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कुंभ मेला और संगम | Kumbh Mela And Sangam

कुंभ मेला और संगम
February 15, 2023

लेख सारणी

कुंभ मेला – Kumbh Mela

 

आज हम आपको कुंभ मेला के बारे में बताने जा रहा है ,जैसा की आप सभी जानते है की कुम्भ का मेले का हिन्दू धर्म में अपना एक विशेष स्थान है। आज के इस आधुनिक इलाहाबाद में स्थित है प्रयाग बतौर तीर्थ हिन्दुओं में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दुओ की परंपरागत तरके से  नदियों का मिलन बहुत ही पवित्र माना जाता है। लेकिन नदियों का संगम का मिलन का बेहद बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि यहां गंगा नदी, यमुना नदी,और सरस्वती नदी, का अद्भुत मिलन यही पर आकर होता है। हमारी पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री विष्णु अमृत से भरा कुंभ (पात्र) को लेकर जा रहे थें। कि असुरों (राक्षस) से छीना-झपटी में अमृत की चार बूंदें वही गिर गई थीं। यह बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, नासिक एवं उज्जैन रुपी तीर्थस्थानों में गिरीं थी।

कुंभ मेला – तीर्थ वह स्थान होता है जहां कोई भक्त इस नश्वर संसार से मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। ऐसे में जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरी वहां तीन-तीन साल के अंतराल में  बारी-बारी से कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है। इन तीर्थों में भी संगम को तीर्थराज के नाम से जानते है। संगम में हर बारह वर्ष पर कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है।

 

 संगम – Sangam 

 

कुंभ मेला – यह वह पवित्र स्थान है जहां गंगा नदी का मटमैला पानी यमुना नदी के हरे पानी में मिलता है। अदृश्य मानी जाने वाली सरस्वती नदी है । वैसे तो यह अदृश्य सरस्वती नदी है। पर ऐसा माना जाता है कि यह भूगर्भ में ही बहती है। इन तीनो नदियों का संगम स्थल सिविल लाइन्स से करीब 7 किमी की दूरी पर पड़ता है। इसे अकबर के किले पर बने परकोटे से आसानी से भी देखा जा सकता है।

 

अन्य जानकारी :-

 

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