Shivaji Jayanti – छत्रपति शिवाजी महाराज (1630 – 1680ई) भारत के महान राजा एवं रणनीतिकार थे। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 ई. शिवनेरी दुर्ग में हुआ था।वर्ष 2023 में शिवाजी जयंती 19 फरवरी को है। शिवनेरी दुर्ग भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे के जुन्नैर गांव के पास में स्तिथ इस दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी को महाराज छत्रपति शिवाजी की जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है शिवाजी के पिताजी शाहजी बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह की सेना में एक सेनापति के रुप में थे।Shivaji Jayanti – लेकिन लगातार युद्ध हो रहे थे इस कारण से अपनी गर्भवती पत्नी जीजाबाई की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे, इस लिए उन्होने अपने परिवार को शिवनेरी में भेज दिया। शिवनेरी चारों ओर से खड़ी चट्टानों से घिरा एक अभेद्य गढ़ था। इस गढ़ के भीतर माता शिवाई का एक मन्दिर था.और इसी स्थान पर शिवाजी का जन्म हुआ था। इसी कारण शिवाजी का नाम इसी माता के नाम पर रखा गया।Shivaji Jayanti – इसी किले के अंदर एक सरोवर स्तिथ है जिसे बादामी तालाब के नाम से जाना जाता है। आज भी शिवाजी महाराज की यादे है। और इसी सरोवर के दक्षिण में माता जीजाबाई और बाल शिवाजी की मूर्तियां स्थित हैं। किले में मीठे पानी के दो स्रोत हैं जिन्हें गंगा-जमुना कहते हैं और इनसे वर्ष भर पानी की आपूर्ति चालू रहती है। शिवाजी महाराज मेवाड़ के सूर्यवंशी छत्रिय सिसोदिया राजपूतो के वंसज थे। शिवाजी महाराज के जीवन पर उनके माता पिता का काफी प्रभाव पड़ा। उनके बचपन में उनके साथ उनकी माता ही थी। उन्होंने बचपन से ही राजनीती एवं युद्ध का ज्ञान लिया था शिवाजी महाराज उस समय के वातावरण और घटनाओ को अछि प्रकार समझने लगे थे शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में लाल महल पुणे में हुआ था। शिवाजी महाराज ने कुल आठ विवाह किये थे। सखुबाई राणूबाई (अम्बिकाबाई); सोयराबाई मोहिते – (बच्चे- दीपबै, राजाराम); पुतळाबाई पालकर (1653-1680), गुणवन्ताबाई इंगले; सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, सकवारबाई गायकवाड़ – (कमलाबाई) (1656-1680)।
Shivaji Jayanti – छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास के बारे में हम जानते है। छत्रपति शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी राजे भोसले था शिवाजी राज भोसले पश्चिम भारत के मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे शिवाजी के पिता का नाम शाह जी भोसले था और माता जी का नाम जीजाबाई था। Shivaji Jayanti – सेनानायक के रूप में शिवाजी की महानता निर्विवाद रही है। शिवाजी ने अनेक किलो का पुनः निर्माण करवाया था। शिवाजी के पिताजी ने शिवाजी के जन्म लेने के पश्च्यात ही उन्होंने अपनी पत्नी जीजाबाई को छोड़ दिया था। शिवाजी का बचपन बहुत ही कठिनाइयों के बिच गुजरा था और वे सौतेली माँ के सरक्षण के कारण पिताजी के सरक्षण से वंचित रहे उनके पिताजी बहुत शूरवीर नायक थे और वे अपनी दूसरी पत्नी पर आकर्षित थे। जिजाबाई