जानिए क्यों मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे , 2023 में फ्रेंडशिप डे कब है।
एक दोस्त को दूसरे दोस्त के प्रति सद्भावना को व्यक्त करना ही फ्रेंडशिप है। जब एक दोस्त किसी तकलीफ से गुजर रहा है, तो उसे दूसरा दोस्त सहायता का हाथ बढ़ाता है। इस गहरे संबंध को दोस्ताना व्यवहार कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे फ्रेंडशिप कहते हैं। इस वर्ष फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार यानी कि 6 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। फ्रेंडशिप की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। आइए जानते हैं फ्रेंडशिप क्यों मनाया जाता है? तथा फ्रेंडशिप कैसे मनाया जाता है ? ये सभी फ्रेंडशिप संबंधी विवरण आप किस आर्टिकल के माध्यम से जानने वाले हैं।
फ्रेंडशिप डे क्यों मनाया जाता है
दरअसल इसकी शुरुआत अमेरिका से सन 1958 में हुई थी। बताया जाता है कि इस दिन अमेरिका सरकार द्वारा एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस दिन अगस्त का पहला संडे था और उस व्यक्ति का खास दोस्त जो उससे बहुत लगाव रखा था। उसने आत्महत्या कर ली थी। इस वजह से अमेरिका सरकार ने इस दिन को फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाना स्वीकार किया। आज भारत में ही नहीं संपूर्ण विश्व में इस दिन को दोस्ती के नाम किया जाता है। एक दोस्त अपने दूसरे दोस्त के प्रति अपनी सद्भावना व्यक्त करते हैं। इस दिन को एक या एक से अधिक दोस्त बड़े आनंद के साथ मनाते हैं।
फ्रेंडशिप डे कैसे मनाया जाता है?
इस दिन एक मित्र दूसरे मित्र को फ्रेंडशिप बैंड बंधता है। फ्रेंडशिप की टी शर्ट गिफ्ट करता है। तथा ग्रीटिंग कार्ड आदि के माध्यम से इस दिन को याद किया जाता है। अगर कोई फ्रेंड उस पार्टी में शामिल नहीं होते, तो वह सोशल मीडिया के द्वारा इस फ्रेंडशिप डे को सेलिब्रेट करते हैं और एक दूसरे दोस्त की मदद करने का वादा करते हैं।
अगर हिंदू धर्म के अनुसार इस सम्बन्ध पर चर्चा करे तो सबसे ज्यादा दोस्ती भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ निभाई थी। एक ऐसे दोस्त का सम्मान भगवान श्री कृष्ण ने किया था जो बहुत दरिद्र है। अगर हम सुदामा और भगवान श्री कृष्ण की दोस्ती का उदाहरण यहां पर पेश करें, तो आप समझ सकते हैं कि दोस्ती में कोई राजा या रंग नहीं होता। दोस्त तो दोस्त ही होता है। मरणोपरांत तक अपनी दोस्ती नहीं भूल सकता।
फ्रेंडशिप डे का इतिहास
यह आपको उपरोक्त लाइन में पता चल चुका है कि फ्रेंडशिप डे की शुरुआत अमेरिका से हुई थी और आज संपूर्ण विश्व में इस दिन को पर्व की तरह मनाया जाता है। दरशल अमेरिका सरकार द्वारा एक दोस्त की दूसरे दोस्त के प्रति सद्भावना के रूप में उस दिन को सेलिब्रेट किया गया था। यह सेलिब्रेशन सन 1958 से चल रहा है। भारत में इस दिवस को पहले इतना लोकप्रिय नहीं माना गया था। परंतु जैसे-जैसे जनरेशन डिजिटल होती जा रही है। तब से फ्रेंडशिप डे भारत में खूब इंजॉय तथा सेलिब्रेट किया जाने लगा है।
शुरू में इस फ्रेंडशिप डे को इतने एंजॉयमेंट के साथ नहीं मनाया जाता था। बस कुछ खास दोस्त इसे ग्रीटिंग कार्ड्स या फ्रेंडशिप बैंड गिफ्ट करते थे। जैसे-जैसे इंटरनेट का चलन बढ़ा है फ्रेंडशिप डे क्रेज में आने लगा है।
दरअसल पहली बार मित्रता दिवस को मनाने का यह विचार “डॉ रामन आर्टिमियो ब्रैको” द्वारा प्रस्तावित किया गया। दोस्ती के लिए आयोजित की गई इस बैठक में “वर्ल्ड मैत्री क्रूसेड” को जन्म दिया। आपको बता दें कि वर्ल्ड मैत्री क्रूसेड एक ऐसी नींव है, जो धर्म जाति रंग के आधार पर भेदभाव किए बगैर विश्व में मित्रता को गहनता से बढ़ावा देती है।
फ्रेंडशिप डे की शुरुआत कैसे हुई?
दरअसल इसके पीछे एक रोचक कहानी है, वर्ष 1958 में अमेरिकी सरकार द्वारा एक व्यक्ति को उसकी सजा के लिए सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। तथा इससे आहत होकर उस व्यक्ति का खास दोस्त आत्महत्या कर लेता है। जब सरकार को इस कहानी का पता चलता है। तो उन्हें उस दोस्त के प्रति काफी सद्भावना सदा हमदर्दी उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में सरकार ने पूरे अमेरिका में अगस्त के पहले रविवार को दोस्त के नाम करने का निर्णय लिया। अर्थात फ्रेंडशिप डे बनाने का निर्णय लिया। तब से लेकर आज तक इसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।
फ्रेंडशिप डे भारत में कैसे मनाया जाता है?
अगर हम विश्व कैलेंडर के हिसाब से चलते हैं तो फ्रेंडशिप डे अमेरिका के इतिहास के तौर पर मनाते हैं। परंतु अगर हम हमारे भारतीय हिंदू धर्म की बात करें तो फ्रेंड्स डे अर्थात मित्रता दिवस बहुत अहम दिवस माना जाता है। एक दोस्त के प्रति दूसरे दोस्त कि सद्भावना व्यक्त करने का इससे बढ़िया कोई दिन नहीं हो सकता। जब एक दोस्त को किसी कारणवश परेशानी होती है, तो वह अपने माता पिता या पारिवारिक सदस्य को ना बता कर सब बातें अपने दोस्त से शेयर करता है। दोस्त यथासंभव उसकी मदद करता है। ऐसा करने से दोस्तों के बीच विश्वास बढ़ता है,और विश्वास का दूसरा नाम की फ्रेंडशिप है, मित्रता है।
भारत में पहले फ्रेंडशिप डे का इतना क्रेज नहीं था। पर डिजिटल प्लेटफार्म पर इस दिन को काफी महत्व दिया जाने लगा और आज भारत इस दिन को खूब सेलिब्रेट करता है।