काल भैरव जयंती – Kaal Bhairav Jayanti
Kaal Bhairav Jayanti – नवंबर महीने में 5 दिसंबर यानी मंगलवार को भैरव अष्टमी का पर्व है। यह दिन भगवान भैरव और उनके अनेको रूपों के समर्पित है। भगवान भैरव को भगवान शिव का एक रूप भी माना जाता है, इनकी पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता ऐसी है कि भगवान शिव के रौद्र रूप में काल भैरव की पूजा उपासन करने से भय और अवसाद,तनाव का अंत जल्दी होता है और किसी भी कार्य में आ रही बाधा या कोई भी समस्या हो वो समाप्त हो जाती है। ऐसा माना जाता हैं कि भगवान शिव के किसी भी मंदिर में पूजा करने के पश्च्यात भैरव मंदिर में जाना जरुरी होता है। ऐसा नहीं करने से भगवान शिव का दर्शन अधूरा माना जाता है। मान्यता ऐसी है कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ही भगवान श्री शिव ने काल भैरव का रौद्र रूप धारण कर लिया था। इसी कारण इस दिन को काल भैरव अष्टमी (काल भैरव जयंती) के रूप में मनाया जाता है।
काल भैरव जयंती का महत्व – Kaal Bhairav Jayanti Ka Mahatva
Kaal Bhairav Jayanti – हिन्दू धर्म शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री काल भैरव के बारे में ऐसा माना जाता है मनुष्य के द्वारा किये गए अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब काल भैरव अपने पास ही रखते हैं।जो मनुष्य जीवों पर परोपकार करने वालों पर श्री काल भैरव की अति विशेष कृपा सदैव बानी रहती है। तो वे ही मनुष्य द्वारा किये गए बुरे कर्मो और अनैतिक आचरण करने वालों को वह स्वयं ही दंड भी देते हैं। माना जाता है कि काल भैरव अष्टमी के दिन (काल भैरव जयंती) वाले दिन काले कुत्ते को भोजन जरूर कराना चाहिए। ऐसा करने से काल भैरव अति प्रसन्न होते है। इसी के साथ ही शनि देव की भी असीम कृपा मनुष्य पर बानी रहती है।Kaal Bhairav Jayanti- और भगवान् श्री काल भैरव राहु से होने वाले अशुभ प्रभाव को भी नष्ट करते हैं। काल भैरव (काल भैरव जयंती) की पूजा करने से मन का भय और अज्ञात भय भी दूर होता है और किसी भी प्रकार की बुरी नजर का असर मनुष्य पर नहीं पड़ता है।
काल भैरव जयंती की पूजा विधि – Kaal Bhairav Jayanti Ki Pujan Vidhi
- काल भैरव जयंती वाले दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठना चाहिए
- सुबह के समय स्वच्छ वस्त्र को धारण करके भगवन शिव जी के सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं।
- हमारी संस्कृति की मान्यताओं के अनुसार काल भैरव की पूजा शाम\रात के समय होती है।
- कल भैरव जयंती के दिन शाम को कल भैरव के मंदिर में जाकर पूजा पाठ करें।
- पूजा करने के बाद प्रसाद में जलेबी, इमरती, उड़द की दाल, पान और नारियल का भोग लगाएं।
- काल भैरव की पूजा करने के बाद अपनी सभी गलतियों के लिए भगवान् काल भैरव से क्षमा प्रार्थना करें।
- अंत में प्रसाद का कुछ हिस्सा काले कुत्ते को जरूर खिलाएं।
- ऐसा करने से काल भैरव प्रसन्न होते है और अपने भक्तो को आशीर्वाद देते है
किन उपायों से प्रसन्न होते है काल भैरव – Kin Upayo se Prasann Hote Hai Kaal Bhairav
- काल भैरव जयंती वाले दिन पीपल के वृक्ष के तले सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा माना जाता है की इस उपाय को करने से मनुष्य के ऊपर से ग्रह बाधा भी दूर हो जाती है मिट जाती है। और साथ ही काल भैरव भी प्रसन्न हो कर अपनी कृपा बरसते है।
- काल भैरव जयंती वाले दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए 21 बेलपत्रों के ऊपर चंदन से ऊं नम: शिवाय मंत्र को लिखें। उसके बाद मन ही मन ऊं मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव को एक-एक करके बेलपत्र अर्पित या चढ़ाते जाएं। ऐसा मना जाता हैं की ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।और काल भैरव प्रसन्न होते है।
- इस काल भैरव जयंती वाले दिन काली वस्तुओं का दान करना भी शुभ और अति विशेष माना जाता है। किसी जरूरमंद को या किसी निर्धन व्यक्ति को काले जूते या काले वस्त्र का दान भी करना उचित माना जाता है
कौन है काल भैरव – Kon Hai Kaal Bhairav
Kaal Bhairav Jayanti – काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप को माना जाता है। शिव भगवान् का यही रूप काल भैरव की जयंती के रूप में माना जाता है। इसलिए, यह काल भैरव जयंती का दिन भगवान शिव भक्तो के लिए बहुत विशेष महत्व रखता है। Kaal Bhairav Jayanti – काल भैरव जयंती वाला दिन तब अधिक शुभ तब माना जाता है जब यह काल भैरव जयंती मंगलवार को या रविवार को होती है। क्योंकि ये दिन भगवान काल भैरव को पूर्ण रूप से समर्पित होते हैं। इसे महकाल भैरव अष्टमी या काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
काल भैरव की कथा – Kaal Bhairav Ki Katha
Kaal Bhairav Jayanti – कालभैरव जयंती का पर्व भगवान काल भैरव और भगवान शिव के परम भक्तो के लिए बहुत विशेष महत्व रखता है। भगवान काल भैरव को भगवान शिव का डरावना रूप भी माना जाता है। शास्त्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं मान्यताओ के अनुसार, उदाहरण के लिए जब भगवान महेश,भगवान् विष्णु और भगवान ब्रह्मा अपने वर्चस्व और शक्ति के बारे में आपस में ही चर्चा कर रहे थे, भगवान शिव भगवान् श्री ब्रह्मा द्वारा कही गई कुछ टिप्पणियों के कारण क्रोधित हो गए। Kaal Bhairav Jayanti- और फिर परिणामस्वरूप, भगवान कालभैरव भगवान शिव के माथे से प्रकट हुए और क्रोध में आकर भगवान ब्रह्मा के पांच सिर में से एक सिर को काट कर उनके धड़ से अलग कर दिया था।
काल भैरव जयंती के दिन भगवान कालभैरव कुत्ते पर सवार होते हैं और बुरे कार्य या अनैतिक आचरण करने वाले मनुष्यो को दंडित करने हेतु एक छड़ी भी रखते हैं। Kaal Bhairav Jayanti – भक्त कालभैरव जयंती की शुभ संध्या पर भगवान कालभैरव की पूजा-पाठ करते हैं ऐसा करने से सफलता और अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ सभी अतीत और वर्तमान के पापों से छुटकारा पाया जा सकें। साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि, भगवान कालभैरव की पूजा करने से, भक्त अपने सभी ‘शनि’ और ‘राहु ‘दोषो को भी समाप्त कर सकते हैं।