Kurma Dwadashi 2023 – कुर्मा द्वादशी पर्व हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण द्वादशी का पर्व माना जाता है। कुर्मा द्वादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि के दिन होती है। कूर्म संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ कछुआ होता है। कुर्मा द्वादशी का दिन भगवान श्री विष्णु को ही पूर्ण रूप से समर्पित होता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु ने समुंद्र मंथन के लिए कछुए का अवतार धारण किया था, जो भगवान श्री विष्णु का ही दूसरा रूप माना जाता है। कुर्मा द्वादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के अवतार कछुए की पूजा करने का विधान होता है।
Kurma Dwadashi 2023 – कुर्मा द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि चांदी व अष्टधातु का कछुआ घर व दुकान में रखना अति शुभकारी माना जाता है। काले रंग का कछुआ को ओर भी शुभ माना जाता है, इससे जीवन में हर प्रकार की तरक्की की संभावना बानी रहती है।
Kurma Dwadashi 2023 – हमारे हिन्दू धर्म में कुर्मा द्वादशी के दिन पूरे समर्पण भावना के साथ भगवान श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। व्रत करने वाल व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उटजन चाहिए और स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए। भगवान श्री विष्णु की एक छोटी मूर्ति व कुछए की प्रतिमा या तस्वीर को पूजा स्थल पर रखा चाहिए और फल, दीपक और धूप चढ़ाना चाहिए । इस दिन ’विष्णु सहस्त्रनाम’ और ’नारायण स्तोत्र’ का उच्च स्वर में पठन-पाठन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
कुर्मा द्वादशी का पर्व इस साल 2023 में 2 जनवरी 2023 को है।
Kurma Dwadashi 2023 – कुर्मा द्वादशी की सम्पूर्ण पूजा विधि विधान से करने के बाद अंत में भगवान् श्री विष्णु जी की उच्च स्वर में आरती गानी चाहिए। भगवान् श्री विष्णु जी के लिए अनेको प्रकार की आरतियां भी गाई जाती है जैसे की :-
1:- आरती कुञ्ज भयहारी की। . . . . .. .
2 :- श्री गोवर्धन महाराज की आरती . . . . . . .
3:- श्री खाटू श्याम जी की आरती . . . . . . . . .
4:- श्री कृष्ण जी की आरती . . . . . . . . . .
5 :- श्री बांके बिहारी जी की आरती. . . . . . .. .
आदि आरतियां भी गाई जाती है।
Kurma Dwadashi 2023 – भगवान श्री विष्णु जी ने विश्व कल्याण व धर्म की रक्षा करने के उदेश्य से ही कूर्म का रूप धारण किया था जो इनका दूसरा अवतार था। इस रूप में भगवान श्री हरि विष्णु जी कछुआ के रूप में प्रकट हुए थे जिस कारण इसे कच्छप रूप व कूर्म रूप के नाम से भी जाना जाता है। इस रूप का अवतार लेने का कारण देवता व दानवों (राक्षसो) के हाथों से हो रहा समुंद्र मंथम में सहायता करना था। तब उन्होने कहा था की इस संसार में जो कोई व्यक्ति मेरे इस रूप की पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा भाव से करेगा उसकी सभी प्रकार की मनोकामनाए पूर्ण होगी।
Kurma Dwadashi 2023 – विष्णु पुराण की मान्यता के अनुसार एक बार देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति और ऐश्वर्य के अहंकार में आकर ऋषि दुर्वासा का अपमान किया। अर्थात ऋषि दुर्वासा ने देवराज को एक पुष्पों की माला भेट स्वरूप दी किन्तु इंद्र ने उस पुष्प की माला को अपने प्रिय ऐरावत हाथी को दे दिया। फिर उस ऐरावत हाथी ने उस पुष्प माला को नीचे फेक दिया जिस कारण ऋषि दुर्वासा बहुत क्रोधित हो गए। और देवराज इंद्र को श्राप दिया की तुम देवताओं में अपना बल,शक्ति,ऐश्वर्य व सब कुछ खो दोगे।
