Gupt Navratri – हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व बेहद ही खास और महत्व वाला होता है। मुख्य रूप से गुप्त नवरात्र शरद माह और चैत्र माह में आती है। लेकिन शास्त्रोंकी मान्यता के अनुसार यह चार प्रकार की होती है। माघ और आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि पर्व को गुप्त नवरात्रि कहते है। इस साल 2023 में माघ मास जनवरी और फरवरी की गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी 2023, रविवार से प्रारम्भ हो रहे हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस नवरात्रि को लेकर कई प्रकार के रहस्य हैं। इसलिए इस नवरात्रो को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
Gupt Navratri – पौराणिक ग्रंथाें की मान्यता के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के समय में सात्विक और तांत्रिक दोनों ही प्रकार की पूजा की होती है। परन्तु गुप्त नवरात्रि में दुर्गा माता की पूजा भी गुप्त तरीके से ही की जाती है। इसका सीधा और साधारण मतलब है कि इस दौरान तांत्रिक क्रिया कलापों पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इसमें दुर्गा माता के भक्त आसपास के लोगों को इसकी भनक नहीं लगने देते कि वे कोई साधना भी कर रहे हैं। ऐसी माना जाता है कि इस दौरान इस पूजा जितनी गोपनीयता के साथ की जाए तो भक्तो को उतनी ही अच्छी सफलता प्राप्त होती है।
Gupt Navratri – शारदीय और चैत्र की तर्ज पर ही गुप्त नवरात्रि में कलश (घट स्थापना) की स्थापना की जाती है। यदि कलश की स्थापना की है तो आपको सुबह और शाम दोनों समय में दुर्गा चालीसा का पाठ या दुर्गा सप्तशती का पाठन-पाठन और मंत्र का जाप भी करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि में दुर्गा माँ को भोग में लौंग और बताशा भी चढ़ाना चाहिए।
Gupt Navratri – आप को बता दें कि गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्रि की तुलना में बहुत ही अलग है। इस नवरात्रि में में गुप्त विद्या की सिद्धी प्राप्त करने केलिए साधना की जाती है। इस नवरात्रि में तंत्र साधना भी की जाती है जो कि सभी प्रकार से गुप्त होती है और इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। आप सभी को बताना चाहते है कि गुप्त नवरात्रि आमतौर पर तांत्रिक क्रिया कलापो और साधको के लिए ही होती है। अघोर तांत्रिक इस गुप्त नवरात्रि के समय में महाविद्याओं की सिद्धि के लिए ही उपासना करते हैं। इसलिए यह दूसरे नवरात्रि से बहुत ही अलग होती है। गृहस्थ जीवन जीने वले मनुष्य इस गुप्त नवरात्रि को नहीं मानते है।
देवी भागवत की मान्यता के अनुसार जिस प्रत्येक वर्ष में चार बार नवरात्र होते हैं। और जिस प्रकार से नवरात्रि में देवियों के नौ प्रकार के रूपों की पूजा की जाती है। ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की ही पूजा-साधना की जाती है।
Gupt Navratri – गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक क्रिया कलापो, शक्ति साधना, महाकाल (भगवान् शिव) आदि से जुड़े भक्तो के लिए विशेष प्रकार का महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के भक्त बेहद ही कड़े नियम के साथ ही इसका व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान भक्त लंबी साधना करके दुर्लभ और अतुल्य शक्तियों की प्राप्ति करने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं।
गुप्त नवरात्र के समय कई भक्त महाविद्या के लिए मां काली, माँ तारा देवी, माँ त्रिपुर सुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला देवी की पूजा करते हैं।
Gupt Navratri – इस गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना कर के ऋषि विश्वामित्र अधभुद शक्तियों के धनि बन गए। उनकी इस सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान केवल इसी बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की निर्माण तक कर डाला था।
ठीक इसी तरह, लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियो को प्राप्त करने हेतु गुप्त नवरात्रों में साधना की थी शुक्राचार्य ने मेघनाद को परामर्श भी दिया था कि गुप्त नवरात्रों में अपनी कुलदेवी माँ निकुम्बाला की साधना करके ही वह अजेय बनाने वाली अलौकिक शक्तियों का अकेला स्वामी बन सकता है। इस गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा-साधना की जाती है।
Gupt Navratri – गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं कलापो , शक्ति साधना, महाकाल (भगवान् शिव) आदि से जुड़े भक्तो के लिए विशेष रूप से महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के भक्त बेहद ही कड़े नियम और मान्यता के साथ इसका व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान भक्त लंबी साधना करके दुर्लभ और अतुल्य शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास भी करते हैं।
Gupt Navratri – इस गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तांत्रिक शक्ति) हासिल करने के लिए मां काली, माँ तारा देवी, माँ त्रिपुर सुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला देवी की पूजा करते हैं।ऐसी हमारी मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर भगवान् श्री राम ने भी अपनी खोई हुई शक्तिया पुनः हासिल करि थी। इस कारण इस समय तक भी आदिशक्ति की आराधना पर विशेष ध्यान दिया जाता है संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण होता हैं क्योकि नौ रात्रियों का समाहार, होने के कारण से द्वन्द समास होने के कारण भी यह शब्द गुप्त ‘नवरात्र’ के नाम से ही शुद्ध माना जाता है।
Gupt Navratri – इस गुप्त नवरात्रि, जिसे गायत्री नवरात्रि के रूप में भी माना जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने के दौरान यह गुप्त नवरात्र पर्व मनाया जाता है। जो आमतौर पर जून-जुलाई के बीच आता है। इस नवरात्री के 9 दिवसीय पालन करने के दौरान माँ दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु मुख्य तरीका तांत्रिक विद्या के मंत्रों के साथ ही देवी के शक्तिशाली आक्रमणों को मंत्रमुग्ध करना होता है।
गुप्त नवरात्रि के समय पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधा तांत्रिक विद्या ही होती है जिसमें धन, बल ,बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने हेतु माँ दुर्गा का प्रचार प्रसार और प्रसाद भी शामिल है।
ऐसी हमारी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के समय माँ दुर्गा को शक्तिशाली मंत्र और तंत्र और तांत्रिक विद्याओ और साधना के रूप में माँ दुर्गा को अर्पित की जाने वाली सभी गुप्त प्रार्थनाएं जो भक्तों की सभी प्रकार की इच्छाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्तियों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।