Savan Ka Dusara Somvar 2023 | जानिए सावन का दूसरा सोमवार 2023 कब है और क्यों मनाया जाता है।

सावन का दूसरा सोमवार 2023 कब है – Sawav Ka Dusra Somwar 2023 Kab Hai 

सावन का दूसरा सोमवार –  हमारे हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत महत्व है। श्रावण मास में महादेव (शिव) की पूजा का विशेष विधान है। इस महीने में सावन सोमवार व्रत का सर्वाधिक महत्व है. श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। भक्त अपनी ओर से भोलेनाथ को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करते है। आइए जानते हैं साल 2023 में कब शुरू हो रहा है।  

दिन दिनांक सोमवार
सोमवार 10 /7 /2023 पहला सोमवार
सोमवार 17 /7 /2023 दूसरा सोमवार
सोमवार 24 /7 /2023 तीसरा सोमवार
सोमवार 31 /7 /2023 चौथा सोमवार

सावन सोमवार व्रत का महत्व – Sawan Somwar Ka Vrat Ka Mahatva 

सावन का दूसरा सोमवार –  हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह खत्म होते ही श्रावण मास शुरू हो जाता है।  इस दिन भक्तगण भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करते हैं और कावड़ यात्रा निकालते हैं। पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि श्रावण मास में जितने भी धार्मिक कार्य तथा धार्मिक पाठ पठन किए जाते हैं। वह विशेष फलों की प्राप्ति के कारक होते हैं। साथ ही जो श्रद्धालु श्रावण मास के चारों सोमवार व्रत धारण करते हैं। वह भगवान शिव की विशेष कृपा के हकदार होते हैं। सोमवार का व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु मान चित बुद्धि से भगवान शिव को भजते हैं।

 सावन सोमवार व्रत विधि – Sawan Somwar Vrat Vidhi 

सावन का दूसरा सोमवार – सावन सोमवार दूसरे सोमवार के दिन श्रद्धालुओं को सवेरे जल्दी उठना चाहिए और शारीरिक स्वच्छ होकर जिस स्थान पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। अर्थात उस स्थान को साफ सुथरा तथा स्वच्छ बनाएं।

शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर दूध, गंगा जल, बेल पत्र, फूल, चावल आदि चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करें।

भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “ओम नमः शिवाय” का जाप करें।

संपूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत का संकल्प लें।

सूर्य अस्त होने के बाद व्रत सात्विक भोजन के साथ पारण करें।

 सावन सोमवार शिव पूजा विधि

सावन का दूसरा सोमवार – श्रावण मास शुरू होते ही श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा अर्चना विधि विधान से करना शुरू कर देते हैं। इस दिन श्रद्धालु महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराते हैं। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि शिव को अर्पित किए जाता है। तथा भगवान शिव को भोग के रूप में  धतूरा तथा श्रीफल का भोग लगाया जाता है।

संपूर्ण अभिषेक कर भोग लगाने के बाद श्रद्धालु भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हैं और षोडशोपचार पूजन करते हैं।

 सावन सोमवार व्रत क्यों धारण किया जाता है और सावन का दूसरा सोमवार क्यों है महत्वपूर्ण ?

सावन का दूसरा सोमवार – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन मास भगवान शिव को अति प्रिय है। तथा भगवान से इस मास में अति प्रसन्न रहते हैं, और श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ सफल करते हैं। इन्हीं मान्यताओं के चलते श्रद्धालु गण श्रावण मास को चारों सोमवार के व्रत रखकर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। तथा भगवान शिव की विशेष कृपा के हकदार बनते हैं। सावन महीने में जो भी व्रत रखे जाते हैं वह भगवान शिव को ही अर्पित होते हैं। तथा श्रद्धालुओं को भगवान शिव की विशेष कृपा अर्थात मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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