WordPress database error: [Disk full (C:\Windows\SERVIC~1\MARIAD~1\AppData\Local\Temp\#sql-temptable-10e4-61135-4.MAI); waiting for someone to free some space... (errno: 28 "No space left on device")]
SHOW FULL COLUMNS FROM `9NPZMMrW_options`

WordPress database error: [Disk full (C:\Windows\SERVIC~1\MARIAD~1\AppData\Local\Temp\#sql-temptable-10e4-61135-6.MAI); waiting for someone to free some space... (errno: 28 "No space left on device")]
SHOW FULL COLUMNS FROM `9NPZMMrW_options`

आमेर की शिला माता, कहानी,देवी का स्वरूप,मंदिर निर्माण | Amber Fort Shila Mata Mandir > astroupdate %
Loading...
Mon - Sun - 24 Hourse Available
info@astroupdate.com
आमेर की शिला माता, कहानी,देवी का स्वरूप,मंदिर निर्माण | Amber Fort Shila Mata Mandir
January 31, 2023

आमेर की शिला माता, कहानी,देवी का स्वरूप,मंदिर निर्माण | Amber Fort Shila Mata Mandir

आमेर की शिला माता-Shila Mata Mandir

ऐतिहासिक इमारतों ,सुंदर पर्यटन स्थलों और भव्य मंदिरों के लिए मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर दुनिया भर में सैलानियों ,दर्शनार्थियों और भक्त जनों के लिए आकर्षण का केंद्र बना ही रहता है। इन  भव्य मंदिरों में से एक है जयपुर के शिला माता का मंदिर।  जिसे आमेर की शिला माता भी कहा जाता है।  जयपुर से 10 किलोमीटर दूर आमेर के किले में स्थापित माता शीला देवी का मंदिर अपनी बेजोड़ कला और आस्था के लिए जाना जाता है।  यहां पर शिला माता का काली स्वरूप देखने को मिलता है, जोकि कछवाहा राजवंशों की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है। और माना तो यह भी जाता है कि आमेर की शिला माता के  आशीर्वाद से आमेर के राजा मानसिंह ने  80 से ज्यादा युद्धों में विजय पताका लहराई ।

 

 

आमेर की शिला माता

 

 

आमेर की शिला माता की कहानी

मान्यता है कि आमेर के राजा मानसिंह सन 1580 ईस्वी में शीला देवी की प्रतिमा को आमेर लेकर आए और स्थापित किया।  इसलिए जयपुर में कहावत प्रसिद्ध है “सांगानेर को सांगो बाबो जैपुर को हनुमान, आमेर की शिला देवी लायो राजा मान।” अकबर के  सेनापति राजा मानसिंह अकबर के हर आदेश लड़ने जाया करते थे।  एक बार जब वह बंगाल के गवर्नर नियुक्त किए गए तो जसोर (जो कि वर्तमान में बांग्लादेश में स्थित है ) के  राजा केदार से लड़ने गए थे। लड़ाई में विजय हासिल होने के बाद राजा मानसिंह को भेंट में शिला माता की प्रतिमा दी गई थी।  जिसे बाद में राजा मानसिंह ने जयपुर के आमेर महल में भव्य मंदिर बनवा कर स्थापित किया। 

आमेर की शिला माता मंदिर निर्माण 

आमेर की शिला माता का मंदिर का निर्माण पूर्ण रूप से संगमरमर के छात्रों द्वारा कराया गया है जो महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने 1906  संपन्न किया था।  पहले यह मंदिर पूर्ण रूप से चूने और बलुआ पत्थरों से बना हुआ था। बाद में सवाई  मानसिंह ने  मंदिर को संगमरमर से बनवाया जो देखने में बेहद खूबसूरत दिखता है इस मंदिर कीइस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां प्रतिदिन शिला माता को  प्रसाद का भोग लगने के बाद ही श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं। 

 

आमेर की शिला माता

 

आमेर की शिला माता देवी का स्वरूप

माना जाता है कि सबसे पहले  आमेर की शिला माता मुख पूर्व की ओर था। परंतु जब राजा मान सिंह द्वारा जयपुर की स्थापना का निर्माण का कार्य शुरू हुआ तो कार्य के अंदर विभिन्न प्रकार के विभिन्न विघ्न उत्पन्न होने लगे। तब राजा जयसिंह ने देश के प्रसिद्ध और अनुभवी वास्तु कारों और पंडितों को बुलाया और उनकी सलाह अनुसार मूर्ति को उत्तर दिशा की ओर इस तरह स्थापित किया गया की मूर्ति का मुख उत्तर की ओर करवा दिया गया ताकि जयपुर के निर्माण में किसी भी प्रकार की बाधाएं ना आए।  क्योंकि इससे पहले मूर्ति की दृष्टि शहर पर तिरछी पढ़ रही थी। आमेर की शिला माता मंदिर में मूर्ति को वर्तमान गर्भगृह में प्रतिष्ठित कराया गया जो वर्तमान में उत्तर मुखी है। आमेर की शिला माता मंदिर में देवी की मूर्ति काले चमकीले पत्थर से बनी हुई है।  यह एक पाषाण शिलाखंड से बनी हुई है। आमेर के शिला माता मंदिर में शीला देवी की यह मूर्ति महिषासुर नंदिनी के रूप में विख्यात है।  मूर्ति सदैव वस्त्रों और लाल गुलाब के फूलों से  आच्छादित रहती है।  जिसमें सिर्फ मूर्ति का मुख एवं हाथी दिखाई देता है।  आमेर की शिला माता मंदिर में देवी की मूर्ति का जो चित्रण है वह इस प्रकार है कि देवी महिषासुर को एक पैर से दबाकर दाहिने हाथ से त्रिशूल मार रही है।  इसलिए देवी के गर्दन दाहिनी और झुकी हुई है। आमेर की शिला माता मंदिर मे शिला माता के अलावा गणेश जी ,ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी और कार्तिकेय की सुंदर मूर्तियां बाएं से दाएं की ओर विराजित है।  यह मूर्तियां आकार में छोटी परंतु देखने में उतनी ही मनमोहक है। आमेर की शिला माता मंदिर में मूर्ति को चमत्कारी माना जाता है।

  जयपुर के राजा महाराजाओं और राज परिवारों का  आमेर की शिला माता में अखंड विश्वास था और आज भी श्रद्धालु का आमेर की शिला माता में अद्भुत विश्वास और आस्था देखने को मिलती है।  आमेर की शिला माता मंदिर के प्रवेश द्वार पर 10 महाविद्याओं और नव दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित है।  मंदिर के जगमोहन भाग में चांदी की घंटियां बंधी हुई है जिसको श्रद्धालु  देवी पूजा के पूर्व बजाते हैं।  आमेर की शिला माता मंदिर के कुछ भाग बांग्ला शैली से बने हुए नजर आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WordPress database error: [Disk full (C:\Windows\SERVIC~1\MARIAD~1\AppData\Local\Temp\#sql-temptable-10e4-61135-16.MAI); waiting for someone to free some space... (errno: 28 "No space left on device")]
SHOW FULL COLUMNS FROM `9NPZMMrW_bv_fw_requests`