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Shikshak Diwas 2023 |  शिक्षक दिवस 2023 कब है , महत्व,  दोहे तथा कोट्स एवं कब और क्यों मनाते है ?
January 24, 2022

Shikshak Diwas 2023 | शिक्षक दिवस 2023 कब है , महत्व, दोहे तथा कोट्स एवं कब और क्यों मनाते है ?

Shikshak Diwas 2023 | शिक्षक दिवस 2023   कब है 

एक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा बहुत महत्व रखती है। शिक्षा से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है। मानसिक तौर पर परिपूर्ण व्यक्ति ही इस संसार में अपने जीवन को सुखमय बनाता है। शिक्षा के बिना व्यक्ति का जीवन पशु के समान होता है। शिक्षा ही व्यक्ति के जीवन को आधार देती है, दिशा देती है, मूल्य देती है और जीवन जीने का सालिका देती है। शिक्षा को व्यक्ति के जीवन तक पहुंचाने के लिए शिक्षक का होना अति आवश्यक है। शिक्षक ही शिक्षा और ज्ञान के माध्यम से व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को प्रकाशित करते हैं। हर वर्ष शिक्षा दिवस के रूप में गुरुजनों को याद किया जाता है। उनकी पूजा की जाती है। तथा उन्हें धन्यवाद किया जाता है कि उनके बदौलत शिक्षा का प्रसार हो सका। इन्ही की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन को प्रकाशमय बना सका। इसलिए शिक्षक दिवस हर वर्ष मनाया जाता है। वर्ष 2023   में शिक्षा दिवस 5 सितंबर 2023   को मनाया जाएगा। इस दिन सभी विद्यार्थी अपने गुरुजनों को याद करते हुए भव्य आयोजन करते हैं। तथा जो शिक्षकों द्वारा पढ़ कर अपने जीवन को मूल्यवान बना चुके हैं, वह अपने गुरुजनों को याद करते हुए धन्यवाद करते हैं। उनसे आशीर्वाद लेते हैं।

आइए जानते हैं शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके मनाने के पीछे क्या कारण है ? तथा किस तरह से शिक्षा दिवस मनाया जाता है? शिक्षक दिवस का महत्व क्या है? यह सभी विवरण आप इस लेख में विधिवत जानने वाले हैं। इसलिए इस लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ते रहिए।

 

शिक्षक दिवस 2023   का महत्व (Shikshak Diwas 2023)

डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली का जन्म 5 सितंबर को हुआ था। उन्हें के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ राधाकृष्णन शिक्षा के मर्मज्ञ थे और उन्हें शिक्षा जगत में काफी रुचि होने के कारण शिक्षण क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किए।  इसी के चलते डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली भारत रत्न के हकदार बने। शिक्षक दिवस उन सभी व्यक्तियों तथा विद्यार्थियों के लिए उतना ही आवश्यक है जितना वह शिक्षा का महत्व देते हैं।

शिक्षक ही शिष्य के जीवन को मार्गदर्शन देते हैं। भटके हुए जीवन को, दिशाहीन जीवन को दिशा देते हुए मूल्यवान बनाते हैं। इसीलिए गुरु और शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता है। क्योंकि बगैर गुरु के शिक्षा ग्रहण नहीं की जा सकती और बिना गुरु, शिक्षक के जीवन को दिशाहीन होने से नहीं बचाया जा सकता।

प्राचीनकाल में गुरुकुल के माध्यम से शिक्षा ग्रहण की जाती थी। वहां पर कई सालों तक रहकर आश्रम की सेवा करना गुरु की सेवा करना वेद शास्त्रों का पालन करना। संपूर्ण शिक्षण क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बाद ही व्यक्ति अपने जीवन यात्रा को शुरू करता था। तब जाकर उन्हें जीवन में उद्देश्य मिलते थे, उपलब्धि मिलती थी।

आधुनिक भारत में शिक्षा का क्षेत्र तीव्र गति से विकसित हो रहा है। सभी शिक्षाएं अब डिजिटल प्लेटफार्म पर ट्रांसफर होती जा रही है। जैसे जैसे आधुनिक युग बढ़ रहा है उसी तरह से शिक्षा का क्षेत्र भी विकसित हो रहा है। संपूर्ण विकास के पीछे एक शिक्षक का ही योगदान है। शिक्षा तथा शिक्षकगणों की बदौलत ही शिक्षण के क्षेत्र में विकास कार्य की गए हैं। इसीलिए भारत में शिक्षा का काफी महत्व है और इस महत्व का सजीव चित्रण हमारे शिक्षक ही करते हैं।

 

शिक्षक दिवस की शुरुआत

 शिक्षक दिवस सन 1962 से मनाया जा रहा है 5 सितंबर 1888 में डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली का जन्म हुआ था। डॉक्टर सर्वपल्ली के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली एक महान अध्येता, दार्शनिक और आधुनिक भारत के शिक्षक थे। साथ ही उन्हें 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। सन 1962 में डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने और देशवासियों द्वारा 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाया जाता था। तब डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली ने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय इस दिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाना चाहिए। तब से लेकर आज तक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। तथा उन सभी अनजान शिक्षकों का सम्मान किया जाता है। जो शिक्षण क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में जो भी शिक्षक गण काम कर रहे हैं। उन्हें याद करने हेतु तथा उन्हें सम्मान देने हेतु 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष भी शिक्षक दिवस 2023    5 सितम्बर को ही मनाया जायेगा , तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है पुरस्कृत किया जाता है।

 

शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है?

