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Maharaja Agrasen Jayanti ,महाराजा अग्रसेन जयंती 2023, आरती , परिचय

महाराजा अग्रसेन जयंती
December 15, 2022

Maharaja Agrasen Jayanti 2023 – महाराजा अग्रसेन जयंती 2023

महाराजा अग्रसेन जयंती – महाराजा अग्रसेन भगवान्  श्री राम के वंशज माने जाने वाले है इस साल 2023 में अग्रसेन जयंती  15 अक्टूबर को है महारज अग्रसेन वैश्य समाज के संस्थापक है, और इन्हे अग्रवाल समाज के पितामह भी कहा जाता है. हर साल अश्वनी शुक्ल प्रतिपदा को महाराज अग्रसेन का जन्मोत्सव मनाया जाता है, इसी दिन नवरात्री(घट स्थापना ) का पहला दिन है। अग्रसेन जी का जन्म क्षत्रिय समाज में हुआ था। उस समय आहुति के रूप में पशुओं की बलि दी जाती थी। जिसे अग्रसेन महाराज पसंद नहीं करते थे और इस कारण उन्होंने क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म स्वीकार किया था।  

महाराजा अग्रसेन कौन थे – Maharaja Agrasen Kon The 

आइये जानते है महाराजा अग्रसेन के बारे  मे,

महाराजा अग्रसेन जयंती – महाराजा अग्रसेन भगवान् श्री राम की 34वीं पीढ़ी में द्वापर काल के अंतिम काल और कलियुग के प्रारम्भ में महाराज अग्रसेन का जन्म हुआ था | प्रतापनगर के राजा वल्लभ सेन और माता भगवती देवी की बड़ी संतान थे. प्रताप नगर राजस्थान और हरियाणा के बीच सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ है,हरियाणा और उत्तर प्रदेश में महाराजा अग्रसेन जयंती बड़ी धूम धाम से मनाया जाने वाला पर्व है,

महाराजा अग्रसेन जयंती – महाराजा अग्रसेन को आदर्श समाजवाद का अग्रदूत,गणतंत्र का संस्थापक और अहिंसा का पुजारी भी कहा जाता है,इन्होने ही अग्रोहा राज्य की स्थापना भी की थी,महाराजा अग्रसेन के जीवन के 3 आदर्श रहे है,एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था दूसरा आर्थिक समरूपता तीसरा सामाजिक समानता,

महाराजा अग्रसेन से जुडी कुछ तथ्य – Maharaja Agrasen Se Judi Kuch tathy

महाराजा अग्रसेन जयंती – महाराज अग्रसेन, अग्रवाल अर्थात वैश्य समाज के जनक कहे जाते हैं। महाराजा अग्रसेन अपने बचपन से ही तेजसस्वी और पराक्रमी थे.ये नागराज मुकुट की पुत्री माधवी के साथ विवाह के बंधन में बंध गए ,एक बार इंद्रा देव के श्राप से महाराजा अग्रसेन के राज्य में सूखा पड़ गया चारो तरफ हाहाकार मच गया राज्य की आर्थिक स्थिति भी उस समय चरमरा गई थी ऐसे में महाराजा अग्रसेन ने भगवान् शिव की राज्य में खुशहाली के लिए और माता लक्ष्मी की धन सम्पदा प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया ,जिससे भगवान् शिन और माता लक्ष्मी अति प्रसन्न भी हुए | 

महाराजा अग्रसेन ने अपने वंश से किया राज्य स्थापित – Maharaja Agrasen Ne Apne Vansh Se Kiya Rajya Sthapit

भगवान शिव और माता लक्ष्मी महाराजा अग्रसेन की कठोर तपस्या से प्रसन्न हुए और सम्पूर्ण राज्य में हरियाली छा गई,माँ लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर साक्षात दर्शन दिए और धन वैभव प्राप्त करने का आशीर्वाद भी दिया और कहा की तप को त्याग कर गृहस्थ जीवन का पालन करो और तुम्हारे वंश को आगे बढ़ाओ,तुम्हारा एहि वंश ही कालांतर में तुम्हारे नाम से जाना जायेगा,

महाराजा अग्रसेन ने 18 गोत्रो की स्थापना की – Maharaja Agrasen Ne 18 Gotro Ki Sthapna Ki 

महाराजा अग्रसेन जयंती – महाराजा सगरसेन ने नागराज महिस्त की कन्या सुंदरावती से दूसरा विवाह रचाया। जिससे उन्हें 18 पुत्ररत्नो की प्राप्ति हुई,माता लक्ष्मी के कहे अनुसार महाराजा अग्रसेन ने वैश्य समाज की स्थापना की. अग्रसेन ने अग्रोहा राज्य को कुल 18 भागो में बाँट दिया और उन्होंने 18 गोत्रो की स्थापना की-बंसल,बिंदल,धारण,गर्ग, गोयल, गोयन , जिंदल,कंसल, कुच्छल, मंगल,मित्तल, नागल,सिंघल,तायल, तिंगल गोत्र इसमें शामिल है    

Agrasen Maharaj Ki Aarti hindi Me

जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे।
कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें।।
जय श्री अग्र हरे…

आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय।
अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे।।
जय श्री अग्र हरे…

केसरिया ध्वज फहरे, छात्र चंवर धारे।
झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे।।
जय श्री अग्र हरे…

अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आए!
गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाए।।
जय श्री अग्र हरे…

सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता!
ईंट, रुपए की रीति, प्रकट करे ममता।।
जय श्री अग्र हरे…

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा।।
कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा।।
जय श्री अग्र हरे…

अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाए!
कहत त्रिलोक विनय से सुख सम्पत्ति पाए।।
जय श्री अग्र हरे… ।

।। इति महाराजा अग्रसेन आरती समाप्त ।।

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