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दशहरा 2023 कब है | Dashhara 2023 दशहरा का महत्व | दशहरा शुभ मुहूर्त 2023
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दशहरा 2023 कब है | Dashhara 2023 दशहरा का महत्व | दशहरा शुभ मुहूर्त 2023
December 23, 2022

दशहरा 2023 कब है | Dashhara 2023 दशहरा का महत्व | दशहरा शुभ मुहूर्त 2023

दशहरा 2023  | जानिए दशहरा कब है, दशहरा 2023  मुहूर्त, दशहरा क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है?

दशहरा 2023  – हिंदू धर्म में दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय के त्योहार स्वरूप मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा जी की पूजा की जाती है और नवरात्रि के दसवें दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है। दशहरा पर्व का संबंध त्रेतायुग से है, जिसमें भगवान श्री राम के रूप में भगवान श्री विष्णु ने धरती पर अपना अवतार लिया था। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में यह अलग रिति रिवाज़ों से मनाया जाता है, लेकिन इसका उद्देश्य धर्म की विजय का संकेत देना ही है। पूरे भारत में रामलीला और नाटकों का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर किया जाता है।

दशहरा 2023  – विजयदशमी के नाम से यह त्योहार तब विख्यात हुआ था जब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस दिन आश्र्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी थी तभी यह त्योहार विजयदशमी ने नाम से सुप्रसिद्ध हुआ। विजयादशमी को भैंस दानव महिषासुर के ऊपर देवी दुर्गा की विजय के रूप में भी चिह्नित किया जाता है। नेपाल में, दशहरा को दशिन के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है – Dashhara Kyo Manaya Jata Hai 

दशहरा 2023  – कहा जाता है मर्दाया पुरुषोत्तम राम ने शारदीय नवरात्रि की दशमी को लंकापति रावण का वध किया था। इसी दशमी के दिन को भक्त रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन करके इस विजयदशमी के त्योहार को मनाते हैं। लंकापति रावण के अतिरिक्त जिन दो पुतलों को जलाया जाता है उनमें मेघनाथ नाम का पुतला रावण का बेटा है और कुंभकरण जो हैं वह रावण के भाई हैं। नवग्रहों से पीड़ित जातक इस दिन विशेष पूजा पाठ का आयोजन करते हैं, जिससे ग्रहों के पड़ने वाले सारे बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं। इसलिए भी इस दिन को मनाया जाता है। मां दुर्गा और श्री राम जी के आर्शीवाद पाने की कामना और इनको प्रसन्न करने के लिए भी इस दिन को मनाया जाता है।

दशहरा 2023  – भारत के उत्तरी हिस्से में इस त्योहार की एक माह पूर्व ही तैयारी आरंभ हो जाती है, जिसमें शहरों में मेले, नाटक और नुक्कड़ नाटकों का आयोजन है। रामलीला नाटक के लिए दशहरा अंतिम दिन होता है। पश्चिमी भारत में श्री राम और मां दुर्गा दोनों को यह त्योहार समर्पित होता है। इन इलाकों में दुर्गा माता की प्रतिमा को घरों में स्थापित किया जाता है और अंतिम दिन बहते पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। 

दशहरा 2023  – पूर्वी भारत में नवरात्रि को ज्यादा महत्ता दी जाती है और इन जगहों पर मां दुर्गा का पूजन विजयदशमी के दिन विशेष होता है। इन जगहों में माता की बड़ी-बड़ी प्रतिमा के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती हैं। दक्षिणी भारत में दशहरा अलग रिति रिवाज़ों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। दक्षिणी भारत में इस  दिन ज्ञान और शिक्षा की देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।

 

दशहरा कब मनाया जाता है – Dashhara Kab Manaya Jata Hai 

दशहरा 2023 – हर वर्ष दशहरा आश्र्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है और इस त्योहार के बीस दिनों बाद हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार दीवाली आता है। इस दिन देवी जया और विजया की पूजा का विशेष महत्व है। मां भगवती की लगातार नौ दिनों तक पूजा की जाती है और नवरात्रि का दसवाँ दिन दशहरा होता है। सितंबर या अक्टूबर के महीने में आना वाला दशहरा एक पूर्णिमा दिवस है।

