho Ke Mashhoor Dussehrs Mela/ Dhusshera Kab Hai 2023

 

  • बस्तर (छत्तीसगढ़)
  • मैसूर (कर्नाटक)
  • मदिकेरी (कर्नाटक)
  • कुल्लू (हिमाचल प्रदेश)
  • कोटा (राजस्थान) 

इन जगहों के मेले पुरे भारत वर्ष में सुप्रसिध्द है 

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