का जन्म में एक उच्च कुल में हुआ था और बहुत ही प्रतिभाशाली थी फिर भी उनका जीवन कठिनाइयों में ही था। जीजाबाई का जन्म यादव वंश में हुआ था और प्रतिभाशाली और भाग्यवान महिला थी और उन के पिता भी बहुत ही शक्तिशाली और बलशाली सामंत थे। शिवाजी का लालन – पालन उन के दादाजी द्वारा किया गया था। उन के दादाजी नाम कोंडदेव था Shivaji Jayanti – और माताजी जीजाबाई और जीजाबाई के गुरुदेव की देख रेख में शिवजी का लालन पालन हुआ था। प्राचीन काल से ही रामयण महाभारत भागवत गीता में अनेक राजा हो के नाम मिलते है और ये राजा शूरवीर और न्यायप्रिय राजा हुआ करते थे। महाराजा छत्रपति शिवाजी रैयतों के राजा बनने की नींव रखी और उस से आगे जाने की हिम्म्त किसी भी रियासत के राजाओ में नहीं थी तिथि के अनुसार महाराज छत्रपति शिवाजी का जन्मदिवस 19 फरवरी को मनाया जाता है
Shivaji Jayanti – महाराज छत्रपति शिवाजी का व्यक्तित्व ऐसा था की उनको अपने मावलों और रैयतों से बहुत ही प्यार करते थे। शिवाजी के अंदर किसी भी प्रकार की सामाजिक जातिवादिक राजनीती नहीं थी उन्होंने जातिवादी की दीवारों को तोडा और सभी जाती समुदाय के लोगो का बहुत ही शानदार तरिके से सम्मान किया करते थे। छत्रपति शिवजी महाराज को बचपन से ही तलवार से खेलने का ही बहुत शोक हुआ करते थे और वो तलवार बाजी में बहुत निपूर्ण थे। Shivaji Jayanti – तलवार चलाने वालो को मनकारी की उपाधि और भाला फेंकने वाले को भालेराव की उपाधि दिया करते थे अपने सैनिको को दिया करते थे महाराज शिवाजी कभी भी अपने से ताकतवर दुश्मन से नहीं डरा करते थे महाराज शिवाजी को भय डर उन के मन में भी नहीं हुआ करता था। यह देश में शासन अछि तरह करने और अपनी प्रजा का ध्यान रकने के लिए ये अछि शैली हुआ करती है जिसका भारत में उपयोग किया था द्रढ़ता पूर्वक परिश्रम सरलता और ज्ञान के साथ साथ उन होने कठिनाईयो पर विजय प्राफ्त की और बड़ी सफलता को प्राफ्त किया और स्वराज की स्थापना की। और उन के पास इतनी बौद्धिक तार्किक शक्ति थी की उनको अंदाज था की क्या स्वराज के लिए क्या करना चाइये। उन होने इस प्रकार से किलो को निर्माण करवया था की उन किलो पर चलने से पहले दुश्मन को सोचना पड़े क्युकी उन होने किलों का निर्माण इस प्रकार करवया था की चारो और की परचिर मजबूत है। और खुदाई में पथरो का ही निर्माण किया गया था ीतिनि ऊचाई पर इस प्रकार के किलो का निर्माण करवया जा सकता थे उन्होंने इस प्रकार के किलो का निर्माण करवाया की दुश्मन का खतरा पानी के साथ साथ ज़मीन पर भी हो सकता है महारष्ट्र राज्य को आज भी इस सम्रद्ध विरासत पर गर्व है।Shivaji Jayanti – गुरिल्ला युद्ध छापामार युद्ध महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज का मुख्य हथियार था। महाराज शिवाजी ने छापामार युद्ध के साथ कई अभियान और युद्ध जीते शत्रु सेना किये कितनी ही बड़ी क्यों न हो शिवाजी महाराज ने अपने मावलों की सहयता से शत्रु को परास्त कर दिया था शिवाजी ने स्वराज्य की स्थापना के साथ साथ कहि सैकड़ो किलो का निर्माण और उन सभी पर विजय प्राफ्त किया माना जाता है की हिंदवी स्वराज्य में शिवाजी महाराज के 400 किले थे। जिन पर अपना कब्ज़ा कर लिए थे जिनमे से कुछ किले उन होने खुद बनवाये थे और कुछ किले उन्होंने लड़ाई में जीते थे महाराज के किलो में वास्तुकला प्रबधन और गुरिल्ला कविताओं का प्रतिका था छत्रपति शिवाजी का स्वभाव इस प्रकार था की व खुद हिन्दू धर्म में होने के बावजूद भी उन्होंने कभी भी मुसलमानों को नुकसान नहीं पहुचाया।