Shattila Ekadashi 2024 – हिन्दुओ की पौराणिक कथाओ की मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत माघ की कृष्ण पक्ष की एकादशी वाले दिन किया जाता हैं । इस व्रत में भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती हैं । षटतिला एकादशी वाले दिन भगवान श्री विष्णु को तिल चढाये जाते हैं और खिचडी बनाकर भोग लगाया जाता हैं । ऐसा माना जाता हैं की इस दिन तिल का दान करने से स्वर्ण दान करने के बराबर ही फल की प्राप्ति होती हैं । ऐसा मानते हैं की ऐसा करने से भगवान श्री विष्णु जी की कृपा भक्तो पर होती हैं और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं ।
Shattila Ekadashi 2024 – इस दिन शरीर पर तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए,जल में तिल डालकर स्नान करना चाहिए तिल को जल में डालकर पिना चाहिए और तिल के पकवान बनाकर खाने का इस दिन विशेष महत्व होता हैं । इस दिन पंचामृत में तिल को मिलाकर भगवान को स्नान कराना भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं । इस दिन तिलों का हवन भी किया जाता हैं और रात को जागरण भी किया जाता हैं । इस दिन खाद्द पदार्थ में तिल को मिलाकर खुद भी खाने चाहिए और ब्राम्हण को भी भोजन के रूप में खिलाने चाहिए ।
इस वर्ष 2024 में षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी मंगलवार के दिन है
Shattila Ekadashi 2024 – इस षटतिला एकादशी के व्रत में भगवान श्री विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती हैं । षटतिला एकादशी वाले दिन भगवान श्री विष्णु को तिल चढाये जाते हैं और खिचडी बनाकर भोग लगाया जाता हैं । ऐसा माना जाता हैं की इस दिन तिल का दान करने से स्वर्ण दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती हैं ।ऐसा माना जाता हैं की ऐसा करने से भगवान श्री विष्णु जी की कृपा होती हैं और भक्तो की सभी मनोकामना पूरी होती हैं।
Shattila Ekadashi 2024 – षटतिला एकादशी व्रत वाले दिन प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए और स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए । इसके तत्पश्च्यात पूजा की जगह को अच्छी तरह से साफ करनी चाहिए। इसके बाद भगवान श्री विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ती या प्रतिमा को अपने पूजन स्थल पर स्थापित करना चाहिए । इसके बाद पूर्ण रूप से विधि – विधान के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए ।
Shattila Ekadashi 2024 – हमे पूजा के दौरान भगवान श्री विष्णु जी के सहस्त्रनाम का पाठ और श्री कृष्ण का उच्च स्वर में भजन जरूर करना चाहिए । इसके बाद भगवान श्री कृष्ण और भगवान् श्री विष्णु को फल , नारियल , अगरबत्ती ,तुलसी जल और प्रसाद अवश्य अर्पित करें । अगले दिन सुबह द्वादशी को पूजा-अर्चना करने के बाद भोजन ग्रहण करें और षडतिला एकादशी व्रत को खोले करें ।
1 – Shattila Ekadashi 2024 – हिन्दुओ की पौराणिक कथाओ की मान्यताओं के अनुसार , एक महिला के पास बहोत सी संपत्ती थी । वह महिला गरीब लोगों को अपने धन मे से बहोत सा धन दान करती थी । वह जिस व्यक्ती को ज्यादा जरुरत होती थी वो उसे ज्यादा धन दान करती थी । लेकिन गरीबों को कभी भी भोजन नहीं खिलाती थी । ऐसा माना जाता हैं की सभी उपहार और दान में सबसे महत्वपूर्ण दान भोजन का दान होता हैं । क्योंकी भोजन का दान व्यक्ती को महान गुणों को प्रदान करता हैं । भगवान श्री कृष्ण ने यह देखकर , यह बात उस दानी महिला को समझने का फैसला किया । भगवान श्री कृष्ण ने उस महिला के सामने भिखारी के रूप धारण करके प्रकट हुए और उन्होंने उस दानी महिला से दान में भोजन मांगा ।
Shattila Ekadashi 2024 – लेकिन उस दानी महिला ने दान में भोजन देने से साफ इनकार कर दिया । उस महिला ने भगवान को गरिब व भिखारी समझकर वह से भगा दिया । वह भिखारी बार–बार भोजन मांगता रहा । इसके बाद भी महिला ने भगवान श्री कृष्ण जो भिखारी के रूप में थे उनका अपमान किया और उन्हें भोजन देने की जगह भीख की कटोरी में मिट्टी से बानी हुए गेंद ही डाल दी । यह देखकर उस भिखारी ने महिला को धन्यवाद और आभार प्रकट करते हुए वहां से निकल गया ।
