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सुईया मेला | Suiya Mela
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सुईया मेला | Suiya Mela
March 31, 2023

सुईया मेला | Suiya Mela

सुईया मेला – Suiya Mela

 

सुईया मेला – आइये दोस्तों आज हम लोग बात करेंगे बाड़मेर जिले के सुईया मेले के बारे में। वैसे तो हमारे देश की पवित्र नदियों के त्रिवेणी संगम पर और अन्य नदियों के तट पर पवित्र स्नान के लिये कुंभ मेले का आयोजन किया जाता हैं। परन्तु रेगिस्तान के सूखे बियाबान में स्थित चौहटन में मरूकुम्भ के नाम से प्रसिद्द सूईंया पोषण का मेला भारत देश में अपनी एक अलग ही पहचान रखता है। पौराणिक मान्यताओं की अगर हम माने तो चौहटन के डूंगरपुरी मठ के संरक्षण में लगने वाला ये सुईया मेला कुम्भ मेलों से भी उच्च मान्यता के लिए एवं अपनी पवित्रता के लिये ये सुईया मेला प्रसिद्ध है। पाण्डवों की तपोभूमि और डूंगरपूरी के महाराज की कर्मस्थली चौहटन में 12 वर्ष के बहुत लंबे अंतराल और इंतजार करने के पश्च्यात इस बार मरूकुम्भ का सूईंया पोषण के स्नान का ये पवित्र मेला सोमवती अमावस्या को भरेगा।

 

इसमें लगभग 10 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं के इस मेले में आने का अंदाजा लगाया जा रहा है। ये सभी श्रद्धालु पवित्र स्नान करने के लिये यहाँ पर आने की संभावना है।

 

यहाँ परंपरा है पवित्र स्नान की  – Yahaan Parampara Hai Pavitr Snaan Kee

 

सुईया मेला – इस सूईंया मेले में पवित्र स्नान की पौराणिक मान्यता है। यहां पर लाखों श्रद्धालु तेज सर्दी के दिनी में यहाँ पर पवित्र स्नान करने के लिये आते है। सोमवती अमावश्या के दिन यहां पर सूईंया महादेव मंदिर के झरने के जल से, कपालेश्वर महादेव मंदिर के झरने के जल से, धर्मराज की बेरी के झरने के जल से, एवं इंद्रभान तालाब के जल से, इन पांच स्थानों के पवित्र एवं मिश्रित जल से श्रद्धालु स्नान करते है। इस साल स्नान करने का मुहूर्त 18 दिसंबर को प्रातः 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक ही रहेगा। इस सुईया मेले का आगाज 13 दिसंबर को ही अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण के साथ किया जाएगा। ध्वजारोहण करने के बाद दूर-दूर से साधु-संतों का यहाँ पर आगमन की शुरुआत हो जायेगी।

 

भुजा पर छाप यही पर लगेगी  – Bhuja Par Chhaap Yahee Par Lagegee

 

सुईया मेला – बाड़मेर के इस सूईंया मेले में आने वाले भक्त अपनी भुजा पर मठ एवं मेले की छाप भी लगवाते है। ऐसी मान्यता है कि देशभर के जितने भी तीर्थ स्थान है। एवं मेलों में लगाई जाने वाली छाप इस चौहटन मठ की लगि हुई छाप के स्तर से नीचे ही लगती है। यदि किसी श्रद्धालु ने पहले ही किसी भी स्थान पर मेले की छाप लगा रखी है। तो यहां पर पूर्व में लगी हुई छाप के ऊपरी हिस्से में ही छाप लगती है। यदि इस मेले की की छाप को लगा कोई श्रद्धालु भी किसी अन्य स्थान पर पहुंचता है। तो वहां पर इसके निचले हिस्से में छाप को लगाया जाता है। सूईंया मेले के दौरान छाप लगवाने के लिये मठ में निश्चित स्थान बना रखा है। वही पर छाप को लगाया जाता है। किसी अन्य स्थान पर छाप नहीं लगाईं जाती है। 

 

100 साल में केवल 6 मेले  – 100 Saal Mein Keval 6 Mele

 

सुईया मेला – बाड़मेर के डूंगरपुरी मठ के महंत श्री जगदीशपुरी जी महाराज के अनुसार सूईंया का मेला 4,7,12 एवं 17 वर्ष के अंतराल में ज्योतिषीय योग के अनुसार ही लगता है। विक्रम संवत 2000 से 2099 के मध्य में 16 बार मेले के आयोजन होने का योग बनता है। अंग्रेजी वर्ष के अनुसार 1943,1946,1949, 1956,1970, 1974, 1977, 1990, 1997, 2005 में सूईंया के मेले का आयोजन हुआ था। दिसंबर 2017 में होने वाले सुईया के मेले के आयोजन के बाद वर्ष 2024, 2027, 2032 और 2041 में ही इस सूईंया के मेले का आयोजन होगा।

 

अन्य जानकारी :-

 

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