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क्या होती है जन्मकुंडली, जानिए क्यों मिलाया जाना चाहिए इसे शादी से पहले और जन्म कुंडली का महत्त्व

जन्मकुंडली क्या है?
September 27, 2021

जन्मकुंडली क्या है ( Janam Kndali Kya Hai  )? चलिए जानते है जन्म कुंडली के बारें में 

जानियें  जन्मकुंडली क्या है? जन्म कुंडली का हिंदु धर्म में भविष्य संबंधित जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रयोग किया जाता है। भिन्न-भिन्न स्थानों में इसको बनाने की प्रणाली अलग हो सकती है परंतु इसकी गणना करते समय प्रयोग किए जाने वाला गणित लगभग हर जगह पूर्व कथित ही है। इसमें जातक के जन्म के समय, तिथि और स्थान के आधार पर बनाया जाता है जिससे ज्योतिष शास्त्र के विद्वान भविष्य या आगे बनने वाली परिस्थितियों को जानने की कोशिश करते हैं। इसी जन्म पत्रिका से जातक के दोष इत्यादि का पता लगाया जाता है।

शादी से पहले जन्मपत्रिका का मिलान करना बहुत जरूरी है, इससे जोड़े के आपस में मिलने वाले गुणों का पता लगाया जाता है। जन्मपत्रिका के बारे में हम आपको आगे विस्तार से बताएंगे और शादी से पहले इसे क्यों मिलाना चाहिए? आपके इस प्रश्न का उत्तर भी देंगे और जानेंगे इसके महत्त्व को।

जन्मपत्रिका क्या है?

आकाश मंडल में ग्रहों की चाल निरंतर होती ही रहती है और यह नौ ग्रह हमारे जीवन पर अलग-अलग तरीके से अच्छे व बुरे प्रभाव को डालते हैं। जन्मकुंडली वह पत्रिका है जिसमें हमारे जन्म के समय, तिथि और जन्म स्थान के आधार पर उस समय के ग्रहों की जगह और नक्षत्रों को एक व्यवस्थित तरीके से कागज पर दर्ज किया जाता है। जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं और प्रत्येक भाव में एक राशि आती है क्योंकि भावों और राशियों की संख्या समान होती है। जन्म के समय जिस राशि का उदय होता है उसे कुंडली के पहले भाव में रखा जाता है।

पहले भाव में रखी गई राशि के बाद शेष बची राशियों को उल्टे क्रम में रखकर कुंडली में दर्ज किया जाता है। पूर्व, उत्तर और दक्षिण भारतीय स्थानों में कुंडली बनाने के अलग-अलग तरीके होते हैं परंतु मूल जानकारी और बनाने की प्रणाली एक ही है। अपनी सुविधा अनुसार कई जातक बड़ी जन्मकुंडली बनवाते हैं और कई छोटी। अगर आपके पास छोटी जन्मपत्रिका है तो भी चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

दोनों ही प्रकार की जन्म पत्रिकाओं में लिखा समान ही जाता है लेकिन बड़ी पत्रिकाओं में ग्रहों और राशियों की नक्षत्रों के अनुसार अतिरिक्त गणना करके उसे पहले ही लिख लिया जाता है। जिससे की जातक का समय बचाया जा सके और इसी तरह छोटी जन्मपत्रिका वालों की गणना बाद में करके भविष्य का अनुमान लगाया जाता है। आप कभी भी अपने ज्योतिषी से छोटी जन्मपत्रिका को बड़ा बना सकते हैं। जन्म पत्रिका न होने पर भी आप अपने जन्म का स्थान, समय, तिथि और अपना नाम बताकर दुबारा अपनी जन्मपत्रिका बना सकते हैं। जन्मपत्रिका बनाते समय आपको जिस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए वह है जन्म का सटीक समय। जितना सटीक आप अपना समय बताएंगे उतनी ही शुद्धता से आपके भविष्य का पता चल पाएगा। ग्रहों की रफ्तार बहुत तीव्र होती है इसलिए जन्मकुंडली बनाते समय इनकी गणना सेकेंड से भी छोटे अंश तक पहुंच जाती है।

विवाह से पूर्व क्यों मिलानी चाहिए जन्म कुंडली

जन्म कुंडली के बारह भाव मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र को पूर्व रूप से बताने के लिए प्र्याप्त हैं। इससे जातकों के दोष, विचारों और सोच के बारे में पता चलता है। सबसे पहले मांगलिक दोष के बारे अच्छे से देखा जाता है। मंगल का यह दोष विवाह पर बहुत बुरे प्रभाव डालता है, इसलिए इस दोष का पता लगाना वैवाहिक जीवन के लिए अतिआवश्यक है। कुंडली के मिलान करने से दोनों के बीच में बनने वाले संबंध को भिन्न क्षेत्रों पर देखा जाता है और दोनों के ग्रहों और तारों की दिशा व दशा को देखा जाता है। इसके अलावा संतान और खुशी की संभावनाओं का ज्योतिष गणना के द्वारा पता लगाया जाता है। इन सबके बाद ही विवाह का निर्णय लिया जाता है।

अगर ज्योतिष शास्त्र की भाषा में बात करें तो इसमें जातक और जातिका के ग्रहों अनुसार गुणों को मिलाया जाता है। विवाह के लिए कम से कम दोनों के 22 गुणों का मिलना आवश्यक है औैर प्रत्येक व्यक्ति में कुल 36 गुण होते हैं। 22 या उससे अधिक गुण मिलने पर विवाह करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा अगर किसी जोड़े के 36 के 36 गुण आपस में मिल रहें हो तो वह विवाह सही नहीं माना जाता। मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों का विवाह भी मांगलिक से करवाया जाता है। इस दोष का पता केवल जन्मकुंडली से लग सकता है। इसलिए विवाह से पूर्व जन्मकुंडली को मिलाना अनिवार्य है।

जन्म कुंडली का महत्त्व

ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि ग्रहों की अवस्था और दिशा अनुसार ही जातक का जीवन चलता है। इन ग्रहों, राशियों और नक्षत्रों के आधार पर मनुष्य जीवन में होने वाली बुरी घटनाओं का पहले से ही पता लगाया जा सकता है और उपायों को करके उनके बुरे प्रभाव को कम या खत्म भी किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान है जिससे हम जन्मपत्रिका बनाने में सक्षम हुए हैं, यह हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया वरदान है और इसका हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है।

 

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