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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114गणेश चतुर्थी 2023 (Ganesh Chaturthi 2023) -c सनातन धर्म में मनाए जाने वाले हर पर्व में गणेश जी शामिल होते हैं। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है इस बहुत बड़े स्तर इस राज्य में मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर भारत में इस दिन को गणेश जी के जन्मदिन मान कर भी मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक घर में गणेश जी की स्थापना की जाती है। गणेश जी भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं। 10 दिनों के बाद भगवान गणेश जी को विदा करके उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
Ganesh Chaturthi – यह त्योहार हिंदुओं द्वारा पूरे दस दिन मना कर गणेश जी को समर्पित होता है।Ganesh Chaturthi – भगवान श्री गणेश जी का जन्म भाद्रमाह में चल रहे शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के समय हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है। भक्त समृद्धि, बुद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए दिन को मनाते हैं और पूरा दिन गणेश जी की अराधना व पूजा करके उनके लिए व्रत रखते हैं। गणेश जी का जन्मदिन मान कर भी इसे मनाया जाता है। माना जाता है कि इनका जन्म मध्याहन काल के समय हुआ था इसलिए मध्याहन काल में की गई पूजा का कई गुना ज्यादा फल मिलता है और बहुत जल्दी भगवान खुश होते हैं।
भगवान गणेश जी के परम भक्त मात्र उनके आर्शीवाद प्राप्ती के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत रखते हैं और पूरा दिन गणेश जी की आराधना करके उनकी पूजा करते हैं।
Ganesh Chaturthi – मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने अपने शरीर की मैल से गणेश जी को बनाया था और जब वह नहाने के लिए गई थी तो उनको किसी को भीतर आने से रोकने के लिए रक्षा हेतु द्वार पर खड़ा कर दिया था। जब भगवान शिव ने अंदर जाने का प्रयास किया था तो गणेश जी उनके सामने खड़े हो गए थे और उनको अंदर जाने से रोक दिया था। तभी भगवान शिव ने क्रोध में आकर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। जब माता पार्वती को इस बारे में पता लगा था तो पार्वती जी ने गणेश जी को वापिस मांगने के लिए कहा था। उस समय माता बहुत क्रोध में थी। उस समय महादेव द्वारा हाथी का सिर लगाकर गणेश को पुन जीवन दान दिया गया था। इसलिए इस दिन का तब से गणेश चतुर्थी के त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा।
भाद्रमास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। उसके बाद दस दिनों गणेश जी की प्रतिमा को पूजा जाता है। प्रत्येक दस दिनों तक पूजा करके प्रसाद बाँटा जाता है और गणेश जी की अराधना की जाती है। अंतिम दिन को प्रतिमा की विदाई की जाती है और इस विदाई का दस दिनों की अपेक्षा बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है। भगवान गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद यह त्योहार पूर्ण हो जाता है। इस दिन का डण्डे बजाकर मनाया जाता है इसलिए इसे डंडा चैथ के नाम से भी बुलाया जाता है। माना जाता है दैत्यों के विनाश हेतु देवताओं ने माता पार्वती से अनुरोध किया था। जिसके फलस्वरूप माता द्वारा गणेश जी का जन्म किया गया था। इस कारण से गणेश जी को विघनहर्ता कहा जाता है।
Ganesh Chaturthi – वर्ष 2023 में 19 सितम्बर को मंगलवार के दिन इस पर्व को मनाया जाएगा। इस दिन मध्याहन के समय में की गई पूजा को बहुत विशेष माना गया है। तो आइए जानते है मुहूर्त के समय के बारे में और किस समय चंद्र दर्शन से बचना चाहिए।
इस दिन मध्याहन पूजा का समय सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर आरंभ होकर 1 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
18 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 11 मिनट तक किए गए चंद्र दर्शन को अशुभ माना गया है।गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा दर्शन को अशुभ माना जाता है। इसका उल्लेख पुराणों में किया गया है कि इस चंद्रण दर्शन करने से व्यक्ति पर झूठे आरोप लगते हैं और पूरे जीवनकाल में कलंक बनकर साथ ही रहते हैं।
चतुर्थी तिथि सोमवार के दिन दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होकर 19 सितम्बर को रात 08 बजकर 11 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा।
Ganesh Chaturthi – पौराणिक कथाओं और गणेशपुराण के अनुसार इस दिन पार्वती पुत्र गणेश का जन्म हुआ था और इस दिन भाद्र मास के समय शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन था। इसलिए विनायक चतुर्थी के नाम से इस दिन को संबोधित किया जाता है। इस दिन कई भक्त गणेश जी की सोने की प्रतिमा बनाकर स्थापना करते हैं। कलश स्थापना को इस पर्व पर बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।Ganesh Chaturthi – गणेश जी का लड्डूओं का भोग बहुत प्रिय है। शाम के समय में की गई पूजा को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है।Ganesh Chaturthi – सुख समृद्धि और वृद्धि की प्राप्ति के लिए लोग इस दिन पूजा अराधना करके श्री गणेश जी को प्रसन्न करते हैं। शिवपुराण के अनुसार भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को उनके पुत्र गणेश का जन्म हुआ था।
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