Krishna Janmashtami 2023 | कृष्ण जन्माष्टमी,मुहूर्त,पूजन विधि,कथा,महत्व,

कृष्ण जन्माष्टमी 2023 – Krishna Janmashtami 2023 

Krishna janmashtami  – आइए जानते हैं कि साल  2023 में जन्माष्टमी का पर्व कब है व जन्माष्टमी 2023 की तारीख व मुहूर्त। जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान् श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मथुरा नगरी (उत्तर प्रदेश) में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद में कृष्णपक्ष की अष्टमी को उनका जन्म हुआ था। Krishna janmashtami  – उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा अपनी तेज़ रौशनी में था और उस समय पर रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष भगवान् श्री कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का मुहूर्त – Krishna Janmashtami Ka Muhurat

    • यदि अष्टमी एक दिन पहले आधी रात को विद्यमान हो तो जन्माष्टमी व्रत एक दिन पहले किया जाता है।
    •  अष्टमी केवल दूसरे ही दिन आधी रात को हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाने की मान्यता है।
    • यदि अष्टमी दोनों दिन आधी रात को हो और आधी रात में रोहिणी नक्षत्र का योग एक ही दिन हो तो जन्माष्टमी व्रत रोहिणी नक्षत्र से युक्त वाले दिन में किया जाता है।
    • अष्टमी दोनों दिन आधी रात को विद्यमान हो और दोनों ही दिन अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र रहे तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाने का विधान है।
    •  अष्टमी दोनों दिन आधी रात को हो और आधी रात में दोनों दिन रोहिणी नक्षत्र का योग न हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाना चाहिए है।
    • अगर दोनों दिन अष्टमी आधी रात को ना हो तो प्रत्येक स्थिति में जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा।

जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि – Janmashtami Vrat Va Pujan Vidhi 

  • .  इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी से व्रत की पूर्ति होती है।
  •  इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व हल्का तथा सात्विक भोजन करें। और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें।
  •  उपवास वाले दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके पूजा में बैठें।
  •  हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर संकल्प करके मध्यान्ह के समय काले तिलों के जल छिड़ककर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएँ। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश को स्थापित करें।
  •  भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती माता देवकी जी की मूर्ति या सुन्दर तस्वीर की स्थापना करें।Krishna janmashtami  –  पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम लेते हुए विधि विधान से पूजन करें।
  • यह व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोलने की परंपरा है। इस व्रत में अन्न का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे आदि का हलवा बनाया जाता है।

जन्माष्टमी की कथा – Janmashtami Ki Katha 

Krishna janmashtami  – द्वापर युग के अंत में मथुरा (उतर प्रेदश) में उग्रसेन राजा राज्य करते थे। उग्रसेन के पुत्र का नाम कंस था। कंस ने उग्रसेन को अपने बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया थाऔर स्वयं वहा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यादव कुल में वासुदेव के साथ संपन्न हो गया।

Krishna janmashtami  – जब कंस देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहा था तो इस प्रकार से आकाशवाणी हुई, हे कंस! जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से विदा कर रहा है उसका आठवाँ पुत्र तेरा संहार(वध) करेगा। आकाशवाणी की बात सुनकर कंस क्रोध से भरकर देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया। उसने सोचा – न देवकी होगी न उसके कोई पुत्र का जन्म होगा।

Krishna janmashtami  – वासुदेव जी ने कंस को समझाया कि तुम्हें देवकी से किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं है। देवकी की आठवीं संतान से ही भय है। इसलिए मैँ इसकी आठवीं संतान का जन्म होने पर तुम्हे सौंप दूँगा। कंस ने वासुदेव जी की बात स्वीकार करि और वासुदेव-देवकी को कारागार में बंद कर दिया।

Krishna janmashtami  – तत्काल नारद जी वहाँ आ पहुँचे और कंस से बोले कि यह कैसे पता चलेगा कि आठवाँ गर्भ कौन-सा होगा। गिनती प्रथम से शुरू होगी या अंतिम गर्भ से। कंस ने नारद जी के परामर्श के अनुसार देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले सभी सन्तानो को एक-एक करके निर्दयतापूर्वक मौत के घाट उतर दिया।

Krishna janmashtami  – भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान् श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में अथा प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा, अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। Krishna janmashtami  – तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को ले आओ और फिर उस कन्या को तुम कंस को सौंप देना । वासुदेव जी ने वैसा ही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया।

Krishna janmashtami  – कंस ने जब उस कन्या को मारना चाहा तो वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली कि मुझे मारने से तेरा किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं है। तेरा शत्रु तो गोकुल में पहुँच चुका है। यह दृश्य देखकर कंस हतप्रभ और व्याकुल हो गया। कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे।Krishna janmashtami  –  श्रीकृष्ण जी ने अपनी आलौकिक शक्ति से सारे दैत्यों को मार डाला। बड़े होने पर कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर पुनः बैठाया।

जन्माष्टमी का महत्व – Janmashtami Ka Mahatva 

  • इस पावन दिन देश के सभी मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
  •  भगवान् श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं।
  •   भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजाया जाता है फिर उन्हें झूला झुलाया जाता है।

स्त्री व पुरुष दोनों ही रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं। रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की सुचना चारों दिशाओं में गूँज उठती है। भगवान श्री कृष्ण जी की आरती उतारी जाती है और भोग लगा कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।

 

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