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कहानी – Astrology https://astroupdate.com Online Astrologer Sat, 28 Jan 2023 05:18:37 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://astroupdate.com/wp-content/uploads/cropped-FEV_ICON-removebg-preview-1-32x32.png कहानी – Astrology https://astroupdate.com 32 32 खाटू श्याम जी की कहानी | Khatu Shyam Ji kahani खाटू श्याम जी मेला 2023 https://astroupdate.com/khatu-shyam-ji-ki-kahani/ https://astroupdate.com/khatu-shyam-ji-ki-kahani/#respond Sat, 28 Jan 2023 05:20:36 +0000 https://astroupdate.com/?p=596 कौन है खाटू श्याम जी | खाटू श्याम जी की कहानी 

खाटू श्याम जी की कहानी – श्याम अखंड ज्योति के अनुसार बर्बरीक ( खाटू श्याम जी ) भीम और अहलावती के पुत्र थे। वह पांडव थे। भगवान शिव ने उन्हें 3 बाणो का आशीर्वाद दिया, जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता था और उन 3 बाणो में एक ही पल में पूरी दुनिया को नष्ट करने की शक्ति थी। भगवान शिव ने उनसे एक वचन लिया कि वह हमेशा पराजित दल की तरफ रहेगा।

खाटू श्याम बाबा की कथा हिंदी में – Khatu Shyam Baba Ki Katha Hindi Me 

खाटू श्याम जी की कहानीजब उन्हें नारद से महाभारत युद्ध का समाचार मिला तब वह अपनी माता के आशीर्वाद से वे इस युद्ध को देखने कुरुक्षेत्र गए। कृष्ण को बर्बरीक की शक्ति के बारे में पता चला। जैसा कि भगवान कृष्ण जानते थे कि पांडव “धर्म” के पक्ष में हैं और वे इस लड़ाई को नहीं हार सकते हैं और बर्बरीक को कौरवों का समर्थन करने की आवश्यकता होगी।

खाटू श्याम जी की कहानी – कृष्ण ने योगी के रूप में उनसे बात की और उन्हें बताया कि धर्म को जीतने की आवश्यकता है और इसके लिए इस युद्ध में एक बहादुर सैनिक के बलिदान की आवश्यकता है। वह बलिदान केवल भगवान कृष्ण, अर्जुन और बर्बरीक द्वारा दिया जा सकता है। इसलिए बर्बरीक को परिदृश्य का एहसास हुआ और वह अपने सिर के बलिदान के लिए तैयार हो गया। फाल्गुन की एकादशी पर उन्होंने भगवान कृष्ण की उपस्थिति में अपना सिर कुर्बान कर दिया। बर्बरीक को महाभारत युद्ध देखने की इच्छा थी इसलिए कृष्ण ने अपना सिर एक पहाड़ी पर रख दिया ताकि वह पूरी लड़ाई देख सके कि भगवान कृष्ण ने उसे प्रदान किया था।

खाटू श्याम जी की कहानी – युद्ध के बाद भगवान कृष्ण ने उन्हें “श्याम” नाम दिया और कहा कि तुम कलयुग में मेरे स्थान पर रहोगे और अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करोगे। अतः बर्बरीक को खाटू श्याम जी के रूप में आशीर्वाद दिया गया। कहा जाता है कि उनका सिर राजस्थान के खाटू नामक स्थान पर पाया गया था। तब से वे खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध हैं| जो तीर्थयात्रियों के साथ बहुत लोकप्रिय है। भक्तों का मानना है कि यह महाभारत के एक पात्र बर्बरीक या खाटूश्याम के चमत्कारी रूप से पुनर्जीवित सिर का घर है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्तिथ है जहाँ हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।

