Nim karoli baba ki kahani – जैसा की आप सभी को पता है। कि बाबा का मूल नाम श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा था। और इन बाबा को अनेक नामो से भी जाना जाता है। अब के मन मे यही सवाल उठ रहा होगा कि बाबा का नाम नीम करोली कैसे हुआ
Nim karoli baba ki kahani – बाबा नीम करोली का नामकरण ही रोचक घटना है। एक समय की बात है बाबा ट्रेन के प्रथम श्रेणी बोगी में अपनी यात्रा कर रहे थे। जब टिकट निरीक्षक टिकट चेक करने आया तो बाबा के पास ट्रेन का टिकट नही था । टिकट निरीक्षक ने उन बाबा को छोटे से गांव जिसका नाम नीम करोरी है उसके पास ट्रेन से बाहर उतार दिया था। बाबा ने टिकट निरक्षक को कुछ नही कहा, बस ट्रेंन के कुछ दूरी पर अपना चिमटा गाड़ के शांत चित्त से बैठ गए। जब ट्रेन को दुबारा चलाने की कोशिश करी तो, ट्रेन अपने स्थान से एक इंच भी आगे नही चली । ट्रेन का चालन और परिचालन करने वाले कर्मचारी भी हैरान हो गए। तब उन यात्रियों में से एक यात्री मजिस्ट्रेट था। जो की उन बाबा को जनता था। उसने ट्रेन के कर्मचारियों से निवेदन किया की वो बाबा से माफी मांगे और उन्हें ससम्मान से वापस ट्रेन में बिठायें। तब उस टिकट निरीक्षक ने बाबा से सविनम्र माफी मांगी और उन्हें दुबारा ट्रेन में बैठने का आग्रह किया। बाबा बोले ,यदि आप बोलते हैं। तो मैं आ जाता हूँ। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चलने लग गई। इस घटना के घटने के बाद से ही ये साधारण सा गाव सम्पूर्ण देश और विदेश में प्रसिद्ध हो गया । और यह गांव बाबा नीम करोरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
Nim karoli baba ki kahani – नीम करोरी की इस घटना के बाद बाबा विख्यात हो गए। और वो अपने सबसे प्रसिद्ध धाम जिसका नाम कैंची धाम है। वे फिर उस आश्रम में रहने लगे ।1967 में वहा उन्ही से प्रभावित होकर उनके प्रसिद्ध शिष्य मिले जिनका नाम रामदास था। रामदास एक अमेरिकी नागरिक थे। रामदास का मूल नाम रिचर्ड अल्पर्ट था। रिचर्ड अल्पर्ट बाबा से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने बाबा से दीक्षा ली और उनके शिष्य भी बन गए। और अपना नाम रिचर्ड अल्पर्ट से बदल कर रामदास ही रख लिया।
रामदास ने कुल 15 पुस्तकें लिखी। इन सभी पुस्तकों में से बाबा नीम करोरी जी पर आधारित मिरेकल ऑफ लव नाम की पुस्तक काफी प्रसिद्ध रही । इस प्रसिद्ध पुस्तक से ही बाबा नीम करोली को अंतर्राष्ट्रीय स्स्तर पर पहचान मिली।
Nim karoli baba ki kahani – मिरिकल ऑफ लव में बाबा जी के बारे में अनेको प्रकार के सच्चे किस्सों और कहानियों के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक का एक प्रसिद्ध किस्सा है। जो “बुलेटप्रूफ कंबल” के नाम से है। जिसने बाबा नीम करोरी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी।
Nim karoli baba ki kahani – बाबा के अनेको भक्त है। उन्ही भक्तो में से एक बुजुर्ग दंपत्ति भी भक्त थे। जो फतेहगढ़ नाम के स्थान पर निवास करते थे। अचानक एक रात को बाबा उनके घर पर आये। रात को रहने के लिए। और उन्ही का एक कंबल को लपेट कर सो गए थे। बाबा ने वहा खाना भी नही खाया था। जब बाबा रात को कम्बल में सोए हुए थे। तो बाबा कम्बल के अंदर से बहुत कराह रहे थे। जैसे की बाबा को बहुत मार पड़ रही हो। वो बुजुर्ग दंपति भी पूरी रात भर परेशान थे। की बाबा ने खाना भी नही खाया और कराह भी रहे हैं। अब पता नही की बाबा को क्या कष्ट हो रहा है।
Nim karoli baba ki kahani – प्रातः बाबा उठे। और उन्होंने रात भर ओढ़ा हुवा उनका कम्बल को तह कर दंपति को वापस दे दिया। और उन दंपत्ति से कहा की इसे गंगा जी मे प्रवाहित कर दीजिए। और इस बात का विशेष ध्यान रखें की कम्बल को खोल कर बिलकुल भी ना देखें। उन बुजुर्ग दंपति ने बाबा जी की आज्ञा का पालन करते हुए उस कंबल को ले लिया। वह कम्बल बहुत भारी लग रहा था। ऐसा लग रहा था। की जैसे कि उसमे बहुत सारा लोहा उसमे रखा हो। और वो लोहा आपस मे टकराकर बज भी रहा था। जब बाबा जी ने कहा तो उस बुजुर्ग दम्पति ने बाबा की आज्ञा का पालन करते हुए उस भारी कम्बल को गंगा जी मे प्रवाहित ही कर दिया।
मिरिकल ऑफ लव नामक पुस्तक में यह घटना सन्न 1943 की बताई गई है। उस समय द्वितीय विश्व युद्ध भी चल रहा था। ब्रिटिश सेना की तरफ से कई भारतीयों ने भी द्वितीय विश्व युद्ध मे हिस्सा लिया। औऱ इसी युद्ध मे वर्मा फ्रंट में उस बुजुर्ग दंपति का इकलौता बेटा वो भी था। बुजुर्ग दंपति ने अपना दुख जब बाबा को बताया तो, बाबा बोले की आप चिंता बिलकुल भी मत करो। तुम्हारा बेटा एक माह में वापस तुम्हारे पास आ जायेगा।
Nim karoli baba ki kahani – और हकीकत में उनका बेटा एक माह बाद द्वितीय विश्व युद्ध से सकुशल वापस लौट आया था। उसने अपने माता पिता को बताया कि , युद्ध की एक रात उसके साथ चमत्कार हुआ। उसने बताया की एक रात वह जापानी सैनिको के बीच अकेला फस गया था। जापानी सैनिक द्वारा पूरी रात गोलियां चलाई जा रही थी। लेकिन उसे एक भी गोली छू नही पाई, और दूसरे दिन सुबह ,ब्रिटिश फौज उसकी सहायता के लिए वहा आ गई। और वह सकुशल वापस लौट आया । इतना सुनते ही उस बूढ़े दंपत्ति की आंखे भर गई। क्योंकि जिस रात की चर्चा उनका बेटा कर रहा था। तो उस रात बाबा नीम करोली उनके घर रात को रहने आये थे। और उनको बाबा जी के कराहने,और कम्बल के भरी होने का राज समझने में बिलकुल भी देर ना लगी।
Nim karoli baba ki kahani – बाबा के इसी प्रकार की चमत्कारी घटनाओं का उल्लेख उनके शिष्य रामदास ने अपनी पुस्तकों में किया है। तो फिर बाबा की कीर्ति विश्व मे लगातार फैलती गई। नीम करोरी बाबा को उनके सभी भक्तगण उन्हें हनुमान जी के अवतार मानते हैं। बाबा हनुमान जी के परम भक्त भी थे । नीम करोली बाबा ने पूरी दुनिया भर में हनुमान जी के कुल 108 मंदिरो का निर्माण भी करवाया।