Shattila Ekadashi 2024 – इसके बाद वो महिला अपने घर में वापस आ गई और घर में जो खाना रखा हुआ था वह मिट्टी के रूप में परिवर्तित हो गया था । यह देखकर वह दानी महिला हैरान हो गई । और फिर उस महिला ने जो कुछ भी चीजे खरीद कर अपने घर में लाइ थी वह भी मिट्टी के रूप में परिवर्तित हो गई । तेज़ भुख के कारण उस महिला का स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगा । इस सबसे बचने के लिए उस दानी महिला ने भगवान के सामने प्रार्थना भी की ।
Shattila Ekadashi 2024 – महिला की पीड़ा को सुनकर भगवान श्री कृष्ण उस महिला के सपने में अवतरित हुए और भगवान श्री कृष्ण ने उस महिला को फिर उस दिन की याद दिलाई जब उसने एक भिखारी को बिना भोजन खिलाये ही अपने घर से भगा दिया था और उस महिला ने अपने कटोरी में भोजन की जगह मिट्टी डालकर उसका अपमान भी किया था । भगवान श्री कृष्ण ने उस महिला को समझाया की इस तरह के कर्म करने से उसने अपने दुर्भाग्य को स्वयं आमंत्रित किया और इस वजह से उसके जीवन में ऐसी विपरीत परिस्थितीयां उत्पन्न हुई हैं ।
Shattila Ekadashi 2024 – भगवान श्री कृष्ण ने उस दानी महिला को षटतिला एकादशी कृत वाले दिन गरीबों को और जरूरतमंदों को स्वादिष्ट भोजन खिलने की सलाह दी और व्रत रखने की भी सलाह भी दी । जैसे भगवान श्री कृष्ण ने कहा उस तरह से उस महिला ने इस व्रत का पालन किया और जरूरतमंद और गरीबों को बहोत सारा स्वादिष्ट भोजन खिलाया । इसके बाद इसके परिणामस्वरूप उस महिला को पुनः सभी सुखों की प्राप्ती हो गई ।
2 – Shattila Ekadashi 2024 – नारदमुनी त्रिलोक का भ्रमण करते हुए भगवान श्री विष्णु के धाम वैकुण्ठ में पहुंचे । वहां उन्होंने वैकुण्ठ पती को नतमष्तक हो कर प्रणाम किया और उनसे पुछा की षटतिला एकादशी की कथा क्के बारे में बताइये हैं और इस व्रत के करने से क्या पुण्य प्राप्त होता हैं । भगवान श्री विष्णु ने जवाब दिया की प्राचीन काल के समय में पृथ्वी लोक पर एक ब्राम्हणी (महिला) रहती थी । वह ब्राम्हणी (महिला) मुझमें बहुत ही श्रद्धा और भक्ती रखती थी ।
Shattila Ekadashi 2024 – वह स्त्री मेरे सभी प्रकार के व्रत को किया करती थी । एक बार इस स्त्री ने एक महीने तक मेरा व्रत रखा और मेरी आराधना भी की । इस व्रत के प्रभाव से उस स्त्री का शरीर तो शुद्ध हो गया था लेकिन यह महिला कभी भी किसी ब्राम्हण और देवताओं को अन्न का दान नहीं किया करती थी । एक दिन मैं स्वयं उसके पास में भिक्षा मांगने हेतु चला गया।
Shattila Ekadashi 2024 – जब मैंने उस महिला से भोजन की भिक्षा की याचना की तब उसने एक मिट्टी का पिंड को उठाकर मेरे हाथों में रख दिया । मैं वह पिंड लेकर अपने धाम में वापस लौट गया । कुछ दिनों बाद वह महिला भी अपना देह का त्याग करके मेरे लोक में आ गई । यहां उसे एक छोटी सी कुटिया और एक आम का वृक्ष ही मिला ।
Shattila Ekadashi 2024 – फिर उस महिला ने खाली कुटिया को देख कर देखकर वह महिला घबराकर मेरे पास चली आई और बोली की मैं तो धर्मपरायण हूं फिर भी मुझे खाली कुटिया ही क्यों मिली । तब मैंने उसे बताया की यह कुटिया अन्न दान नहीं करने के कारन और मुझे मिट्टी का पिंड बनाकर दान देने के कारण ही ऐसा हुआ हैं । फिर मैंने उस स्त्री को बताया की जब देव कन्याएं तुमसे मिलने के लिए आए तब तुम अपना द्वार तभी खोलना जब वो कन्यायें आपको षटतिला एकादशी के व्रत की महिमा और विधान बताएं ।
Shattila Ekadashi 2024 – फिर उस स्त्री ने ठीक ऐसा ही किया जिस विधियों को देव कन्याओं ने बताया उस विधि से ही उसने षटतिला एकादशी का व्रत को किया । व्रत के प्रभाव से उसकी छोटी सी कुटिया अन्न-धन से वापस भर गई । इसीलिए हे नारद इस बात को सत्य समझो की जो भी व्यक्ती इस षटतिला एकादशी का श्रद्धा से व्रत को करता हैं और तिल का और अन्न का दान करता हैं उसे मुक्ती और सौभाग्य वैभव की प्राप्ती भी होती हैं और हमारे होन्दु शास्त्रों में कहीं भी इस व्रत को करने का कोई प्रावधान नहीं हैं ।
अन्य जानकारी :-