 

दशहरा वर्ष 2023  में कब है और मुहूर्त अवधि – Dashhara Varsh 2023 Me Kab Hai Or Muhurat Avadhi

इस साल 2023 में दशहरा का पर्व 24 अक्टूबर 2023 को यानि मंगलवार को मनाया जायेगा।  इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का दिन भगवान् श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। 

विजय मुहूर्त 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 2 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 49 मिनट तक रहेगा यानि समय अवधि 45 मिनट की ही रहेगी। 

दशहरा 2023  – इस दिन शमी वृक्ष की पूजा भी कि जाती है। माना जाता है इस वृक्ष की पूजा से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर आक्रमण करने से पूर्व इसी वृक्ष की पूजा की थी जिससे उनकी विजय हुई थी। शमी वृक्ष की पूजा के बाद गंगाजल या नर्मदा नदी के जल को इसकी जड़ों में चढ़ाने की परंपरा बहुत प्रसिद्ध है। पूजा के बाद शमी वृक्ष के पत्तों को पूजा के स्थान पर रखा जाता है।

विजयदशमी पूजा और विधि – Vijayadashmi Puja Or Avadhi 

दशहरा 2023  – दोपहर की अवधि के दौरान अपराजिता पूजा की जाती है। पूजा विधान नीचे दिया गया है:

  • अपने घर से उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा करने के लिए एक पवित्र और शुभ स्थान का पता लगाएं। यह मंदिर, बगीचे आदि के आसपास का क्षेत्र हो सकता है, यह बहुत अच्छा होगा अगर पूरा परिवार पूजा में भाग ले सके। हालांकि, व्यक्ति अकेले भी ऐसा कर सकते हैं।
  •  क्षेत्र को साफ करें और चंदन से अष्टदल चक्र (8 कमल की पंखुड़ी) बनाएं।
  • अब, एक प्रतिज्ञा लें कि आप अपने परिवार और अपने कल्याण के लिए देवी अपराजिता की पूजा कर रहे हैं।
  • उसके बाद, इस मंत्र के साथ देवी अपराजिता को चक्र के केंद्र में रखें: अपराजिताय नम
  • अब, एक मंत्र के साथ देवी जया को अपने दाहिनी ओर से आह्वान करें: वरशक्त्यै नम :।
  • उसके बाईं ओर, मंत्र के साथ देवी विजया का आवाहन करें: उमायै नम :।
  • इसके बाद मंत्रों के साथ षोडशोपचार पूजन करें: अपराजिताय नमः, जयायै नमः, विजयायै नमः।
  • अब, प्रार्थना करें – हे देवी, मैंने अपनी क्षमता के अनुसार पूजा अनुष्ठान किया है, कृपया प्रस्थान करने से पहले इसे स्वीकार करें।
  • मंत्र के साथविसर्जन करें: हरण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता दोतु विजयं मम।

दशहरा पर्व का महत्व – Dashhara Parv Ka Mahatva 

दशहरा 2023  – इस दिन सभी भक्त माता दुर्गा की पूजा के साथ साथ श्री राम जी पूजा करते हैं। इस दिन की गई पूजा से सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा और पाठ के साथ साथ लोग व्रत भी रखते हैं। मां दुर्गा और श्री राम जी के आर्शीवाद प्राप्ति से संपूर्ण कष्टों का नाश हो जाता है और घर में सुख शांति बनी रहती है। अस्त्र शस्त्र की पूजा के लिए यह दिन बहुत उत्तम माना गया है। इस समय वर्षा का मौसम खत्म हो जाता है और धान आदि फसलों के लिए समय अच्छा होता है। इसलिए इसे कई स्थानों पर कृषि का उत्सव भी मानते हैं। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

दशहरा 2023  – अलग जगहों पर भिन्न मान्यताओं के साथ मनाए जाने वाली विजयदशमी को संदेश एक ही है। वह है धर्म और सत्य की विजय। इस त्योहार के दिन हमें अपने अंदर की नकारात्मकता को नष्ट कर देना चाहिए।

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