होली के पर्व के पूरे 15 दिनों बाद चैत्र नवरात्रि का त्यौहार आने वाला है। चैत्र नवरात्रि के समय हमारी प्रकृति माता को परिवर्तित जलवायु के प्रभाव से गुजरना पड़ता है। इस महीने में गर्मियों का मौसम आरम्भ हो जाता है। चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर माता भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वर्ष में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें पहली बार चैत्र और दूसरी बार शारदीय नवरात्रि का त्योहार शरद ऋतु में मनाया जाता है। दोनों ही त्योहारों को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
माँ भगवती को समर्पित यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथमा को आरम्भ हो जाता है और नौवें दिवस यानी रामनवमी के दिन समाप्त हो जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस समय नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र मास को वर्ष का प्रथम माह माना जाता है। जिससे की यह त्यौहार हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
नवरात्रि के समय माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री इन नौ देवियों का पूजन किया जाता है। कुछ उपासक आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए इन दिनों विशिष्ठ पूजा का आयोजन करते है। इन पूजाओं के अनुष्ठान सामान्य पूजा बहुत अलग होते है। इस साल आने वाली तिथियां कुछ इस प्रकार रहेंगी।
21 मार्च, मंगलवार को नवरात्रि का पहला दिन होगा। इसी दिन घटस्थापना की जाती है। इस दिन वृष पर सवार माता शैलपुत्री जी की पूजा की जाती है। यह माता चंदमा के पड़ने वाले बुरे प्रभाव को दूर करती है और इनको भाग्य का स्वामित्व प्राप्त है।
22मार्च , बुधवार को माता ब्रह्मचारिणी जी का पूजन किया जाता है। इस माता ने हज़ारों वर्षो की कठोर तपस्या की थी, जिसमें एक समय ऐसा भी आया था जब इन्होनें भोजन और जल दोनों का त्याग कर दिया था। इसलिए इनको अर्पणा देवी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंगल ग्रह के पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित करती हैं।
23 मार्च , इस दिन माता पार्वती के विवाहित रूप माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। विवाह के बाद से माता पार्वती ने आधे चाँद से भगवान शिव जी को सजाना आरम्भ किया था। तभी महादेव जी की प्रतिमाओं और चित्रों में अर्ध गोलाकार चन्द्रमा धारण किए हुए नज़र आते है। इसी कारण से तृतीय तिथि को पूजी जाने वाली इस देवी का चंद्रघंटा पढ़ा। इस देवी का नियंत्रण शुक्र ग्रह पर है।
25 मार्च , नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता पूजा का आयोजन किया जाता है। माता पार्वती जिस समय भगवान स्कंद की मां बन गयी थी। तभी से इन को मां स्कंदमाता के नाम जाना जाने लगा था। यह देवी बुद्ध को प्रभावित करती है।
26 मार्च , रविवार के दिन मां कात्यायनी पूजा रखी जाएगी। राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए माता पार्वती द्वारा देवी कात्यायनी का रूप धारण किया गया था। गुरु ग्रह इनके अधीन है।
27 मार्च , इस दिन माता के सबसे उग्र रूप देवी कालरात्रि को पूजा जाता है। शनि ग्रह इस देवी से सम्बंधित है।
28 मार्च , राहु नियंत्रक देवी महागौरी का पूजन किया जाएगा। हरिद्वार के कनखल में देवी का विशेष मंदिर है।
29 मार्च , रामनवमी का यह दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। केतु के बुरे प्रभावों से देवी अपने भक्तों की रक्षा करती है।
30 मार्च , नवरात्रि का त्यौहार नौ दिनों का उत्सव माना जाता है। इसका दसवां दिन नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, जिससे नवरात्रि का त्यौहार पूर्ण को जाता है।
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