मंगल ग्रह मानव जीवन को कई अच्छे व बुरे तरीके से प्रभावित करता है और ज्योतिष विद्या के अनुसार विवाह संबंधित रूकावटें आना या कुछ अच्छा होना, सब मंगल ग्रह की बनी हुई स्थिती पर निर्भर करता है। मंगल ग्रह को देवों के सेनापति के रूप में जाना जाता है और इसी के साथ-साथ मंगल को रुधिर का कारक भी माना जाता है।
ज्योतिष शस्त्र में मंगल को एक निर्दय ग्रह के नाम से बोधित किया जाता है। इसलिए इस ग्रह के बुरे प्रभाव से शादी में बाधा आना या न हो पाना एक बहुत ही आम सी बात है। इसकी बुरी दृष्टि पड़ने से खून से संबंधित बुरे रोग लग जाते है और समय पर यदि इसके उपायों को नहीं किया जाए तो यह रोग आगे जाकर गंभीर रूप ले लेते हैं और जान जाने का खतरा तक बन जाता है।
विवाह से पहले कुंडली में मंगल की स्थिती को देखा जाता है। मांगलिक दोष से केवल उस व्यक्ति पर ही प्रभाव नहीं पड़ता जिसकी कुंडली में दोष हो बल्कि जीनवसाथी पर भी मृत्यु भय बना रहता है। इसलिए इस दोष के बारे में जानना बहुत जरूरी है, तो आइए इसके बारे मे विस्तार से जानते हैं और पता लगाते हैं कि Mangalik Dosha Kya Hota Hai or इसके क्या दुषप्रभाव हो सकते और किन-किन उपायों को करके इससे निजात पाई जा सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपकी जन्म पत्रिका में बनाई हुई जन्म कुंडली में मंगल ग्रह लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में स्थित हो तो उसे मांगलिक दोष कहा जाता है। उस व्यक्ति को मांगलिक भी कहा जाता है, मंगल के इस दोष को कुज दोष के नाम से भी जाता है। मांगलिक दोष के चलते जातक को विवाह भी एक मांगलिक जातिका के ही करवाना चाहिए अन्यथा भविष्य में लड़ाई झगड़े होते ही रहेंगे और जीवनसाथी के जीवन पर मृत्यू का साया मंडराते ही रहेगा।
आपको बता दें कि शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों को पाप ग्रह कहा जाता है। जन्म कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश स्थान में यदि पाप ग्रह स्थित न हो और मंगल स्थित हो तो जातकों को यह दोष लग जाता है। इसके अलावा मंगल की खराब दृष्टि पड़ने के कारण यह दोष लगता है। मंगल को रूष्ठ करने वाले कार्यों से यह दोष और बुरे प्रभाव दिखाता है। गुरु की दृष्टि का मंगल ग्रह पर न पड़ना भी मांगलिक दोष लगने का विशेष कारण है।
जन्म पत्रिका में यदि चंद्र और गुरु के योग मंगल ग्रह से हो जाए तो इस दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है फलतः गुरु और चंद्र का योग मंगल से न मिलना मांगलिक दोष लगने के कारणों में से ही एक है। 1, 4, 7, 8 और 12 भावों में स्थित मंगल पर किसी भी देव व शुभ ग्रह की दृष्टि न पड़ना कुज दोष के लगने का कारण है। कुंडली के पांच भाव जीवन के प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े हुए होते हैं इसलिए बिना उपाय के मांगलिक दोष का निवारण असंभव है।
ज्यातिष विद्या में ग्रह मंगल को मेष राशि और वृश्चिक राशि का स्वामी माना जाता है। कर्क राशि में सही नहीं माना जाता है अर्थात् नीच माना जाता है, वहीं मकर राशि में मंगल को उच्च माना जाता है। अगर हम नक्षत्रों की बात करें तो मंगल को मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा का स्वामित्व मिला हुआ है।
