Gandhi Jayanti 2022 – ‘अहिंसा के पुजारी’और राष्ट्रपिता कहलाने वाले महात्मा गाँधी को बापू के नाम से भी सम्भोदित किया जाता है। महात्मा गाँधी का जन्म शुक्रवार 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नमक स्थान पर एक साधारण परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता जी एक धार्मिक प्रवर्ति की महिला थी ये नित्य व्रत और उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन पोषण एक ऐसे परिवार में हुआ जो वैष्णव मत में विश्वास रखता था। गाँधी जी पर जैन धर्म का अधिक प्रभाव पड़ा जिसके कारण अहिंसा,सत्य जैसे व्यव्हार गाँधी जी में बचपन से ही था। गाँधी जी अपने माता पिता के सबसे छोटी संतान थे,वे दो भाई और एक बहन थी। उनके पिता जी मोढ़ बनिया जाती के हिन्दू थे। लोग महात्मा गाँधी को प्यार से बापू कहते थे। गुजरती उनकी मातृ भाषा थी। साधारण जीवन और उच्च विचार जीवन जीने वाले थे। उन्होंने अंग्रेजो की हुकूमत से सत्य और अहिंसा की राह पर चलते हुए अंतिम साँस तक लड़ाई की पूर्ण रूप से संघर्ष भीं किया। भारत छोडो आंदोलन,असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन में रह कर सभी तबके के लोगो को अपने साथ जोड़कर भारत देश को आज़ादी दिलाने में महात्मा गाँधी का विशेष योगदान रहा है,
इनका जन्म एक साधारण हिन्दू परिवार में हुआ था। इनके पिता जी दीवान थे। गाँधी जी वैसे तो हर धर्म को मानते थे किन्तु उन पर जैन धर्म का कुछ विशेष प्रभाव था। क्योकि जैनधर्म में अहिंसा को सर्वोपरि रखा गया है,इसी मान्यता के परिणामस्वरुप महात्मा गाँधी जी ने अपने सत्याग्रह में अहिंसा मुख्या एवं विशेष स्थान दिया गया है, महात्मा गाँधी जी सदैव अपने साथ भगवत गीता को रखते थे और उसी का अपने जीवन में अनुशरण भी करते थे। वे भगवान् को सत्य का रूप मानते थे और अहिंसा को सत्य रुपी भगवान को पाने का मार्ग मानते थे।
Gandhi Jayanti – गाँधी जी एक साधारण व्यक्तित्व के धनि थे औसत विद्यार्थी की तरह इनकी शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल में हुई थी। इन्होने अपने विद्यार्थी काल में अनेको प्रकार के पुरस्कार भी जीते, गाँधी जी पढ़ी में ज्यादा होसियार नहीं थे तो उन्होंने अपना जीवन घर के काम और अपने माता पिता की सेवा में लगाया। महात्मा गाँधी जी ने सच्चाई की रूप में राजा हरिश्चंद्र को अपना आदर्श माना। केवल तरह वर्ष की उम्र में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री से इनका विवाह सम्पन हुआ। साल 1887 में इन्होने मुंबई की यूनिवर्सिटी से मीट्रिक पास की और भावनगर के समलदास कॉलेज में दाखिला लिया। गाँधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वे वैषणव धर्म के अनुयायी थे जिसमे चिर फाड् की अनुमति नहीं थी इसी कारण इनका डॉक्टर बनने का सपना टूट गया। जबकि उनका परिवार उनको बैरिस्टर बनाना चाहता था। लेकिन वो मीट्रिक की परीक्षा को पास करने के बाद वकालात की पढाई करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। साल 1888 में गाँधी जी पहली बार इंग्लैण्ड गए। उन्होंने वहा पर कानून विद्यालय ‘इंटर टेम्पल’ में दाखिला लिया उन्होंने अपनी वकालात की पढाई वही से पूरी की साल 1890 में वे अपनी वकालात की पढाई को पूरी कर सकुशल भारत लौट आये, वे जब भारत लौटे तब भारत में अंग्रेजो की हुकूमत से यहाँ के निवासियों को हो रही परेशानी और अंग्रेजो के द्वारा हो रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलाने में उन्होंने अपना योगदान दिया।
Gandhi Jayanti – अफ्रीका में हो रही अश्वेतों और भारतीयों के साथ हो रहे नस्लीय भेदभाव और अपमान जनक नीतोयो का उन्होंने विरोध करने का फैसला किया। वहा भारतीयों और अश्वेतों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था उन्हें फुटपाथ पर चलने जैसे कई अधिकारों से भारतीयों और अश्वेतों को वंचित रखा जाता था साल 1906 में दक्षिण अफ्रीका की “टांसवाल सरकार” द्वारा भारतीय जनता के पंजीकरण करने का एक अध्यादेश पारित किया था जो की हम भारतीयों के लिए बहुत ही अपमान जनक अध्यादेश था। साल 1984 में “नटाल इंडियन कांग्रेस” के नाम से एक संघटन को स्त्थापित किया गया। भारतीयों ने महात्मा गाँधी के साथ मिल कर गाँधी जी के ही नेतृत्व में विरोध जनसभा का आयोजन किया और इस आयोजन के परिणाम के रूप में मिलने वाली सजा/दंड को भोगने की शपत भी ली,गाँधी जी द्वारा सत्याग्रह की शुरुआत भी यही से की गई थी,