खाटू श्याम मेला 2023 कब है – Khatu Shyam Mela 2023 Kab Hai 

खाटू श्याम जी की कहानी – हर वर्ष फाल्गुन माह और होली  के दौरान खाटूश्यामजी का मेला भरता है । खाटू श्याम जी को इन नामो से भी जाना जाता है श्याम, बार्बरिका, मोरवीनंदन, शीश के दानी, हरे का सहारा, तीन बाण धारी, लाख – दातारि, लीला के असवा। इस मेले में कई देश-विदेश से भक्तजन खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते है। खाटू श्याम जी के मंदिर को मानव सेवा के लिए भी जाना जाता है कई अमीर गराने के लोग आकर श्रद्धालुओं को भंडारा लगाकर आदि तरीके से सेवा करते है। इस बार खाटू श्याम जी का मेला 6 ,मार्च से शुरू होकर 15 मार्च तक चलेगा यह लक्खी मेला प्रतिवर्ष 9 दिनों तक चलता है।  जबकि मेले के कई दिन पूर्व ही श्रद्धालुओं के जत्थों का खाटू पहुंचना शुरू हो जाता है। कई श्रद्धालु तो धुलंडी को बाबा श्याम संग होली खेलकर लौटते हैं। इस बार खाटू मेला बड़ी धूम धाम से आयोजित किया जायेगा।

जानिए बाबा खाटू श्याम जी के चमत्कार – Janiye Baba Khatu Shyam Ji Ke Chamatkar 

खाटू श्याम जी की कहानी – दूर दूर से भक्तजन खाटूश्याम जी के दर्शन के लिए आते है ताकि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सके। भक्तजन कहते है की बाबा खाटू श्याम जी सभी की मुरादे पूरी करते है और जो उनपे आस रखता है उनकी झोली वह खभी खाली नहीं जाने देते। कहा जाता है की खाटू मंदिर में जो भी कदम रखता है उसके जीवन से जुड़े आर्थिक , मानसिक , व्यावसाइक, शारीरिक और जीवन से जुड़ा कोई भी कस्ट हो बाबा श्याम उसे हर लेता है – तभी तो कहा जाता है हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा।

खाटू श्याम जी की कहानी – कहा जाता है की बाबा के दरबार पैर कई गूंगे आये और मधुर वाणी पाकर गए , कई कोढ़ी अपना दुःख लेकर बाबा के दर पर अपना दुखड़ा रोते  है और बाबा श्याम उसे माफ़ कर देता है।  बाबा श्याम के चमत्कार का वर्णन शब्दों में करना बहुत मुश्किल है। भक्तो अपने जीवन में एक बार इस पावन स्थान का दर्शन जरूर करना – जय श्री श्याम 

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शीतला अष्टमी की कहानी हिंदी में | Sheetla Asthami Ki Kahani https://astroupdate.com/sheetala-ashtami-ki-kahani/ https://astroupdate.com/sheetala-ashtami-ki-kahani/#respond Wed, 25 Jan 2023 10:19:25 +0000 https://astroupdate.com/?p=3859 शीतला अष्टमी की कहानी 

शीतला अष्टमी की कहानी –आइए हम आपको बताते हैं शीतला अष्टमी की कहानी के बारे में, शीतला अष्टमी का अर्थ बासोड़ा होता है।और शीतला अष्टमी चैत्र मास में कृष्ण पक्ष कि अस्टमी यानि होली के आठवे दिन मनाई जाती है।बासोड़ा से एक दिन पहले राधा पूजा होती है। सप्तमी के दिन घरो में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। जैसे कि राबड़ी, पकोड़े, पुअे, गुंजिया, सक्करपारे, नमकपारे आदि बनाये जाते है।  

शीतला अष्टमी की कहानी – अगले दिन शीतला अष्टमी को शीतला माता की पूजा की जाती है। इन्हीं सब पकवानो को कण्डवारे यानि मिट्टी के बर्तन में रखकर माता जी के भोग के लिए ले जाया जाता है। और इसे ही कण्डवारा भरना कहा जाता है।माता जी को रोली, चावल, मूंग, मेहंदी आदि चढ़ाई जाती हैं। और ये सब पूजा के बाद माता जी के मंड यानि देवालय में चढ़ाये जाते है।और इन्हे कुम्हारी को बी दिया जाता है।   

