चाणक्य किसकी पूजा करते थे – जैसा की आप और हम सभी इस बात को जानते है की चाणक्य बहुत ही बुद्धिमानीं और ज्ञानी व्यक्ति थे। एवं उनमे वाक् चातुर्यता भी थी। वे अपनी हाजिर जवाब की काला से सभी को मोह लिया करते थे।
चाणक्य किसकी पूजा करते थे –चाणक्य का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा रहा था। काम उम्र में ही उनके पिता पर राजद्रोह का झूठा आरोप लगा कर मगध नगर के चौराहे पर लटका दिया था। उनके बचपन में ही पिता का साया उठ जाने से उन्हें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा था।
चाणक्य किसकी पूजा करते थे –चाणक्य ने मानव जीवन के हर क्षेत्र को लेकर मानव जाती का मार्गदर्शन भी किया। फिर चाहे वो युद्ध क्षेत्र हो या नीतियों की बात हो। सामाजिक जीवन,स्वस्थ या फिर आध्त्यात्मिक की बात हो। जीवन के हर क्षेत्र में सरल और उच्च कोटि का जीवन जीने के अनेको सूत्र हमे दिए है।
चाणक्य किसकी पूजा करते थे –चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति ईश्वर को अलग अलग रूप में देखता है। तो आइये आज हम जानेंगे की मानव किस किस रूप में ईश्वर को मानता है और पूजता है।
चाणक्य किसकी पूजा करते थे –चाणक्य अपने कर्म के साथ-साथ ईश्वर में भी भक्ति रखते थे उनका ईश्वर को पूजने का भी एक अलग ही अंदाज़ था। वे सर्वाधिक अग्नि को पूजते थे। एवं वे भिन्न-भिन्न प्रकार से ईश्वर को मानते थे। और मानव जीवन के उद्धार के लिए भक्तिमय मार्गदर्शन भी किया है।
तो आइये जानते है उनके ईश्वर की भक्ति करने का तरीका और अंदाज।
अग्नि को पूजते है
चाणक्य की मान्यता के अनुसार ब्राह्मण,क्षत्रिय,और वैश्य समाज के लिए अग्नि ही साक्षात देव स्वरुप मानी जाती है। किसी भी विधि से इस समाज के लोग अग्नि को ही परमात्मा के रूप में पूजते है।
हृदय में बसते हैं भगवान
चाणक्य ऐसा मानते है की ऋषि और मुनि जब ध्यान करते है तो उस अवस्था के द्वारा ईश्वर का सानिध्य वे प्राप्त कर सकते है इन सभी के मन में और ह्रदय में ही इनके प्रभु निवास करते है।
मूरत में दीखते है भगवान
चाणक्य ऐसा कहते है की केवल मूर्खो को ही मूर्ति में भगवान दिखाई देते है। वे अपने ईश्वर को मूरत के आगे कुछ नहीं मान सकते और इससे आगे कुछ देख भी नहीं पाते है
हर चीज में भगवान दिखाई देते है
चाणक्य ऐसा मानते है की प्रत्येक चीज को सामान रूप से देखने वाले हर चीज और स्थान को भगवान् के रूप में देखते है। ऐसे लोगो के लिए हर जगह भगवान् का निवास होता है।
अन्य जानकारी :-