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हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 । Haridwar Kumbh Mela 2023 । जानिए कुम्भ मेले का महत्व और विशेषताएं -
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हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 ।  Haridwar Kumbh Mela 2023 । जानिए कुम्भ मेले का महत्व और विशेषताएं –
December 7, 2022

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 । Haridwar Kumbh Mela 2023 । जानिए कुम्भ मेले का महत्व और विशेषताएं –

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – कुम्भ एक मेला नहीं हिन्दू धर्म का एक पावन पर्व मना जाता है। इस महा कुम्भ मेले में अनगिनत श्रद्धालु प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आस्था की डुबकी लगाते है । इन सभी पावन स्तनों पर पर प्रति 12 वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता ह। इस वर्ष 2021 में कुंभ का आयोजन हरिद्वार में होने जा रहा है।

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – अगर हम हिन्दू धर्म और खगोल गणनाओं के अनुसार देंखे तो यह कुम्भ का मेला मकर संक्रांति (14 जनवरी ) के दिन शुरू होता है। जब वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं और चंदमा और सूर्ये , वृश्चिक राशि में प्रवेश करते है तो ये योग बनता है । मकर संक्रांति पर होने वाले इस महान योग को कुम्भ स्नान-योग कहा जाता हैं जो अपने आप में बहुत महत्व रखता है। ये मेला बहुत शुभ और स्वर्ग के मार्ग को पाने वाला मंगलकारी मेला मना जाता है अगर पुराणों के अनुसार देखा जाये तो इस दिन स्वर्ग के द्वार खुले रहते है। इस पर्व पर स्नान करने वाला हर एक व्यक्ति अपने पापो का प्रायश्चित कर सकता है और माँ गंगा के आँचल में प्रायश्चित की डुबकी लगा सकता है।

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – अगर ऐसा कहा जाये की ये स्नानं साक्षात् स्वर्ग के दर्शन करता है तो कुछ गलत नहीं कहा जायेग। ये पावन पर्व समुन्द्र मंथन से जुड़ा हुवा है ।

हम आपको बताते है की ये पावन 4 स्थल ही क्यों माने जाते है। जंहा कुम्भ का मेला भरा जाता हैं।

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – आइये जानते है इसमें बारे में पुराणिक कथाओ में कहा जाता है की जब देवता और दानवो में बिच समुन्द्र मंथन किया गया था तो जो विष निकला था वो भगवन शिव ने ग्रहण कर लिया था इसी कारणवश भगवन शिव को निलकंठ भी कहा जाता है। और जो अमृत की प्राप्ति हुई थी उस अमृत कलश से चार बुँदे अमृत की इस धरती लोग पर गिरी जिसमे से एक बून्द प्रयाग में गिरी , दूसरी बुंग सर्व शक्तिमान भगवन शिव की नगरी हरिद्वार में गिरी , तीसरी बून्द उज्जैन में गिरी और अंतिम बून्द नासिक में गिरी इसी कारण से इन 4 नगरी को पावन नगरी कहा जाता है। कहा जाता है की कुम्भ 12 होते है 4 इस पृथ्वी लोक में और बाकी शेष 8 देवता लोक मे।

कुम्भ का मेला चार जगह पर होता है 

  •  हरिद्वार में कुम्भ 

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – हरिद्वार का सम्बन्ध सीधा मेष राशि से होता है। कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होने पर और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर कुंभ का पर्व हरिद्वार में आयोजित होता है। 

 हरिद्वार और प्रयाग में कुंभ के दो पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल होता है इस अंतराल को अर्धकुंभ भी कहा जाता है। 

 

  • प्रयाग में कुम्भ 

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – प्रयाग राज कुंभ का विशेष प्रकार का महत्व इसलिए है क्योंकि यह 12 वर्षो के बाद गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर भव्य आयोजित किया जाता है।

 

ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार जब बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयाग नामक पवित्र  स्थान में किया जाता है।  

 

अन्य मान्यताो के अनुसार अनुसार मेष राशि के चक्र में बृहस्पति एवं सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में जब प्रवेश लरता है प्रवेश करता है तब  अमावस्या के दिन कुंभ का पर्व प्रयाग में आयोजित होता है।

 

एक अन्य गणना के अनुसार मकर राशि में सूर्य का प्रवेश एवं वृष राशि में बृहस्पति राषि का प्रवेश होनें पर कुंभ का पर्व प्रयाग में आयोजित किया जाता  है।

 

  • नासिक में कुम्भ 

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – 12 वर्षों में एक बार सिंहस्थ कुंभ मेला नासिक एवं त्रयम्बकेश्वर में आयोजित किया जाता है। सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश हो जाने पर कुंभ का पर्व गोदावरी के तट पर नासिक में आयोजित किया जाता है।

 अमावस्या के दिन बृहस्पति, सूर्य एवं चन्द्र के कर्क राशि में प्रवेश होने पर भी कुंभ का पर्व गोदावरी तट पर आयोजित किया जाता है।

  • उज्जैन में कुम्भ 

हरिद्वार कुम्भ मेला 2023 – सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य राशि का प्रवेश होने पर ही यह पर्व उज्जैन में आयोजित किया जाता है। इसके अलावा कार्तिक अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र के साथ होने पर और बृहस्पति के तुला राशि में प्रवेश होने पर मोक्षदायक कुंभ का आयोजन उज्जैन में किया जाता है।

 

 

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