 

शीतला अष्टमी की कहानी का महत्व 

शीतला अष्टमी की कहानी – शीतला माता की पूजा के बाद शीतला माता की कथा भी सुनी जाती है। और इस कथा के अनुसार एक बार एक गांव में बुढ़िया रहती थी। वह शीतला माता जी की भक्त थी। और वह शीतला माता जी की पूजा नियमित रूप से करती थी।   अचानक से एक दिन गांव में आग लग जाती है। बुड़िया के घर को छोड़कर और बाकी के सभी घरों में आग लग जाती है।और सबके घर जल जाते हैं। इसको देखकर गांव वाले आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वह उस बुढ़िया के पास जाते हैं और पूछते हैं कि तुम्हारा ही घर जलने से कैसे बच गया? तभी बुढ़िया ने उन लोगों को बताया कि मैं रोज शीतला माता जी की पूजा करती हूं और शीतला माता जी कि कृपया से ही मेरा घर बचा है। उसके बाद गांव वालों ने भी शीतला माता जी कि पूजा करना शुरू कर दिया।पूजा के दिन वे सभी बासी खाना खाते।इससे वह  सभी गांव वाले सूखे पूर्वक रहने लगे। माता जी की कृपा से उसके बाद उन पर कोई विपत्ति नहीं आई। 

शीतला अष्टमी की कहानी – शीतला माता जी की एक और कहानी बासोड़ा पर सुनाई जाती है। एक बार एक गांव में  बूढ़ी कुम्हारी रहती थी।वह बासोड़े के दिन शीतला माता जी की पूजा करती थी और बासा खाना खाती थी। एक बार उनके गांव में बासोड़े पर एक बुढ़िया आई और वह घर-घर जाकर कहने लगी की कोई मेरी जुएं निकाल दो।तो उस बुढ़िया को सबने मना कर दिया। वह कुम्हारी उस बुढ़िया के घर पहुंची और आवाज दी- कि कोई मेरी जुएं निकाल दो।तभी अंदर से बुढ़िया आई और बोली में निकालती हु।और उस कुम्हारी कि सब जुएं निकाल दी। वो बुढ़िया असल में  शीतला माता थी। उन्होंने खुस होकर बूढ़ी कुम्हारी को साक्षात दरसन दिए और आशीर्वाद दिया। 

शीतला अष्टमी की कहानी – उसी दिन किसी कारण वस् पुरे गांव में आग लग जाती है।लेकिन  कुम्हारी का घर सुरक्षित रहता है। गांव वालो को इस पर आश्चर्य होता है कि ये सब कैसे हुआ। और उन्होने कुम्हारी बूढ़ी से पूछा तो उसने बताया कि ये सब तो शीतला माता जी की  कृपा से हुआ है। इसके बाद सभी गांव वाले भी शीतला अस्टमी की पूजा करने लगे। और वे सब उस दिन बासी खाना खाते। और इससे पुरे गांव पर माता जी की कृपया बानी रही।  

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अन्य जानकारी :-

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नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग | Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg  https://astroupdate.com/nim-karoli-baba-mark-zuckerberg/ https://astroupdate.com/nim-karoli-baba-mark-zuckerberg/#respond Tue, 24 Jan 2023 08:11:43 +0000 https://astroupdate.com/?p=3824 नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग – Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg 

Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg  – 15 जून को बाबा नीम करौली के उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां मंदिर प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गई है। यहाँ हर साल 15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस वाले दिन भंडारा भी लगाया जाता है। यहाँ आने वाले सभी भक्तो के लिए निःशुल्क भोजन, की और रहने की व्यवस्था भी की जाती है।   

Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg  –  उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कैंची धाम में भक्तों का लगातार सैलाब उमड़ने लगा है। बाबा नीम करौली के कैंची धाम के स्थापना दिवस को लेकर मंदिर प्रबंधन ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। नैनीताल के कैच में बने बाबा नीम करौली के धाम में हर साल लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स भी बाबा के भक्त हैं। मंदिर में बाबा नीम करौली महाराज की तपोस्थली है। 15 जून को बाबा नीम करौली के दरबार में भक्तो का मेला लगेगा।  हर वर्ष 15 जून को कैंची धाम में मंदिर के स्थापना दिवस पर मेले का आयोजन होता है। जिसमें करीब 2 लाख श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। सबसे ज्यादा यहाँ विदेशी भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते है जैसे कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेक देशों से आते हैं। भक्तों का मानना है। कि बाबा के चमत्कार यहां से कई बार देखने को मिले हैं। 

 

नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग (Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg) की अद्भुत कहानी हिंदी में 

Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg  –  ऐसी मान्यता है। कि एक समय की बात है की मंदिर में काम करते समय एक व्यक्ति का हाथ गर्म तेल की कढ़ाई में चला गया था। जिससे व्यक्ति का हाथ पूरी तरह जल गया था। इस घटना के बारे में बाबा को बताया, बाबा ने उस व्यक्ति को अपने पास में बुलाया और उस व्यक्ति के हाथ पर अपना कंबल फेरा, कंबल के फेरते ही उस व्यक्ति का हाथ पहले की तरह सामान्य हो गया। ऐसी कई प्रकार की चमत्कार की कहानियां बाबा के भक्तों के बीच में प्रचलित हैं। भक्तों का ऐसा मानना है। कि बाबा नीम करौली महाराज हनुमान जी का साक्षात् अवतार माना जाता है। 

Nim Karoli Baba Mark Zuckerberg  –  15 जून को ही बाबा के मंदिर का निर्माण कराया गया था। जिसके बाद से ही हर साल यहां पर बाबा के भक्तों की बहुत बड़ा मेला लगता है। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी बाबा के  दर्शन करने के लिए बाबा के मंदिर में आ चुके हैं। जो एप्पल के प्रोडक्ट का लोगो (LOGO) बनाया है।  वह भी नीम करोली बाबा के द्वारा ही कंपनी को दिया गया है। 

ऐसा माना जाता हैं कि नीम करोली बाबा ने स्टीव जॉब्स को अपने ही मुंह से कटा हुआ सेब खाने को दिया था। जिसको ही अपनी प्रेरणा मानते हुए स्टीव जॉब्स ने अपना लोगो बनाया और स्टीव जॉब्स को उसके बाद ही अपार सफलता की प्राप्ति हुई।  नीम करोली बाबा के भक्तों में अमेरिका (यु.एस) के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का नाम भी इसमें शामिल है। बताया जाता है कि ओबामा के चुनाव लड़ने से पूर्व  अमेरिका से एक दल यहाँ मंदिर में आया था। और उन्होंने बराक ओबामा की चुनावी जीत के लिए हनुमान चालीसा का पाठ भी किया था। 

नीम करोली बाबा की अन्य जानकारी :-

नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग Nim Karoli Baba Ke Chamatkar  
नीम करोली बाबा का परिवार  Nim Karoli Baba Ka Pariwar 
नीम करोली बाबा की कहानी  Nim Karoli Baba Ki Kahani 
नीम करोली बाबा का मंत्र हिंदी में  नीम करोली बाबा का मंत्र
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नीम करोली बाबा की कहानी | Nim Karoli Baba Ki Kahani  https://astroupdate.com/nim-karoli-baba-ki-kahani/ https://astroupdate.com/nim-karoli-baba-ki-kahani/#respond Mon, 23 Jan 2023 08:13:17 +0000 https://astroupdate.com/?p=3774 नीम करोली बाबा की कहानी – Nim Karoli Baba Ki Kahani 

