Utpanna Ekadashi – हिन्दू पौराणिक कथाओ की मान्यताओं के अनुसार यह पर्व मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी वाले दिन होता है।ऐसा माना जाता है कि उत्पन्ना एकादशी वाले दिन व्रत \उपवास का पालन करने से मनुष्य के सभी बड़े से बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं इस दिन भगवान् श्री विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मरू का वध किया था। इसीलिए इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के पूर्व जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते है। उत्त्पन्ना एकादशी का व्रत पूर्ण रूप से भगवन श्री विष्णु को समर्पित है।
Utpanna Ekadashi – इस उत्त्पन्ना एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। और यह व्रत संतान प्राप्ति और आरोग्य रहने के लिए भी किया जाता है। उत्तरी भारत के कई राज्यों में ये व्रत अलग अलग महीनो में भी किया जाता है। यह उत्तपन्ना एकादशी मार्गशीर्ष के पावन महीने में मनाई जाती है। लेकिन महाराष्ट्र,करनाटक,गुजरात और आंध्र प्रदेश आदि कई राज्यों में ये उत्त्पन्ना एकादशी का व्रत कार्तिक माह में मनाया जाता है।
Utpanna Ekadashi – इस उत्तपन्ना एकादशी के व्रत को करने से भगवान् श्री विष्णु की कृपा उनके भक्तो पर बानी रहती है। इस व्रत का मुख्य विशेषता ये भी है की इस व्रत को करने से भक्तो को सभी तीर्थो के दर्शन के बराबर के फल की प्राप्ति होती है। इस महान उत्त्पन्न एकादशी का व्रत वाले दिन दान करने से अगले जन्मो तक भी इस का फल भगवान् श्री विष्णु की कृपा से मिलता रहता है। इस उत्त्पन्ना एकादशी के व्रत को करने से भक्तो के जीवन में आनंद रहता है और माता लक्ष्मी की कृपा भी बानी रहती है।
Utpanna Ekadashi – उत्त्पन्ना एकादशी वाले दिन ब्रह्मवेला में भगवान विष्णु को पुष्प,जल,धूप,दीप,अक्षत से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। उत्त्पन्ना एकादशी व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है। इस व्रत में दान करने से कई लाख गुना पूजा करने का फल मिलता है। उत्पन्ना एकादशी पर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान् श्री विष्णु की पूजा-अर्चना करना चाहिए। साथ ही इसी दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी विशेष फल प्रदान करता है।
Utpanna Ekadashi – हिन्दुओ के पद्म पुराण में एकादशी के बारे में विस्तार से पूर्ण जानकारी दी गई है। ऐसा माना जाता है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से एकादशी की कथा के बारे में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा जताई। फिर उसी समय तत्काल रूप से भगवान श्री कृष्ण ने कहा-हे धर्मराज! सतयुग में मुर नाम का राक्षस था जिसने देवताओ को पराजित (हरा) कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया था। तीनों लोकों में हाहाकार मच गया था। सभी देवता और ऋषिगण अपनी इस भयंकर परेशानी को लेकर महादेव के पास पहुंचें।
Utpanna Ekadashi- भगवान श्री शिव शंकर ने कहा-इस समस्या का सम्पूर्ण समाधान भगवान श्री विष्णु जी के पास ही मिलेगा है। अतः हमें उनके पास जाने की आवश्कता है। उसके बात सभी देवता भगवान श्री विष्णु जी के पास जाकर उन्हें सम्पूर्ण स्थिति से अवगत कराया गया। कालांतर में भगवान श्रीहरि विष्णु ने असुर मुर के सैकड़ों सेनापतियों का युद्ध में वध कर विश्राम करने हेतु बद्रिकाश्रम में चले गए। सेनापतियों के वध का समाचार ,मिला तो वो क्रोधित होकर मुर बद्रिकाश्रम में पहुंच गया।
तब उसी समय भगवान श्री विष्णु के शरीर से एक कन्या का जन्म हुआ। तभी कन्या और असुर मुर के बीच भीषण युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में कन्या ने असुर मुर का युद्ध में वध कर दिया। जब भगवान श्री विष्णु अपनी निद्रावस्था से जागृत हुए, तो उस कन्या के इस उत्तम कार्य से अति प्रसन्न होकर कन्या को एकादशी के नाम दिया और एकादशी तिथि को अति प्रिय बताया। तब देवी-देवताओं ने कन्या की वंदना उसका सम्मान भी किया । कालांतर से एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा पूजा-उपासना की जाती है।
उत्त्पन्ना एकादशी के पांच (5) मुख्य लाभ जो निम्न प्रकार से है।