[wpdreams_ajaxsearchlite]
  • Home ›  
  • रामनगरिया मेला | Ramnagriya Mela

रामनगरिया मेला | Ramnagriya Mela

रामनगरिया मेला
March 24, 2023

रामनगरिया मेला Ramnagriya Mela

 

प्रत्येक वर्ष माघ मास में गंगा नदी के किनारे रामनगरिया मेला लगता है। जिसे हम रामनगरिया मेला कहते हैं। फर्रुखाबाद के पांचाल नाम के घाट पर लगने वाला ये माघ मेला बहुत ही लोकप्रिय और प्रसिद्द है। प्राचीन ग्रथों की मान्यता में अनुसार इस पूरे क्षेत्र को स्वर्गद्वारी भी कहा गया है। देश-प्रदेश के लाखो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाला यह रामनगरी मेला कब अपने अस्तिस्त्व में आया था। यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं।

 

तो आइये दोस्तों आज हम जानेंगे इस महान रामनगरी मेले के बारे में

 

यदि आज हम इतिहास में झांककर के देखें तो गंगा नदी के तट पर कल्पवास कर रामनगरिया मेला लगने का कोई भी लिखित में प्रमाण नहीं है। शमसाबाद के खोर में प्राचीन गंगा नदी के किनारे पर ढाई घाट का मेला लगातार चला आ रहा है। यह मेला बहुत ही ज्यादा दूर होने के वजह से कुछ ही साधू-संत वर्ष 1950 के माघ महीने में कुछ दिनो के लिए कल्पवास कर अपनी साधना में लीन हो जाय करते थे। परन्तु आम जनता का इनसे कोई भी हस्तक्षेप नहीं रहता था। वर्ष 1955 में पूर्व विधायक स्वर्गीय श्री महरम सिंह जी ने इस मेले की तरफ अपनी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने ही इस वर्ष गंगा नदी के किनारे पर साधु-संतों के ही साथ-साथ  कांग्रेस पार्टी का भी एक कैम्प लगाया गया था। इसी के साथ उन्होंने पंचायत सम्मलेन,शिक्षक सम्मेलन,स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी का सम्मेलन एवं सहकारिता सम्मेलन का भी भव्य आयोजन करवाया था। जिस से की उस क्षेत्र के लोगों की दिलचस्पी और भी ज्यादा बढ़ गई। वर्ष 1956 में विकास खंड राजेपुर और पड़ोसी जनपद शाहजंहांपुर के अल्लागंज क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं ने भी माघ मेले में गंगा नदी के किनारे पर मड़ैया डाली एवं कल्पवास को शुरू किया था। देखते ही देखते इस रामनगरी मेले की चर्चाएँ भी दूर-दूर होने लग गई थी।

 

मेले का नाम रामनगरिया कैसे पड़ा  

 

साल 1965 में आयोजित किये गए इस माघ मेले में पंहुचे स्वामी श्रद्धानंद के प्रस्ताव से ही माघ मेले का नाम परिवर्तित करके रामनगरिया मेला रखा गया था। साल1970 में गंगा नदी के किनारे पर एक पुल का निर्माण भी करवाया गया था।  जिसे लोहिया सेतु का नाम दिया गया । पुल का निर्माण होने से इस मेले में कल्पवासियों की संख्या धीरे-धीरे लगातार बढ़ने लगी। जिसके बाद से फर्रुखाबाद के आस पास के सभी जिलों से बहुत से श्रद्धालु कल्पवास को यहाँ आने लगे। साल 1985 आते आते तो यह संख्या कई हजारों में की हो गई।  जिसके पश्यत जिला परिषद को इस रामनगरिया मेले की व्यवस्था की जिम्मेदारी सौप दी गई थी। तत्कालीन डीएम श्री केके सिन्हा एवं जिला परिषद के प्रमुख अधिकारी श्री रघुराज सिंह ने इस रामनगरिया मेले के दोनों ओर से प्रवेश द्वारों का निर्माण भी कराया।

 

मेले के लिए रुपए देना शुरू किया एनडी तिवारी की सरकार ने 

 

साल 1989 में तत्कालीन वहा के मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त जी तिवारी ने मेला रामनगरिया का भी अवलोकन किया एवं सूरजमुखी गोष्ठी में उन्होंने हिस्सा भी लिया। इसके पश्च्यात उन्होंने प्रति वर्ष शासन से इस रामनगरिये मेले के लिए पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष देने की घोषणा भी की। वर्ष 1985 से इस रामनगरिया मेला का आयोजन जिला प्रशासन के संरक्षण में संचालित किया जा रहा है। यह रामनगरिया मेला उत्तर प्रदेश के साथ और भी अन्य प्रदेशों में भी अपनी विशिष्ठ प्रकार की प्रशिद्दी लिए हुए है।

 

अन्य जानकारी  :-

 

 

Latet Updates

x
[contact-form-7 id="270" title="Call Now"]