तो आइये दोस्तों आज हम जानेंगे सदगुरु के बारे में
उनकी जीवनी के बारे में।
सद्गुरु का जन्म 3 सितम्बर 1957 को कर्णाटक राज्य के मैसूर में हुआ था।
सद्गुरु का असली नाम क्या है – इनका उपनाम सद्गुरु था। इनका मूल नाम जग्गी वासुदेव था।इनके पिता का नाम डॉ वासुदेव था और इनकी माता का नाम शुशीला देवी था। इन्हे बचपन से ही लिखने का पढ़ने का घूमने का और पेड लगाने का बहुत ही ज्यादा शौक था। इनकी पत्नी का नाम विजया कुमारी था। इन्हे वर्ष 2017 में पद्म विभूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।
सद्गुरु का असली नाम क्या है – इन्होने अपने विचारो से लाखो लोगो की जिंदगी को बदल दिया था। जो भी भक्त इन्हे भाषण देते हुए सुनता था। तो ऐसा लगता था की बार-बार इनका भाषण को सुबते ही रहे। मन ही नहीं होता था की इनका भाषण को बीच में छोड़ कर जाएँ।
इन्होने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की और फिर इस फाउंडेशन के माध्यम से अनेको लोगो की मदद की और उनका जीवन ही बदल दिया।
सद्गुरु का असली नाम क्या है – कही न कही आपने सद्गुरु के बारे में जरूर सुना होगा। अगर नहीं तो मै आज आपको इनके बारे में बताना चाहता हूँ। यह ईशा फाउंडेशन के संस्थापक है और इसके साथ साथ ये योग गुरु एवं लेखक भी थे। इनकी ईशा फाउंडेशन नॉन प्रॉफिटेबल ट्रस्ट है। ये बिना कीसी भी फायदे के ये लोगो की मदद करती है। और उन्हें लाभ पहुँचाती है। सद्गुरु ने पुरे विश्व में अलग अलग देशो में बड़े बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से लोगो को लाभ पहुंचने का कार्य करती है। ये लोगो को आध्यात्मिक जीवन जीना और योग की जान कारी देते है।
सोशल मिडिया पर इनके लाखो की संख्या में फ़ॉलोअर्स भी है। ये अपनी ईशा फाउंडेशन के माध्यम से बड़े बड़े आयोजन करती है और लोगो को लाभ पहुंचने का कार्य करती है।
सद्गुरु का असली नाम क्या है – सद्गुरु एक महान लेखक भी है इन्होने बहुत सी कहानिया लिखी है और किताबे भी लिखी है। इन्होने अपनी किताबो के माध्यम से कई लोगो को जीवन जीने का तरीका भी बताया है और लोगो के सभी प्रकार के प्रश्नो के जवाब भी दिए है।
सद्गुरु अपने आसान और सहज तरीके से लोगो को जवाब भी दिया करते थे।
ये अपना सारा कारोबार अपने दोस्तों को सौंप कर भारत की यात्रा पर चले गए थे। इसके बाद ये लोगो को योग सीखाने लग गए और फिर इन्होने अपने आप को एक योग टीचर के रूप में इन्होने अपनी पहचान बना ली।
जग्गी वासुदेव ने वर्ष 1992 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की इस संस्था के माध्यम से इन्होने करोडो की संख्या में पेड़ लगाए। ये आध्यात्मिकता के साथ साथ प्रकर्ति से प्रेम भी करते थे। इन्होने अपना सम्पूर्ण जीवन मानव सेवा और मानव कल्याण को ही समर्पित किया।
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