लग्न, चौथे और सातवें स्थान का मंगल ग्रह खराब प्रभावों के साथ अच्छे प्रभाव भी देता है इसलिए इसे इतना ज्यादा अशुभ नहीं माना जाता। लेकिन जन्मपत्री में आठवें और बाहरवें स्थान पर बैठा हुआ मंगल बहुत परेशानियां खड़ी करता है और मात्र खराब परिणाम लेकर ही आता है और सबसे ज्यादा शारीरिक क्षमताओं को कम या खत्म कर देता है। मांगलिक व्यक्ति को बहुत जल्दी और तेज गुस्सा आता है। उसका स्वभाव में अहंकार धीरे-धीरे बढ़ता ही रहता है। इन कारणों के कारण गैर-मांगलिक व्यक्ति इनके साथ ज्यादा समय तक नहीं रह पाते और हमेशा लड़ाई चलती ही रहती है और ऐसा मानना है कि मंगल युद्ध के देव कह लाए जाते हैं। यह लोग जल्दी किसी के साथ घुल-मिल नहीं पाते और अपने मन की बातें बताने में भी संकोच करते हैं।
ज्योतिषी यह दावा करते हैं कि मांगलिक जातकों में दयालु, मानतावादी और क्षमा करने के गुण होते हैं। यह बाकियों की अपेक्षा काफी जल्दी चीजों को सीखते हैं और ग़लतियाँ भी कम करते हैं, इसलिए दूसरों द्वारा की गई ग़लतियों को यह सहन भी नहीं कर पाते। किसी के आगे झुकना या झुक कर काम करना इनको बिल्कुल भी पसंद नहीं होता।
इस दोष के कई उपाय है जिससे इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, लेकिन कुछ उपाय ऐसे है जिनसे मांगलिक दोष को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है। इन उपायों को करते समय यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि यह उपाय जातक के लिए है या जातिकाओं के लिए। कुछ उपाय ऐसे हैं जिन्हें दोनों कर सकते हैं। चलों इस उपायों के बारे में जानते हैं।
इन उपायों को करके मांगलिक दोष के बुरे प्रभाव को थोड़ा कम किया जा सकता है और इन उपायों को लड़के और लड़कियाँ दोनों कर सकते हैं।
इससे संबंधित काफी गलत तथ्य हमें सुनने को मिलते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह दोष 27 वर्ष की उम्र के बाद अपने आप ही खत्म हो जाता है परंतु यह सत्य नहीं है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार कई बार इसका प्रभाव कम हो जाता है और ऐसा सभी के साथ नहीं होता है। जातकों को किसी ज्योतिष विद्वान से पहले कुंडली की जांच करवानी चाहिए तभी विवाह की ओर अपने कदम को बढ़ाना चाहिए। नहीं तो इसके काफी बुरे परिणाम हो सकते हैं। हमारी विस्तार में दी गई जानकारी को पढ़ने के बाद आप अभी तक अच्छे से इन परिणामों के बारे में जान गए होंगे। मंगल ग्रह के पूर्णरूप से अस्त हो जाने पर किसी भी ग्रह की दृष्टि इसका प्रभाव खत्म नहीं कर सकती है इसके लिए आपको बताए गए उपाए करने की होंगे।
मंगलवार के दिन जिस व्यक्ति का जन्म हो जाए वो मांगलिक होता है। यह बात भी सत्य नहीं है किसी भी वार में जन्मा हुआ व्यक्ति मांगलिक हो सकता है। इस बात को केवल कुंडली देख कर ही सुनिश्चित किया जा सकता है। ऐसा भी सुनने में आता है कि मांगलिक और गैरमांगलिक का विवाह के बाद रिश्ता खत्म होना निश्चित होता है। यह बात भी पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। ऐसे विवाह में लड़ाई हो सकने के अलावा और भी कई परेशानियां आ सकती है परंतु ऐसे जोड़े का तलाक होना या न होना, इसके बारे में ज्योतिष विद्या में कुछ स्पष्टता से नहीं दिया गया है।
ज्योतिष शास्त्र में मानव जीवन से जुड़ी हुई हर समस्या का समाधान है। गलती से या जाने अनजाने में अमांगलिक और मांगलिक जातक व जातिका का विवाह हो जाता है और मांगलिक दोष के बारे उन्हें बाद में पता चलता है। ऐसी परिस्थिति में उपर दिए गए उपायों के अलावा और भी अलग उपाय है जिसके बारे में आपको कुंडली दिखा कर किसी विशेषज्ञ से ही जानना चाहिए। ऐसे उपायों को बिना सलाह के करने से खराब परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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