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हनुमान जी की पूजा विधि ,मंत्र और नियम | Hanuman Ji Puja Vidhi

हनुमान जी की पूजा विधि
February 8, 2023

हनुमान जी की पूजा विधि – Hanuman Ji Puja Vidhi

जानिये हनुमान जी की पूजा विधि ,ध्यान मंत्र और पूजा के नियम। हनुमानजी की पूजा करना बहुत ही आसान है परन्तु  उसके नियम और सावधानियां जानना भी बहुत जरूरी है। पूर्ण भक्तिभाव के साथ ही पवित्र नियम से उनकी पूजा करने से वे बहुत जल्द ही प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। आओ जानते हैं कि कैसे करें हनुमान जी की पूजा।

 

  1. प्रात:काल स्नान ध्यान से निवृत हो उपवास का संकल्प लीजिए, और हनुमान पूजन की तैयारी करें।

  1. नित्य कर्म से निवृत्त होने के उपरांत हनुमान जी की प्रतिमा  या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें दीजिये और आप स्वयं कुश के आसन पर साफ़ और पवित्र वस्त्र पहनकर ही बैठें।

  1. प्रतिमा को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करिये। इसके पश्चात धूप, दीपक  प्रज्वलित करके पूजा शुरू कीजिए।

  1. “ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए  हनुमानजी को अनामिका अंगुली(छोटी अंगुली के पास वाली) से तिलक लगाएं। और सिंदूर अर्पण करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उसके बाद उन्हें हार और फूल चढ़ाइएं।

  1. अच्छे से पंचोपचार पूजन करने के बाद उन्हें प्रसाद(भोग) अर्पित करें। नमक, मिर्च और तेल का उपयोग नैवेद्य(प्रसाद)  में नहीं किया जाता है।

  1. अंत में हनुमान जी की पूजा कीजिए और उनकी आरती करें। उनकी आरती और पूजा करने के बाद उन्हें नैवेद्य को पुन: उन्हें अर्पित करें और अंत में उसे प्रसाद के रूप में सभी को बांट दीजिए।

 

हनुमान जी पूजा ध्यान मंत्र – Hanuman Ji Puja Mantra

 

 अपने हाथो में चावल व फूल लें और  इस हनुमान पूजा मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी का ध्यान कीजिये- 

 

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।

 

 

मंत्र उच्चारण करने के उपरान्त हाथ में लिए हुए चावल व फूल श्री हनुमान जी को अर्पण कर दें।

इसके पश्चात हाथ में फूल को लेकर इस हनुमान पूजा मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमान जी का आवाह्न करें और उन फूलों को हनुमानजी को अर्पित कर दीजिये।

 

हनुमान जी के पूजा के नियम – Hanuman Ji Ke Puja Ke Niyam

 

  1. हनुमान पूजा में शुद्धता और पवित्रता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। पूजन स्थल की साफ-सफाई अच्‍छे से कर लें।
  1. हनुमान पूजा एक पवित्र और साफ़ स्थान पर बैठकर ही करना चाहिए। विशेष रूप से या तो आपके घर के पूजा स्थान पर, मंदिर में, तीर्थ क्षेत्र में या पूर्व से नियुक्त साफ-सफाई करके पवित्र की गई जगह पर पूजा करे।
  1. हनुमान पूजा को विशेष व शुभ मुहूर्त में ही कीजिये। या फिर सुबह और सायं  काल को ही करें।
  1. हनुमान पूजा- पाठ करने के दौरान उपयोग  किए गए फूल लाल रंग के होने चाइये।
  1. हनुमान पूजा के पूर्व दीपक प्रज्वलित जरूर करना चाहिए। दीपक में जो बाती लगाई जा रही है वह भी लाल रंग के  सूत (धागे) की होनी चाहिए। किसी भी स्थान पर पूजा करने के पूर्व दीपक जरूर प्रज्वलित करें। हनुमान पूजा के दौरान जो दीपक आप जला रहे है, उसमें चमेली का तेल या शुद्ध घी होना चाहिए।
  1. हनुमानजी पूजा के बाद आरती करें और फिर उन्हें गुड़ और चने का नैवेज्ञ जरूर ‍अर्पित करें। इसके उपयुक्त चाहें तो केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग भी जरूर लगाएं।
  1. हनुमानजी पूजा के समय सिर्फ एक वस्त्र पहनकर ही पूजन करें।
  1. हनुमान प्रतिमा या चित्र को लकड़ी के पाठ पर लाल रंग के कपडे को  बिछाकर स्थापित करें और स्वयं कुश के आसन पर बैठकर ही पूजा कीजिये।

 

हनुमान पूजा की सावधानियाँ – Hanuman Puja Ki Savdhaniya

 

  1. जिस दिन हनुमान पूजन करना हो उसके एक दिन पहले से ही मांस, मदिरा(शराब) आदि का सेवन करना छोड़ दीजिये।
  1. जिस दिन पूजा करनी हो उसके एक दिन पहले से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू करें और मन में किसी भी अन्य प्रकार का आवेशपूर्ण विचार न रखें।

  1. हनुमान पूजा के मध्य में किसी भी प्रकार का बाधा उत्त्पन न हो इसका विशेष रूप से  ध्यान रखें।

  1. अगर घर में सूतककाल चल रहा है तो हनुमान पूजन न करें।

  2. हनुमान पूजा में चरणामृत या पंचामृत, तुलसी का उपयोग नहीं करें।

  3. महिलाएं हनुमान जी को जनेऊ, वस्त्र या झोला अर्पित न करें।

  4. महिलाओं को महावारी के समय पूजा से दूर ही रहना चाहिए।

  5. हनुमान जी की किसी भी प्रकार से तांत्रिक(तंत्री) पूजा नहीं की जानी चाहिए।

  6. हनुमान जी का उपवास रख रहे हैं तो इसका विशेष रूप से ध्यान रखे की  नमक, मिर्च और अनाज के सेवन नहीं करना।

  7. हनुमान जी को अर्पित करने वाला नैवेज्ञ(प्रसाद) शुद्ध घी में बना हुआ होना चाहिए।

 

अन्य जानकारी :-

 

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