Nim karoli baba ki kahani – जैसा की आप सभी को पता है। कि बाबा का मूल नाम श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा था। और इन बाबा को अनेक नामो से भी जाना जाता है। अब के मन मे यही सवाल उठ रहा होगा कि बाबा का नाम नीम करोली कैसे हुआ  

Nim karoli baba ki kahani – बाबा नीम करोली का नामकरण ही रोचक घटना है। एक समय की बात है बाबा ट्रेन के प्रथम श्रेणी बोगी में अपनी यात्रा कर रहे थे। जब टिकट निरीक्षक टिकट चेक करने आया तो बाबा के पास ट्रेन का टिकट नही था । टिकट निरीक्षक ने उन बाबा को छोटे से गांव जिसका नाम नीम करोरी है उसके पास ट्रेन से बाहर उतार दिया था। बाबा ने टिकट निरक्षक को कुछ नही कहा, बस ट्रेंन के  कुछ दूरी पर अपना चिमटा गाड़ के शांत चित्त से बैठ गए। जब ट्रेन को दुबारा चलाने की कोशिश करी तो, ट्रेन अपने स्थान से एक इंच भी आगे नही चली । ट्रेन का चालन और परिचालन करने वाले कर्मचारी भी हैरान हो गए। तब उन यात्रियों में से एक यात्री मजिस्ट्रेट था। जो की उन बाबा को जनता था। उसने ट्रेन के कर्मचारियों से निवेदन किया की वो बाबा से माफी मांगे और उन्हें ससम्मान से वापस ट्रेन में बिठायें।  तब उस टिकट निरीक्षक ने बाबा से सविनम्र माफी मांगी और उन्हें दुबारा ट्रेन में बैठने का आग्रह किया। बाबा बोले ,यदि आप बोलते हैं। तो मैं आ जाता हूँ। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चलने लग गई। इस घटना के घटने के बाद से ही ये साधारण सा गाव सम्पूर्ण देश और विदेश में प्रसिद्ध हो गया । और यह गांव बाबा नीम करोरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 

Nim karoli baba ki kahani – नीम करोरी की इस घटना के बाद बाबा विख्यात हो गए। और वो अपने सबसे प्रसिद्ध धाम जिसका नाम कैंची धाम है। वे फिर उस आश्रम में  रहने लगे ।1967 में वहा उन्ही से प्रभावित होकर उनके प्रसिद्ध शिष्य मिले जिनका नाम रामदास था। रामदास एक अमेरिकी नागरिक थे। रामदास का मूल नाम रिचर्ड अल्पर्ट था। रिचर्ड अल्पर्ट बाबा से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने बाबा से दीक्षा ली और  उनके शिष्य भी बन गए। और अपना नाम रिचर्ड अल्पर्ट से बदल कर रामदास ही  रख लिया।

रामदास ने कुल 15 पुस्तकें लिखी। इन सभी पुस्तकों में से बाबा नीम करोरी जी पर आधारित मिरेकल ऑफ लव नाम की पुस्तक  काफी प्रसिद्ध रही । इस प्रसिद्ध पुस्तक से ही बाबा नीम करोली को अंतर्राष्ट्रीय स्स्तर पर पहचान मिली।

Nim karoli baba ki kahani – मिरिकल ऑफ लव में बाबा जी के बारे में अनेको प्रकार के सच्चे किस्सों और कहानियों के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक का एक प्रसिद्ध किस्सा है। जो  “बुलेटप्रूफ कंबल” के नाम से है। जिसने बाबा नीम करोरी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी। 