शिक्षक दिवस मनाने के पीछे ख़ुशी का एहसास है। क्योंकि शिक्षा के द्वारा व्यक्तिगत जीवन सफल होता है और सफलता के साथ ही खुशी का अहसास भी मिलता है। इस दिन शिक्षण संस्थानों में, यूनिवर्सिटी, कॉलेज सभी शिक्षण क्षेत्र में उत्कृष्ट गुरुजनों का सम्मान किया जाता है। उन्हें संबोधित किया जाता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। बच्चों द्वारा अपने गुरुजनों के प्रति आभार प्रकट करने हेतु अलग-अलग भाषाओं में भाषण दिए जाते हैं। कविताएं गाई जाती है। दोहे बोले जाते हैं, और अपने गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए भव्य समारोह के आयोजन किए जाते हैं।

भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को सभी शिक्षण क्षेत्र इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं शिक्षक दिवस 2021 भी इसी दिन मनाया जायेगा। तथा जो भी शिक्षक गण शिक्षा का मार्ग बनाते हैं। तथा क्षेत्र में छात्रों को मार्गदर्शन देते हैं और उन्हें सफल बनाते हैं ऐसे शिक्षकों का भव्य सम्मान किया जाता है तथा शिक्षण संस्थानों द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।

 

 शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं?

जब एक स्टूडेंट अपने जीवन की यात्रा शुरू करता है, तो पहले उन्हें शिक्षा ग्रहण करनी होती है। अपने जीवन को समझना होता है। तथा आगे के जीवन को सही और सुखमय बनाने के लिए शिक्षा का होना अति आवश्यक है। बगैर शिक्षा के कोई भी प्राणी अपना जीवन उत्कृष्ट नहीं बना सकता। इसीलिए एक विद्यार्थी को शिक्षण संस्था के माध्यम से ज्ञान अर्जित करना होता है। ज्ञान का प्रकाश प्राप्त करने के लिए शिष्य द्वारा गुरु का चुनाव किया जाता है। तथा गुरु के द्वारा कही गई सभी बातें मानी जाती है, धरण की जाती है। तब जाकर अनेक प्रयासों के बाद जिससे उस विद्या में पारंगत हो पाता है।

व्यक्तिगत जीवन मूल्यवान बने इसके लिए उन्हें गुरु को समझ ना होता है। उन्हें फॉलो करना होता है। गुरु द्वारा बताए गए हर बात का मनन, अनुसंधान आदि किया जाता है। तब जाकर जीवन मूल्यवान बन पाता है। शिक्षकों द्वारा अपने स्टूडेंट्स के प्रति जो लगाव होता है, उनके जीवन के प्रति जो जिम्मेदारी होती है। उसे शिक्षक ईमानदारी से निभाते हैं। शिक्षक शिक्षा देने में कभी आलस्य नहीं करते। तब जाकर एक अच्छे शिष्य का निर्माण हो पाता है, उसका जीवन संवर पाता है।

 डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली कहा करते हैं अगर ज्ञान का प्रकाश भीतर देखना है तो पहले शिक्षक के भीतर का प्रकाश समझना होगा। उनके द्वारा बताए गए मार्ग को फॉलो करना होगा। तब आप अपने भीतर शिक्षा का प्रकाश देख सकेंगे। 

इसी प्रकार शिक्षक दिवस मनाने के पीछे अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करना है। तथा गुरु के द्वारा किए गए उपकार पूर्ण कार्यों के प्रति धन्यवाद प्रकट करना है। शिक्षक दिवस मनाने के पीछे गुरु की महिमा के अलावा शिक्षा को उत्कृष्ट तथा उचित स्थान देना भी है। इन्हीं कई कारणों को और उद्देश्यों के चलते शिक्षक दिवस मनाया जाता है और शिक्षक उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

 

शिक्षक दिवस पर दोहे तथा कोट्स (Shikshak Diwas Quotes )

 शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक का काफी महत्व है आप ऐसे समझिए जैसे किसी नाव को चलाने हेतु नाविक  की आवश्यकता होती है बगैर नाविक के खूबसूरत से खूबसूरत नाव ताकतवर से ताकतवर नाव नहीं चल सकती उसी प्रकार बिना शिक्षक के कोई भी शिक्षा संस्थान नहीं चल सकती तथा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य नहीं हो सकते शिक्षा को संचालित करने के लिए शिक्षक का होना अति आवश्यक है इसीलिए जब कबीर दास जी ने गुरु के महत्व को समझते हुए दोहा लिखा  बनाया था