Shivaji Jayanti – शिवाजी महाराज यही बात हमेशा अपने साथियो से कहा करते थे की उनकी लड़ाई मुसलमानों के धर्म से नहीं है बल्कि उनके इस साम्राज्य से है। शिवाजी ने स्वराज्य में महिलाओ के खिलाफ होने वाले अन्याय उन पर उन्होंने वाले उत्पीड़न और हिंसा करने वाले अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा प्रधान करते थे। शिवाजी महाराज के दरबार में आने वाले निपटारों की सुनवाई खुद करते थे और उन का आमने सामने ही फैसला करते थे और उन मामलो को निपटा देते थे
Shivaji Jayanti – शिवजी महाराज की योजनाओ और उन के ताकतवर होने की मिसाल आज भी दी जाती है। शिवाजी महाराज ने 8 शादियां की थी और उनकी दूसरी पत्नी सोयराबाई के बारे में काफी कुछ पड़ने को या देकने को मिलता है। क्युकी उनकी दूसरी पत्नी सोयरबाई शिवाजी महराज के राजकाज के कार्य में काफी दखल अन्दांजी किया करती थी। जब शिवाजी महाराज का निधन हो गया था उसके बाद सभलजी ने उतरादिकार देखा करते थे।Shivaji Jayanti – तब सोयराबाई पर उनके खिलाफ साजिश करने का आरोप लगा इसके चलते उनको मृत्यु दंड की सजा दी गयी थी। इतिहास में माना जाता है की सोयराबाई को दबंग महिला के नाम से चित्रित किया जाता है Shivaji Jayanti – सोयराबाई छत्रपति शिवाजी की दूसरे बेटे राजमराम की माँ थी और सोयराबाई अपने बेटे को हर हाल में राज गदी और सिगाशन पर बैठना चाहती थी। शिवाजी महाराज का विवाह काम उम्र में ही हो गया था क्युकी उनकी सौतेली माँ तुकाबाई ने उन पर विवाह करने का दबाव बन रखा था इस लिए उनको काम उम्र में ही विवाह करना पड़ा था शिवाजी महाराज के पत्नी एवं उनके पुत्रो के नाम इस प्रकार है Shivaji Jayanti – सखुबाई राणूबाई (अम्बिकाबाई); सोयराबाई मोहिते – (बच्चे- दीपबै, राजाराम); पुतळाबाई पालकर (1653-1680), गुणवन्ताबाई इंगले; सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, सकवारबाई गायकवाड़ – (कमलाबाई) (1656-1680)।
Shivaji Jayanti – शिवाजी महाराज एक निडर राजा थे वह ज्यादतर बार वह युद्ध लड़ने के लिए घर से दूर ही रहा करते थे। इसीलिए वह निडर एवं पराकर्मी होने का सम्पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं था।
किसी अवसर शिवाजी को बीजापुर के सुलतान के दरबार में ले गए। शाहजी ने तीन बार झुक कर सुल्तान को सलाम किया और शिवाजी को भी ऐसा करने को कहा गया था। लेकिन शिवजी को किसी भी अंग्रेजो के सामने झुकने की आदत नहीं थी इसीलिए शिवाजी अपना सर उठाये सीधा खड़े रहे। क्युकी शिवाजी महाराज एक विदेशी शासक के सामने किसी भी कीमत पर सर झुकाने को त्यार नहीं हुए थे। इतना ही नहीं वो दरबार में इस प्रकार जा रहे थे की शेर की तरह शान से चलते हुए दरबार से बार गए थे इसीलिए छत्रपति शिवाजी को एक कुशल और प्रबुद्ध सम्राट के रूप में जाना जाता है