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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114Vishnu Ji Ki Aarti – गुरुवार का दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित है। विवाह योग्य जातको को विवाह में आने वाली बाधा को दूर करना हो या फिर उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति को मजबूत करना हो, ज्योतिषाचार्य भी गुरुवार का व्रत करने की ही सलाह देते हैं।
Vishnu Ji Ki Aarti – गुरुवार के दिन जो भी व्यक्ति व्रत रहते हैं, वे व्यक्ति केले के पौधे की पूजा-अर्चना करते हैं। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केले के पौधे में भगवान श्री विष्णु का वास माना जाता है।
Vishnu Ji Ki Aarti – भगवान श्री विष्णु की पूजा करने के पश्च्यात आरती करने का विधान भी है। आरती करने से ही पूजा को पूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूजा-अर्चन में जो भी त्रुटि भक्तो द्वारा अनजाने में हो जाती है, वह आरती करने से सम्पूर्ण हो जाती है।
Vishnu Ji Ki Aarti – इसी कारण आरती का उच्च स्वर में गायन किया जाता है। यदि आप भी गुरुवार का व्रत हैं, तो आप शाम (संध्या काल) को भगवान श्री विष्णु की आरती का गायन करना न भूलें।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै,दुख बिनसे मन का,,,
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे….. …… ….
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी,,,,
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…. …. …
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…. ….. ….
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…. …. ….
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…. …. ….
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…. …. ….
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ॐ जय जगदीश हरे…. … …..
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…. … ….