लेख सारणी
ये तो आप जानते ही हैं कि श्रावण मास भगवान शिव को अतिशय प्रिय है। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना आस्था के साथ की जाती है। क्योंकि श्रावण महीने में भगवान शिव अतिशय प्रसन्न रहते हैं। तथा अपने भक्तों की संपूर्ण मनोकामना पूर्ण करते हैं। शिव भक्त अपने इष्ट प्रभु भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु श्रावण मास के हर सोमवार का व्रत धारण करते हैं। श्रावण मास में चार सोमवार व्रत धारण किए जाएंगे। जो की पहला सावन सोमवार व्रत 26 जुलाई को, दूसरा सावन सोमवार व्रत 02 अगस्त को, तीसरा सावन सोमवार व्रत 09 अगस्त को और चौथा सावन सोमवार व्रत 16 अगस्त 2021 को धारण किया जाएगा।
सावन महीने में जो भी भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं, वह मन और चित में शांति का विकास करते हैं। तथा भगवान शिव की विशेष कृपा के हकदार भी बनते हैं।
आइए जानते हैं सावन महीने में सोमवार का व्रत क्यों धारण किया जाता है? तथा इस व्रत का महत्व तथा विधि विधान संपूर्ण विवरण आप इस लेख में पढ़ सकते हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार सावन मास में आने वाले सभी चारों व्रत जो सोमवार को धारण किए जाते हैं। सभी व्रत अपना अपना अलग महत्व रखते हैं। श्रावण मास के तीसरे सोमवार को व्रत धारण करने वाली अविवाहित कन्या को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। जो कन्या मांगलिक होती है, उनका दोष समाप्त हो जाता है और भगवान शिव की कृपा से तथा माता गौरी की कृपा से कन्या को सुयोग्य व्रत की प्राप्ति होती है। इस महीने में कांवड़ यात्रा शुरू करने वाले श्रद्धालु अपने गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान कर रहे होते हैं। तथा भगवान शिव की आराधना करते हुए अपने आस्था को भगवान शिव के सामने प्रकट करते हैं। सावन के महीने में व्रत धारण करने पर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और शुद्ध चित्त की प्राप्ति होती है। इसी के साथ भगवान शिव भी अपने भक्तों पर अतिशय प्रसन्न रहते हैं, और उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करने हेतु तत्पर रहते हैं। इसीलिए श्रावण मास में सोमवार का व्रत धारण कर भगवान शिव को अपनी ओर आकर्षित किया जाता है। अपनी इच्छा पूर्ति हेतु भगवान शिव की आराधन की जाती है।
जो भी श्रद्धालु भगवान शिव को प्रश्न करना चाहते हैं वह सब सवेरे जल्दी उठकर अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शारीरिक स्वच्छ होकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।