गुरु गोविंद दोनों खड़े किसके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय

 इस दोहे का भावार्थ  हैं कि जब गुरु और भगवान के बीच का फर्क महसूस करना हो पहचान ना हो और श्रेष्ठता घोषित करनी हो तब गुरु की महिमा का तथा उनकी कृपा का पता चलता है क्योंकि गुरु की विशेष कृपा की बदौलत ही शिष्य को भगवान की प्राप्ति होती है ज्ञान का प्रकाश होता है अंधकार दूर होता है गुरु और ईश्वर में श्रेष्ठ गुरु को बताया है और भगवान शिव कहते हैं कि गुरु के बिना मेरे तक पहुंचना अर्थात ईश्वर प्राप्ति शांति प्राप्ति असंभव है

शिक्षक दिवस पर बच्चों द्वारा कविताएं दो हैं आदि लिखे जाते हैं और समारोह में उन्हें प्रस्तुत किया जाता है इसका मुख्य मकसद यही होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक को महान मानते हुए उन्हें सम्मानित करना उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना तथा उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य को अन्य लोगों तक पहुंचाना अन्य छात्र तक पहुंचाना जिससे उन्हें एक प्रेरणा मिले और वह अपने जीवन में शिक्षा को महत्व दें तथा शिक्षकों का सम्मान करें

गुरु और शिष्य का संबंध सबसे पवित्र बताया गया है हमारे भारत के अनेक संत महात्मा कवि तथा लेखकों द्वारा गुरु शिष्य के संबंध को एक गरिमा वाला संबंध बताया है तथा इन पर कई प्रकार की रचनाएं की है कबीर दास जी सूरदास जी तुलसीदास जी ने गुरु की महिमा बताते हुए बहुत से दोहे रचित किए हैं तथा काव्य के रूप में गुरु की महिमा का बखान किया है

शिक्षक दिवस पर भारत वर्ष के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर बार संबोधित किया जाता है और शिक्षा के क्षेत्र में गुरु की महिमा को बताते हुए वे कई प्रकार की कोर्स कहते हैं जैसे

“मैं धन्य महसूस करता हूँ मैं विद्यार्थीयों को संबोधित कर सकता हूँ जो भारत के भविष्य है”।– नरेन्द्र मोदी

“समाज के लिये अध्यापकों के महत्व को अवश्य ध्यान में रखना चाहिये”।- नरेन्द्र मोदी

“जब तक शिक्षक अपना बकाया पायेंगे बदलाव लाना मुश्किल है”।- नरेन्द्र मोदी

“हमें जरुर ये प्रश्न पूछना चाहिये कि क्यों अच्छा विद्यार्थी शिक्षक नहीं बनता”।- नरेन्द्र मोदी

“जब मैं जापान में एक स्कूल में गया मैंने देखा कि स्कूल को साफ करने के लिये गुरु और शिष्य दोनों कार्य करते है मैं आश्चर्यचकित था कि क्यों हम ऐसा भारत में नहीं कर सकते”।- नरेन्द्र मोदी

“एक विद्यार्थी के नाते मैं आश्वस्त हूँ कि आपके कई सपने होंगे। अगर आप दृढ़प्रतिज्ञ हो जाएँ आगे बढ़ने के लिये तो कोई आपको रोक नहीं सकता। हमारे युवा प्रतिभावान है”।–नरेन्द्र मोदी

“भारत एक युवा राष्ट्र है। क्या हम अच्छे शिक्षकों के निर्यात के बारे में नहीं सोच सकते ?” – नरेन्द्र मोदी

“गूगल गुरु पर जानकारी प्राप्त करना आसान है लेकिन वो ज्ञान के बराबर नहीं होगा”।- नरेन्द्र मोदी

“राष्ट्र के प्रगति के लिये विद्यार्थी और शिक्षक दोनों को आगे बढ़ना चाहिये”।- नरेन्द्र मोदी

“अगर आप दृढ़ संकल्पी है तो कोई भी आपको आपके सपनों को निर्धारित करने से नही रोकेगा”।–नरेन्द्र मोदी

“अगर आपकी शिक्षा पर्याप्त नहीं है, अनुभव आपको सिखाएगा”।- नरेन्द्र मोदी

“हर एक को खेलना और पसीना बहाना चाहिये। जीवन किताबों के दलदल में नहीं फँसी होनी चाहिये”।- नरेन्द्र मोदी

“तकनीक का महत्व हर दिन बढ़ रहा है। तकनीक को अपने बच्चों से हमें नहीं छीनना चाहिये अगर हम ऐसा करते है तो ये सामाजिक अपराध होगा”।-नरेन्द्र मोदी

“डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश की अच्छे से सेवा की, उन्होंने अपना जन्मदिन नहीं मनाया, उन्होंने इस दिन को शिक्षकों के लिये मनाया”।- नरेन्द्र मोदी

“हम चाहते है कि राष्ट्र निर्माण लोगों का आंदोलन हो”।–नरेन्द्र मोदी

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