Kurma Dwadashi 2023 – ऋषि दुर्वासा के इस श्राप के कारण सभी देवतागण बहुत ही निर्बल व तेजव्हीन हो गऐ जिसका नाजायज फायदा असुरों (राक्षसो) ने उठाया। उनको इस स्थिति में देखकर राक्षसों ने उन पर आक्रमण कर दिया और देवताओं को हराकर दैत्यराज बलि ने स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया। और सभी देवताओं को स्वर्ग लोक से निकाल दिया जिससे परेशान होकर देवगण भगवान श्री विष्णु के पास गए। और अपनी ये सारी कथा भगवान् श्री विष्णु को सुनाई तब भगवान श्री विष्णु जी ने कहा यदि तुम सभी देवता व असुर (राक्षस) मिलकर के समुद्र मंथन करेगे तो उससे अमृत कलश प्राप्त होगा। उस कलश से अमृत पीकर ही तुम्हारी खोई हुई शक्ति वापस आ जाएगी।
Kurma Dwadashi 2023 – परन्तु ध्यान रहे यह कार्य इतना आसन भी नहीं है तब विष्णु जी ने कहा की तुम असुरों को अमृत का लोभ देकर समुद्र मंथन करने के लिए अपनी सहायता हेतु हेतु उन्हें अपने साथ कर लो। जब असुर (राक्षसों) ने अमृत वाली बात को सुनी तो उन्हें अमृत को पिने की लालसा जागृत हुई तो वो सभी इसके लिए तैयार हो गए। और कहा की जो भी मंथन करते समय कोई भी किमती वस्तु निकलेगी उसे हम आधी-आधी बांट लेगे और इस प्बात पर दोनो पक्ष समुद्र मंथन करने के लिए मान गए। मंथन के लिए सभी देवता व असुर (राक्षस) क्षीर सागर के पास आ पहुचे और मंद्राचल पर्वत को मंथनी व वासुकि नाग को रस्सी के रूप में लिया। और एक ओर से देवता तथा दूसरी ओर से राक्षसगण मंथन करने में लग गए।
Kurma Dwadashi 2023 – समुद्र मंथन को प्रारंभ करने के कुछ ही समय बाद मंद्राचल पर्वत धीरे-धीरे समुद्र के अंदर जाने लगा जिस कारण देवता व असुर (राक्षस) ने मंथन को रोक दिया। और सभी देवता व राक्षस ने इस समस्या का समाधान भगवान श्री विष्णु से पूछा और कहा हे प्रभु अब तो आप ही कुछ हमारी मदद करिए। उसके बाद भगवान श्री विष्णु जी ने कूर्म (कछुआ) का रूप लेकर मंद्राचल पर्वत के नीचे विराजमान हो गए। तब जाकर उनकी पीठ पर समुद्र मंथन पुन: प्रारंभ (शुरू) हुआ और इसी प्रकार धीरे-धीरे किमती वस्तुओं और बहुमूल्य रत्न निकले। और अनेक प्रकार के जीव-जंतु आदि की उत्पत्ति भी हुई। उसके बाद ही देवताओं को अमृत की प्राप्ति हुई जिसे पीकर देवताओं को अपनी खोई हुए शक्ति और ऐश्वर्य पुनः प्राप्त हुआ।
Kurma Dwadashi 2023 – कुर्मा द्वादशी वाले दिन अपने घर में कछुआ को लाना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। ऐसा करने पर माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है और अपनी कृपया हम पर बनाये रखती है। घर में कछुआ को रखने से सभी प्रकार के आर्थिक संकट नष्ट हो जाते है
Kurma Dwadashi 2023 – अपनी दूकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान में छोटा सा चाँदी का कछुआ को रखने से व्यापार में भी तरक्की और अधिक लाभ की प्राप्ति होती है।
Kurma Dwadashi 2023 – कछुए को घर के अंदर गलत दिशा में रखने से घर में नुकसान होने को संभावना भी बानी रहती है। इसलिए अपने घर में कछुआ वास्तु शास्त्र के अनुसार उचित स्थान पर ही रखना चाहिए।