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नीम करोली बाबा के बारे में जानिये क्या खास है | Neem Karoli Baba Ke Baare Me Jaaniye Kya Khaas Hai

नीम करोली बाबा के बारे में जानिये क्या खास है
January 27, 2023

लेख सारणी

नीम करोली बाबा के बारे में जानिये क्या खास है

नीम करोली वाले बाबा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। आप सभी इस के बारे में जानते है। इनके चमत्कार के किस्से किसी से भी छुपे  हुए नहीं है। यह बहुत ही बड़े में चम्तकारी बाबा थे। 

उनके भक्त इन्हे भगवान् हनुमान जी का अवतार मानते हैं। इनके बारे में कई प्रकार के चमत्कारी किस्से बताये गये है। तो दोस्तों आज हम जानेंगे बाबा के बारे में 10 रोचक कहानियो के बारे में। 

  1. नीम करोली बाबा का मूल नाम लक्ष्मीनारायण जी शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर नामक गांव में उनका जन्म सन्न 1900 के लगभग हुआ था। उन्हें 17 वर्ष की उम्र में ही ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके पिता जी का नाम श्री दुर्गा प्रसाद जी शर्मा था। उनका 11 वर्ष की आयु में ही बाबा का विवाह संपन्न हो गया था।
    नीम करोली बाबा के चमत्कार
  2. सन्न 1958 में करोली वाले बाबा ने अपने घर को त्याग दिया था। और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की तरह विचरण करने लग गए थे। उसी दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई अन्य नामों से भी जाने जाते थे। गुजरात राज्य के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया वाले बाबा के नाम से भी पुकारते थे।
  3. एक समय की बात है  की बाबा भारतीय रेल के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर वहा आया तो बाबा के पास टिकट मौजूद नहीं था। तभी बाबा को अगले स्टेशन ‘नीम करोली’ नाम की जगह पर ट्रेन से उतार दिया गया था। बाबा थोड़ी दूर पर गये और अपना चिपटा धरती में गाड़कर वही पर बैठ गए।ऑफिसर ने ट्रेन को चलाने का आदेश दिया और गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, परंतु रेल अपनी जगह से बिलकुल भी नहीं हिली। बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो वही पर मौजूद लोकल मजिस्ट्रेट भी बैठे थे जो बाबा को जानता थे। उसने ऑफिसर को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक रेल के अंदर लाने का आग्रह किया। ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी मजिस्ट्रेड की इस बात का समर्थन किया। ऑफिसर ने बाबा से माफी मांगी और उन्हें ससम्मान सहित ट्रेन में बैठाया। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन अपनी जगह से चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करोली वाले बाबा पड़ गया। नीम करोली वाले बाबा के अनेको चमत्कार के किस्से हैं।
    नीम करोली बाबा के चमत्कार
  4. उत्तराखंड राज्य के नैनीताल के पास कैंची धाम है। वहा बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार आए थे। और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां अपना आश्रम बनाने का विचार बनाया था। बाबा नीम करौली ने इस अपने इस आश्रम की स्थापना 1964 में कर दी थी।
  5. मशहूर नीम करोली वाले बाबा की समाधि स्थल उत्तराखंड राज्य के नैनीताल के पास पंतनगर में स्तिथ है। यह एक ऐसा स्थान है। जहां कोई भी मुराद लेकर आता है तो वह खाली हाथ लौटकर नहीं जाता है। यही पर बाबा का समाधि  भी है। यहां यहां बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति की स्थापना गयी है। यहां हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।
  6. महान नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल कम्पनी के मालिक ‘स्टीव जॉब्स’ फेसबुक कंपनी के मालिक ‘मार्क जुकरबर्क’ और हॉलीवुड एक्ट्रेस ‘जूलिया रॉबर्ट्स’ का नाम भी लिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करने के बाद से ही उनका जीवन परिवर्तित हो गया।
  7. जून को प्रति वर्ष इस देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन किया जाता है। और देवभूमि पर देश-विदेश से बाबा नीम करौली के भक्त पधारते हैं। इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान जी का साक्षात अवतार माना जाता है। भारत देश के अलावा विदेशो से हजारों भक्त यहां हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने यहाँ आते हैं। बाबा के भक्तों ने इस पवित्र स्थान पर हनुमान जी का भव्य मन्दिर भी बनवाया है। यहां 5 देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। इनमें हनुमानजी का एक मंदिर भी है। बाबा नीम करोली हनुमानजी के परम भक्त माने जाते थे। और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के 108 मंदिरो का निर्माण भी करवाया है। 
  8. ‘रिचर्ड एलपर्ट’ का परिवर्तित नाम (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर ‘मिरेकल ऑफ़ लव’ नाम की एक किताब लिखी है। इसी किताब में ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ नाम से एक घटना की चर्चा की है। बाबा हमेशा कंबल ही ओढा करते थे। आज भी भक्त जब उनके मंदिर में जाते हैं तो उन्हें कंबल ही भेंटस्वरूप देते हैं।
  9. नीम करौली बाबा के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। उनके ज्येष्ठ पुत्र जिसका नाम अनेक सिंह था। अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं। जबकि कनिष्ठ पुत्र जिसका नाम  धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे। हाल ही में उनका निधन भी हो गया है।
  10.  सितंबर 1973 को वृंदावन में उन्होंने अपने देह का त्याग किया था। ऐसा बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी भक्त ही आते हैं। करोली बाबा का आश्रम पहाड़ी क्षेत्र में देवदार के पेड़ों के मध्य स्थित है।

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