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Makar Sankranti 2024 | मकर संक्रांति, कथाएं, महत्व

Makar Sankranti 2024
May 5, 2022

मकर संक्रांति 2024 – Makar Sankranti 2024

 

Makar sankranti 2024 – वर्ष 2024 में मकर संक्रांति का पर्व भारतीय पंचांग की मान्यताओं के अनुसार 15 जनवरी 2024, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य भगवान् धनु राशि से निकल कर मकर राशि के अंदर प्रवेश करेंगे. सूर्य भगवान् जब एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं तो इस आने जाने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते है. मकर संक्रांति को सभी संक्रांति में अति बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

Makar Sankranti 2024 –  मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहते है. मकर संक्रांति पर स्नान और दान का अति विशेष महत्व बताया जाता है. हमारे देश भारत में हरदिन कोई ना कोई  पर्व ,व्रत या त्यौहार अवश्य मनाया जाता है. आस्था का प्रतीक यह त्यौहार हमारी सिर्फ एक परंपरा नहीं है परंतु उन्हें मनाए जाने का प्रामाणिक वैज्ञानिक कारण भी साथ ही साथ उपलब्ध है. भारत में हर साल जनवरी में मकर सक्रांति पर्व हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है. मकर सक्रांति काे भारत भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता हैं.

Makar sankranti 2024  – पौष मास के दौरान जब सूर्य भगवान् अपनी धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. तो उन दिनों सनातन धर्म में यह पर्व सक्रांति के रूप में मनाया जाता है. संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायणी गति प्रारंभ कर लेता है. इसलिए इस पर वह को उत्तरायणी का पर्व के नाम से भी जाना जाता है.

Makar Sankranti 2024 – न्याय के देवता शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन जप, तप, ध्यान और धार्मिक कार्यक्रमों का बहुत अधिक महत्व होता हैं. अन्य प्रांतों में इसे फसलो का  उत्सव के नाम से भी जानते हैं.

Makar sankranti 2024  – यदि हमारे वैज्ञानिकों की मानें तो पहले सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध पर अपनी किरणों को सीधा डालता है. जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटा हो जाता है. इसके कारण सर्दी का मौसम भी रहता है. सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू करदेता है. जिसके कारण ऋतुो में भी परिवर्तित होता है और यह कृषकों की फसलों के लिए ये बेहद ही फायदेमंद और लाभकारी होता है.

 

मकर संक्रांति से जुडी कथाएं – Makar Sankranti Se Judi Kathayen 

 

Makar sankranti 2024  – मकर संक्रांति से जुडी बहुत सी रोचक कथाएं है जिसमे से कुछ निम्मन प्रकार से है 

  • कथा 1 –  Makar sankranti 2024 – हमारी  पौराणिक कथाओं की मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान् अपने पुत्र शनि देव से मिलने स्वयं उनके घर पर जाते हैं. चूँकि शनि देव स्वयं मकर राशी के देवता हैं इसी कारण इसे मकर संक्रांति कहते हैं.
  • कथा 2 – Makar sankranti 2024 – हमारी प्राचीन कथाओं की अगर मानें तो  महाभारत के युद्ध के योद्धा और कौरवों की सेना के जो सेनापति थे गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मुत्यु चाहने का वरदान प्राप्त था. अर्जुन के बाण लग जाने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्ता को समझते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन को चयन किया था.

Makar sankranti 2024  – भीष्म पितामह जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन हो जाने के बाद व्यक्ति को कभी मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म भी लेना पड़ता हैं. महाभारत के युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने अपने प्राणो को त्याग दिए था. भीष्म पितामह के निर्वाण दिवस को भीष्माष्टमी के नाम से भी जानते हैं.

