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Govardhan Pooja 2023 | गोवर्धन पूजा 2023 | कब है, मुहूर्त, क्यों मनाया जाता है, एवं विधि

Govardhan Pooja
December 15, 2022

गोवर्धन पूजा 2023 – Govardhan pooja 2023 

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओ और मान्यताओं के अनुसार दीपावली के अगले दिनगोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार का विशेष महत्व है। इस गोवर्धन पूजा के दिन भगवाव गोवर्द्धनाथ की ,गाय,बछड़े की पूजा उपासना की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा का सीधा संबंध भगवान् श्री कृष्ण के जोडा गया है। 

गोवर्धन पूजा  कब है – Govardhan pooja Kab Hai 

  Govardhan pooja हर साल गोवर्धन पूजा का पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार इस साल 2023 में 14 नवंबर 2023 को यानि मंगलवार को मनाया जायेगा। 

गोवर्धन पूजा का मुहूर्त – Govardhan pooja Ka Muhurt 

हिन्दू पंचांग की मयताओं के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि जो की 13 नवंबर की दोपहर  2 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर प्रतिपदा तिथि की समाप्ति अगले दिन 14  नवंबर 2023 को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पाए समाप्त होगा। 

गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है – Govardhan pooja Kyo Manai Jati Hai 

  Govardhan pooja गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा कहा जाता है और इसे अन्नकूट के नाम से जाना जाता है। इस गोवरधन पूजा का प्रारम्भ कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से की जा रही है। यह गोवर्धन पूजा बृजवासियों का मुख्य त्यौहार माना जाता है। इस गोवर्धन पूजा के दिन विभिन्न प्रकार के खाद्द सामग्री बना कर भगवान् को भोग लगाया जाता है। 

गोवर्धन पूजा के दिन बलि पूजा,मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाये जाते है। इस गोवर्धन पूजा के दिन गाय-बैल आदि पशुओ को स्नानं कराया जाता है। फिर धुप दीप चन्दन फूल की माला को पहना कर इनका पूजन किया जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन गौ माता को मीठे खिला कर उसकी आरती उतारते है। गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गया था ग्वाले की रोली चावल,फूल,जल,मोली,दही, तथा तेल का दीपक जला कर गोवर्धन पूजा की जाती है। और परिक्रमा की जाती है। जब भगवान् श्री कृष्ण के बृजवासियों को भरी बारिश से बचने के लिए अपनी छोटी ऊँगली पर पर्वत को उठा लिया था। और 7 दिन  तक उठए रखा। इंद्रा का मार्ग मर्दन किय और उनकर सुरदर्शन चक्र के प्रभाव से बृजवासियों पर वर्षा का एक बून्द भी पानी की नहीं आने दी और सभी गोप -गोपिया उसमे आराम से रही, तब भगवान् ब्रह्मा ने इंद्र को बताया की पृथ्वी पर भगवान् श्री कृष्ण ने जन्म लेलिया है उनसे बैर करना उचित नहीं है यह जानकर श्री इंद्रा भी अपने इस कार्य करने पर लज्जित हुए और भगवान् श्री कृष्ण से क्षमा याचना की। 

  Govardhan pooja भगवान् श्री कृष्ण ने 7वे दिन  गोवर्धन पर्वत के नीचे रखा और हर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। उसी समय से अन्नकूट उत्सव को मनाने की प्रथा चली जा रही है। 

  Govardhan pooja कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान् के निमित भोग और नैवेघ बनाया जाता है। जिसे छप्पन भोग कहा जाता है अन्नकूट उत्सव मनाने वाले भक्तो की लम्बी उम्र होती है और वो निरोगी रहकर अपना जीवन जीते है। गोवर्धन पूजा करने से दरिद्रता का नाश होता है और घर में सुख और समृद्धि लगातार बानी रहती है। ऐसा भी माना जाता है की जो व्यक्ति इस दिन दुखी रहता है वह मनुष्य पुरे वर्षभर दुखी और परेशान रहता है। इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन किसी को भी दुखी नहीं रहना चाहिए और अन्नकूट ओर गोवर्धन पूजा का त्यौहार ख़ुशी और हर्सोल्लास के साथ मनाना चाहिए। 

गोवर्धन पूजा की विधि – Govardhan pooja Ki Vidhi 

गोवर्धन पूजा हिन्दुओ के मुख्य त्योहारों में से एक है। इसी लिए गोवर्धन पूजा वाले दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर स्नानं करके गोबर से लेटे हुए पुरुष की तरह गोवर्धन को बनाया जाता है। फिर नाभि के स्थान पर एक बड़ा दीपक रखा जाता है। फिर उस दीपक में दूध,दही,गंगाजल,शहद,बताशे,आदि गोवर्धन पूज करते समय डाली जाती है। दिर गोवर्धन के परिक्रमा लगाई जाती है। और फिर प्रसाद को खाया जता है और बांटा जाता है। 

गोवर्धन पूजा का महत्व – Govardhan pooja Ka Mahatva 

गोवर्धन पूजा का हिन्दू धर्म में अपना विशेष महत्व रखता है। प्रतिवर्ष ये गोवर्धन पूजा का त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाने वाला त्यौहार है और यह गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन आता है। इस दिन सुबह से ही अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की तयारी शुरू हो जाती है। इस गोवर्दान पूजा के दिन गोबर से घर के आँगन में लेटे हुए गोवर्धन बनाया जाता है। फिर उसकी नाभि के स्थान पर एक बड़ा दीपक रखा जाता है। जिसमे दूध,दही,गंगाजल,बताशे,आदि रखे जाते है।  गोवर्धन को पुष्प फूल माला से सजाया जाता है फिर गोवर्धन के परिक्रमा की जाती है।  गोवर्धन पूजा के दिन भगवान् श्री कृष्ण की और गायो की पूजा की जाती है। यह पर्व हमारी प्रकृति को समर्पित है गोवर्धन पूजा के दिन  गोवर्धन के सात बार परिक्रमा लगाई जाती है और जल छिड़का जाता है। और जौ बोया जाता है। ऐसा मना जाता है की गोवर्धन पूजा करने से घर की सभी प्रकार की दरिद्रता दूर होती है। सुख समृद्धि आती है जीवन में शांति बानी रहती है। गोवर्धन पूजा से खुशहाली आती है। और मनुष्य के सभी कष्ट,रोग मिट जाते है। इसी लिए गोवर्धन पूजा का त्यौहार प्रतिवर्ष हर्सोल्लास के साथ मनाना चाहिए। 

 

   

 

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