Gandhi Jayanti – ऐसा माना जाता है की गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे सच्चाई के मार्ग पर चलने वाले थे। अहिंसा के मार्ग पर चलके स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए नेक कार्य और पध्दत्तियो को उन्होंने सत्याग्रह का नाम दिया। सत्याग्रह का अर्थ है की अन्याय,शोषण, भेदभाव,अत्याचार के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से अपने हक़ की लड़ाई को लड़ना था। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किये जाने वाले अन्याय भेदभाव से नहीं लड़ना था। सत्याग्रह के चक्कर में गाँधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा। गाँधी जी ने अपने सत्याग्रह में असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन,भारत छोडो आंदोलन और दांडी आंदोलन का नित्य समय समय पर इनका भी उपयोग किया।
Gandhi Jayanti – चम्पारण और खेड़ा खेड़ा सत्याग्रह 1917 – 1918 वर्ष 1917 में अंग्रेजी सरकार द्वारा चम्पारण में नील की खेती करने पर मजबूर किया जाने लगा और नील की खेती का मूल्य भी अंग्रेजी सरकार ही तय करने लगी जिससे किसानो को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता था। नील की खेती के विरोध में गाँधी जी द्वारा सरकार का विरोध किया जाने लगा। इस विरोध को अहिंसात्मक रूप से पूर्ण किया गया। किसानो के इस सत्याग्रह से अंग्रजी सरकार को विवश होना पड़ा और अंग्रेजी सरकार को गाँधी जी की बात को मानना पड़ा।
Gandhi Jayanti – अंग्रेजी सरकार के द्वारा रोजाना कोई न कोई नया कानून बनाया जाने लगा उस सरकार की अस्पष्ट नीतियों और बेलगाम टेक्स,महामारी और आर्थिक संकट से सभी जूझ रहेथे तब इन कठिन परिस्तिथि में वर्ष 1919 में रोलेट एक्ट जिसे अंग्रेजी सरकार के द्वारा पास किया गया था जिसे काला कानून भी कहा गया था 1919 में बने इस एक्ट का सम्पूर्ण भारत वर्ष में जगह जगह इसका विविरोध हुआ हड़ताल भी हुई। इस एक्ट के विरोध में जलियावाला बाग़ में एक जानसभा का आयोजन किया गया था। जिसमे जनरल डायर ने सभा को रोकने के लिए अंधाधुन गोलिया चलाई। सभा में उपस्तिथ सभी बड़े बूढ़े बच्चे सभी मौजूद थे जिन्हे जनरल डायर की गोलियों का शिकार होना पड़ा।
सितम्बर 1920 को गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कोलकाता के कांग्रेस अधिवेसन में रखा गया। इस प्रस्ताव को पारित हो जाने के बाद से ही देश में असहयोग आंदोलन की शुरआत हुई।
Gandhi Jayanti – अंग्रेजी हुकूमत को भारत से निकाल फैकने के लिए 08 अगस्त 1942 को महत्मा गाँधी जी द्वारा इस भारत छोडो आंदोलन की शुरुआत की गई। भारत के इतिहास में 1942 भारत की आज़ादी के लिए किये गए आंदोलनों मी एक महत्व पूर्ण आंदोलन है अंग्रेजी सरकार को जड़ से उखड कर फैकने के लिए गाँधी जी द्वारा चलाया गया आंदोलन था। गाँधी जी द्वारा चलाये गए इस आंदोलन में जनता ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
Gandhi Jayanti – जनता के सहयोग से और सभी सत्याग्रहों के अमूल्य सहयोग से वर्ष 1947 में 15 अगस्त के दिन हमारे भारत को आज़ादी दिलाई। महात्मा गाँधी जी को उन्ही के शिष्य नाथू राम गोडसे द्वारा गोली मार कर उनकी हत्त्या कर दी थी। उसी दिन यानि 30 जनवरी का दिन आज भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसी के साथ एक महान व्यक्तित्व का अंत होगया,लेकिन उनके विचार और उनकी आदर्शवादी भावनाये आज भी हमारे अंदर जिन्दा पूर्ण रूप से जिन्दा है,उनकी याद में आज भी 30 जनवरी के दिन प्रत्येक वर्ष में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है,