    • कथा – 3 Makar sankranti 2024 – हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार मकर सक्रांति के दिन ही माँ गंगा स्वर्ग में अवतरित होकर रजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगासागर तक पहुँच गई थी. धरती पर अवतरित होने के बाद राजा भागीरथ ने माँ गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों (पितरो) का तर्पण किया था. इस दिन पर गंगा सागर पर नदी के किनारे भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता हैं.
    • कथा – 4 Makar sankranti 2024 – माता यशोदा ने संतान की प्राप्ति हेतु इसी दिन व्रत रखा था. इस मकर संक्रांति (Makar sankranti 2024) वाले दिन महिलाएं तिल, गुड आदि वस्तुएं दूसरी महिलाओं को उपहार में बाँटती हैं. ऐसी मान्यता हैं कि तिल की उत्पत्ति भगवान् श्री विष्णु से हुई थी. इसलिये इसका प्रयोग हम हमारे द्वारा किये गए पापों से मुक्त पाने के लिए करते हैं. तिल के उपयोग से शरीर निरोगी भी रहता है और हमारे शरीर में गर्मी का संचार निरंतर होता रहता हैं
    • कथा – 5 Makar sankranti 2024 – भारत के दक्षिणी प्रान्त तमिलनाडु में मनाया जाने वाला थाई पोंगल, भगवान श्री इंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए चार दिनों के उत्सव के रुप में होता है..यह दिन भगवान श्री इंद्र को भरपूर बारिश के लिए आभार प्रकट करने व मानने का एक सरल माध्यम है. इसलिए उपजाऊ भूमि और अच्छी उपज की कामना स्वरुप भी यह संक्रांति मनाई जाती हैं..
  • वैशाखी – Makar sankranti 2024 – मकर संक्रांति को “बैसाखी” का पर्व भी कहा जाता है, पंजाब में यह बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाने वाला एक फसलीय त्यौहार भी है. यह वसंत ऋतु के अनुरूप पंजाबी नववर्ष को चिह्नित करता है.इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को सीखो के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिख इस त्योहार को सामूहिक रूप से अपने गुरु के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं.
  • उत्तरायण – Makar sankranti 2024 – भारत के गुजरात राज्य में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जानते हैं. इस दिन पतंग उड़ाने का, गुड़ और मूंगफली की चिक्की का दावत के रूप में आननद उठाया जाता है. विशेष मसालों के साथ भुनी हुई सब्जी को उत्तरायण के अवसर का मुख्य व्यंजन मानते है.
  • भोगली या माघ बिहू – Makar sankranti 2024 – भोगली या माघ बिहू असम का एक सप्ताह लंबा फसलीय त्यौहार है. यह पर्व माह के 29 वें दिन से शुरू होता है, जो की 13 जनवरी को आता है और लगभग एक हफ्ते तक चलता है. इस त्यौहार पर लोग हरे बांस और घास के साथ बनी विशेष प्रकार की संरचना “मेजी” (एक प्रकार की अलाव) का निर्माण करते हैं और फिर उसे जलाते हैं.

मकर संक्रांति का महत्व – Makar Sankranti Ka Mahatva 

 

Makar sankranti 2024  – मकर राशि में सूर्य की संक्रान्ति को ही हम  मकर संक्रान्ति कहते है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद ही खरमास समाप्त होता है और नव वर्ष पर अच्छे दिनों की शुभ शुरूआत हो जाती है। सूर्य की पूर्व से दक्षिण की ओर चलने वाली किरणों को बहुत अच्छी नहीं माना जाता है किन्तु पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने पर सूर्य देव की किरणें अधिक लाभप्रद और फलदाई होती है। शायद इसलिए मकर संक्रान्ति (Makar sankranti 2024) के शुभ अवसर पर सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

Makar sankranti 2024  – सूर्य देवता को आत्मा का कारक माना जाता है और आत्मा में परमात्मा यानि परमऊर्जा का निवास भी होता है। जब तक हम आत्म विश्वास से लबरेज नहीं होंगे तब तक मनोकामना की पूर्ति असम्भव ही प्रतीत होती है। सूर्य की उपासना से अध्यात्मिक ऊर्जा का संचार भी होता है। सकारात्मक ऊर्जा से मन व तन में शुध्दि आती है। तन व मन के शुद्ध होने पर आत्मबल व आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है और आत्मबल से मनोकामनाओं,इच्छाओ  की पूर्ति हेतु मार्ग खुल जाते है।

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