बुलेटप्रूफ कंबल की कहानी – Bulletproof Kambal Ki Kahanai 

बुलेटप्रूफ कंबल की कहानी

Nim karoli baba ki kahani – बाबा के अनेको भक्त है। उन्ही भक्तो में से एक बुजुर्ग दंपत्ति भी भक्त थे। जो फतेहगढ़ नाम के स्थान पर निवास करते थे। अचानक एक रात को बाबा उनके घर पर आये।  रात को रहने के लिए। और उन्ही का एक कंबल को लपेट कर सो गए थे। बाबा ने वहा खाना भी नही खाया था। जब बाबा रात को कम्बल में सोए हुए थे। तो बाबा कम्बल के अंदर से बहुत कराह रहे थे। जैसे की बाबा को बहुत मार पड़ रही हो। वो बुजुर्ग दंपति भी पूरी रात भर परेशान थे। की बाबा ने खाना भी नही खाया और कराह भी रहे हैं।  अब पता नही की बाबा को क्या कष्ट हो रहा है।

Nim karoli baba ki kahani – प्रातः बाबा उठे। और उन्होंने रात भर ओढ़ा हुवा उनका कम्बल को तह कर दंपति को वापस दे दिया। और उन दंपत्ति से कहा की इसे गंगा जी मे प्रवाहित कर दीजिए। और इस बात का विशेष ध्यान रखें की कम्बल को खोल कर बिलकुल भी ना देखें। उन बुजुर्ग दंपति ने बाबा जी की आज्ञा का पालन करते हुए उस कंबल को ले लिया। वह कम्बल बहुत भारी लग रहा था। ऐसा लग रहा था। की जैसे कि उसमे बहुत सारा लोहा उसमे रखा हो। और वो लोहा आपस मे टकराकर बज भी रहा था। जब बाबा जी ने कहा तो उस बुजुर्ग दम्पति ने बाबा की आज्ञा का पालन करते हुए उस भारी कम्बल को गंगा जी मे प्रवाहित ही कर दिया।

मिरिकल ऑफ लव नामक पुस्तक में यह घटना सन्न 1943 की बताई गई है। उस समय द्वितीय विश्व युद्ध भी चल रहा था। ब्रिटिश सेना की तरफ से कई भारतीयों ने भी द्वितीय विश्व युद्ध मे हिस्सा लिया। औऱ इसी युद्ध मे वर्मा फ्रंट में उस बुजुर्ग दंपति का इकलौता बेटा वो भी था। बुजुर्ग दंपति ने अपना दुख जब बाबा को बताया तो, बाबा बोले की आप चिंता बिलकुल भी मत करो। तुम्हारा बेटा एक माह में वापस तुम्हारे पास आ जायेगा।

Nim karoli baba ki kahani – और हकीकत में उनका बेटा एक माह बाद द्वितीय विश्व युद्ध से सकुशल वापस लौट आया था। उसने अपने माता पिता को बताया कि , युद्ध की एक रात उसके साथ चमत्कार हुआ। उसने बताया की एक रात वह जापानी सैनिको के बीच अकेला फस गया था। जापानी सैनिक द्वारा पूरी रात गोलियां चलाई जा रही थी। लेकिन उसे एक भी गोली छू नही पाई, और दूसरे दिन सुबह ,ब्रिटिश फौज उसकी सहायता के लिए वहा आ गई। और वह सकुशल वापस लौट आया । इतना सुनते ही उस बूढ़े दंपत्ति की आंखे भर गई। क्योंकि जिस रात की चर्चा उनका बेटा कर रहा था। तो उस रात बाबा नीम करोली उनके घर रात को रहने आये थे। और उनको बाबा जी के कराहने,और कम्बल के भरी होने का राज समझने में बिलकुल भी देर ना लगी।

Nim karoli baba ki kahani – बाबा के इसी प्रकार की चमत्कारी घटनाओं का उल्लेख उनके शिष्य रामदास ने अपनी पुस्तकों में किया है। तो फिर बाबा की कीर्ति विश्व मे लगातार फैलती गई। नीम करोरी बाबा को उनके सभी भक्तगण उन्हें हनुमान जी के अवतार मानते हैं। बाबा हनुमान जी के परम भक्त भी थे । नीम करोली बाबा ने पूरी दुनिया भर में हनुमान जी के कुल 108 मंदिरो का निर्माण भी करवाया। 

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