ऋषि पंचमी 2023 – Rishi Panchmi 2023
Rishi Panchmi – हिन्दू धर्म के अनुसार एक ऐसा भी व्रत है जो किसी देवी देवता के लिए नहीं किया जाता बल्कि इसे करना भी जरुरी होता है
वह व्रत ऋषि पंचमी का व्रत होता है।ऋषि पंचमी (Rishi Panchami)के दिन देवी देवता का नहीं बल्कि सात ऋषियों की पूजा की जाती है।
जो की कुछ इस प्रकार से है।कश्यप ,अत्रि , भारद्वाज ,विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ ऋषि की पूजा की जाती है
हिन्दू पौराणिक कथाओ के अनुसार देवी देवताओ को मानाने के लिए अनेको व्रत एवं पूजा की जाती है
अधिकतर व्रत भारत वर्ष में महिलाएं करती है परन्तु इस ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओ के साथ साथ पुरुष भी करते है
इसे भाई पंचमी भी कहा जाता है ,इस दिन बहनो द्वारा अपने भाइयो को राखी बांधने का भी रिवाज़ हैRishi Panchmi – (कायस्थ ,ब्राह्मण ,और वैश्य समाज के कुछ गोत्र में इसी दिन रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है )
सुबह सूर्योदय से पहले उठ कर नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण कर के कथा का वाचन करना चाहिए
इससे हमारे ऋषि प्रसन्न होते है और अपने आशीर्वाद हमे देते है
यह पर्व भगवन श्री के जन्म उत्सव यानि गणेश चथुर्ति के अगले दिन यानि भाद्रपद की शुकल पक्ष की पंचमी को यह पर्व आता है
सप्त ऋषियों ने मानव कल्याण एवं समाज कल्याण के लिए बहुतसे नेक कार्य किये थे ,इसलिए इनके सम्मान में ये व्रत और पूजा की जाती है
Rishi Panchmi – धार्मिक ग्रंथो के अनुसार सभी महिलाये और पुरुष धूम धाम से इस पर्व को मानते है इस पर्व के दिन सप्त ऋषियों की पूजा और व्रत करने स मनव के सभी पाप धूल जाते है ऐसा हमारे हिन्दू धार्मिक ग्रंथो की ऐसी मान्यता है ,
इससे जाने अनजाने में हुए पाप के ऋण से मुक्ति मिल जाती है
मन जाता है की महिलाओ को रजस्वला दोष लगता है ,इसलिए कहा जाता है की महिलाओ द्वारा मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित करने का जो पाप लगता है उससे उन्हें मुक्ति मिल जाती है ,
ऋषि पंचमी की पूजा की विधि कुछ इस प्रकर है की ऋषि पंचमी वाले दिन सुबह प्रातः कल सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर हल्दी का चौकोर मंडल बनाना चाहिए।उस पर सप्त ऋषियों की स्थापना कर के पूजन और व्रत का संकल्प लेना चाहिए दीपक धुप अगरबत्ती पुष्प फल आदि का भोग लगाकर कथा पठन एवं पाठन करना चाहिए ,
ऋषि पंचमी वाले दिन पुरे दिन बिना अन्न ग्रहण किये उपवास रखना चाहिए , सिर्फ एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए
और संभव तह हो सके तो ब्राह्मण को भोजन कराकर कुछ दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और ब्राह्मण को स्वच्छ मनन के सतह अपने घर से विदा करना चाहिए ,
ऐसा करने से सभी पाप जो मानव द्वारा जाने अनजाने में हुए है उन सभी पापो से मानव को छुटकारा मिल जाता है ,
ऋषि पंचमी वाले दिन उपवास रखने के बाद जमीन से उगे हुए धान का सेवन नहीं करना चाहिए
ऐसा माना जाता है की ऋषियों से माफ़ी मांगने के लिए यहाँ व्रत और पूजा किम जाती है
हिन्दू धरम की मान्यताओं के अनुसार इस व्रतके करने की महिमा का बखान किया गया है
ऋषि पंचमी कब मनाई जाती है – Rishi Panchmi Kab Manai Jati Hai
Rishi Panchmi – आइये जानते है किन ऋषि पंचमी क्यों मनाई जाती है जैसा की हम सब जानते है की ऋषियों का जीवन सदैव सरल एवं सभ्यता से व्यतीति हुवा है। मान्यता है की भारत में ऋषियों का सम्मान करने एवं उनका मान बढ़ने के लिए ऋषि पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। ऋषि पंचमी सात महा ऋषियों को समर्पित है जो सप्तमी के रूप मैं है। ऋषि पंचमी का दूसरा नाम गुरु पंचमी भी होता है।Rishi Panchmi – हिन्दू धर्म में ऋषि पंचमी को बहुत महत्व दिया जाता है। ऋषि पंचमी का दिन सप्त ऋषि (सपट ऋषि पूजा) का भी पूजा महत्व की जाती है। ऋषि पंचमी का दिन एक मान्यता की जाती है। ऋषि पंचमी का दिन जो भी व्यक्ति पूजा और अर्चना का स्मरण भी किया जाता है। इस बरत को करने से पापों को मुक्ति मिल जाती है।
ऋषि पंचमी व्रत कथा – Rishi Panchmi Vrat Katha
Rishi Panchmi – विदर्भ नमक देश में एक सदाचारी और गुणी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता नारी थी, जिसका नाम सुशीला था। Rishi Panchmi – उस ब्राह्मण के घर में एक पुत्र और एक पुत्री थी। विवाह योग्य होने पर उसने ही समान कुलशील लड़के के साथ अपनी कन्या का विवाह सम्पन कर दिया।कुछ ही दिनों बाद उसकी पुत्री विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा नदी के तट पर कुटिया बनाकर निवास करने लगे।एक दिन वह ब्राह्मण की कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया।Rishi Panchmi – कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने अपने पति से सब कहते हुए पूछा- हे स्वामी मेरी साध्वी कन्या (पुत्री) की यह गति होने का क्या कारण हो सकता है? ब्राह्मण ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया- पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तनो को छू दिए थे।Rishi Panchmi – इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में बहुत से कीड़े पड़े हैं।धर्म-शास्त्रों की मान्यता ऐसी है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र ही होती है। वह चौथे दिन स्नान करने के बाद ही शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख पूर्ण रूप से दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अखंड सौभाग्य प्राप्त करेगी। पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई।Rishi Panchmi – अगले जन्म में उसे अखंड सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग भी मिला।
पूजन विधि – Pujan Vidhi
Rishi Panchmi – इस पवित्र दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं
सभी देवी- देवताओं का गंगाजल छिड़क कर अभिषेक करें।
सप्त ऋषियों की तस्वीर को साफ़ करके लगाएं फिर उनके सामने जल से भरा हुआ एक कलश भी रखें।
इसके बाद विधि-विधान के साथ सात ऋषियों के साथ देवी अरुंधती की पूजा-आराधना करें।
सप्त ऋषियों को धूप-दीपक दिखाकर पीले फल-फूल और मिठाई का भोग लगाएं।
सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमायाचना करें और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें।
व्रत कथा सुनाने के बाद उच्च स्वर में आरती करें।
इसके बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद खिलाएं।
ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त – Rishi Panchmi Shubh Muhurat
- ऋषि पंचमी 2023 के लिए शुभ मुहूर्त गुरुवार
- 19 सितंबर 2023 को 1:40 PM पंचमी तिथि प्रारंभ
- 20 सितंबर 2023 को 2:20 PM पंचमी तिथि समाप्त