Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the astrocare domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114
निर्जला एकादशी 2023 , व्रत कथा, विधि, व्रत के लाभ, शुभ मुहूर्त एवं व्रत खोलने की विधि Nirjala Ekadashi 2023
Loading...
Mon - Sun - 24 Hourse Available
info@astroupdate.com
निर्जला एकादशी 2023 , व्रत कथा, विधि, व्रत के लाभ, शुभ मुहूर्त एवं व्रत खोलने की विधि Nirjala Ekadashi 2023
December 27, 2022

निर्जला एकादशी 2023 , व्रत कथा, विधि, व्रत के लाभ, शुभ मुहूर्त एवं व्रत खोलने की विधि Nirjala Ekadashi 2023

निर्जला एकादशी 2023 में  कब है जानिए सम्पूर्ण जानकारी एवं मुहूर्त

निर्जला एकादशी 2023 – निर्जला एकादशी नाम तो आपने सुना ही होगा। वर्ष 2023 में निर्जला एकादशी बुधवार ,31 मई को मनाई जाएगी ,पर आप शायद यह नहीं जानते कि निर्जला एकादशी साल में आने वाली सभी 24 एकादशीयों से बढ़कर और प्रभावी है। क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार साल में तकरीबन 24 एकादशी पड़ती है। जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी “निर्जला एकादशी” के नाम से पूजी जाती है। जितने भी एकादशी व्रत है यह भगवान विष्णु  के श्री चरणों में समर्पित होते हैं। जो जब तक निर्जला एकादशी का कठोर व्रत धारण करता है। 

निर्जला एकादशी 2023 – उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा निश्चित तौर पर मिलती है।  आज हम इसी निर्जला एकादशी की विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस एकादशी का व्रत रखने वाले जातक सभी 24 एकादशी का फल प्राप्त कर जाते हैं। क्योंकि यह व्रत इतना कठोर और विधि विधान के साथ रखना होता है, की इसका अभीष्ट फल निरर्थक ना हो।

निर्जला एकादशी 2023 –अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिर निर्जला एकादशी व्रत इतना कठोर और क्यों है? क्या इसके पीछे की कथा है ? इस व्रत को किस विधि विधान के साथ रखना चाहिए। इसका क्या लाभ हो सकता है? जातक के लिए यह शुभ क्यों माना जाता है ?इन सभी सवालों के जवाब आपको विस्तार पूर्वक इस लेख में मिलने वाले हैं। हमारा मानना है कि आप इन सवालों का जवाब जाने बगैर इस लेख को छोड़ने वाले नहीं हैं। आइए दोस्तों जान ही लेते हैं निर्जला एकादशी व्रत की विशेषताएं तथा इसके प्रभाव।

 

 निर्जला एकादशी व्रत के लाभ

निर्जला एकादशी 2023 –  जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष अर्थात यह एकादशी हर महा जून महीने में आती है इस बार यह एकादशी व्रत 1 मई बुधवार को रखा जाएगा। तथा 2  मई 2023 को निर्जला एकादशी की पूजा की जाएगी। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने वाले जातक को पापों से निवृत्ति मिलती है। साथ ही उनके जीवन में आए सभी कष्ट भगवान विष्णु की कृपा से तुरंत हवा हो जाते हैं। आपको यह भी बता दें कि निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत को रखने वाले जातक को गंगा दशहरा के दिन से ही तामसी भोजन अर्थात तीखा और खट्टे भोजन बंद कर देनी चाहिए।

  • निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले जातकों को पापों से मुक्ति मिलती है।
  •  जातक के सभी उचित मनोरथ सफल होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
  •  घर में सुख शांति का वास होता है।
  •  संतान और स्त्री सुख की प्राप्ति होती है।
  •  हिंदू पंचांग के अनुसार यह भी बताया जाता है कि इस व्रत को धारण करने वाले जातक को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति भी हो सकती है।
  •  निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले जातक भगवान विष्णु के प्रिय होते हैं।

 

निर्जला एकादशी व्रत रखने की विधि तथा शुभ मुहूर्त

इस साल 2023 में निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को यानि बुधवार को मनाई जाएगी। 

इस शुभ तिथि की शुरआत 30 मई 1 : 10 बजे होगी और समाप्ति 31 मई 2023 को 1 : 40 बजे होगी। 

निर्जला एकादशी 2023 – जो जातक एकादशी व्रत धारण करने वाले हैं उन्हें गंगा दशहरा से तामसी भोजन का त्याग करने के साथ ही जमीन पर सोने की आदत डाल लेनी चाहिए। व्रत के नियमों को पूर्णतया पालन करना चाहिए। सवेरे उठकर शारीरिक स्वच्छ होकर अर्थात स्नान ध्यान आदि करने के बाद सवेरे भगवान विष्णु का ध्यान करें। तथा उनकी प्रतिमा के सामने दीपक प्रज्वलित करें।

  •  पीले वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी तथा पुष्प दल अर्पित करें।
  •  भगवान विष्णु का मन से ध्यान करें।
  •   निर्जला एकादशी व्रत की कथा सुने।
  •  दिन भर बिना जल के कठोर व्रत का पालन करें।

निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले जातक दिन भर में एक बूंद भी पानी की नहीं पीते। तथा दिन भर श्रीहरि का ध्यान करते हैं। ऐसे जाताक भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

निर्जला एकादशी 2023 मुहूर्त 

इस साल 2023 में निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को यानि बुधवार को मनाई जाएगी। 

इस शुभ तिथि की शुरआत 30 मई 1 : 10 बजे होगी और समाप्ति 31 मई 2023 को 1 : 40 बजे होगी। 

 

निर्जला एकादशी व्रत कथा – 

 

निर्जला एकादशी 2023 – पुरानी कथाओं के अनुसार जब भीम ने भगवान वेदव्यास जी अर्थात ऋषि वेदव्यास जी से कहते हैं, हे भगवन भ्राता युधिष्टर, माता कुंती, अर्जुन  तथा नकुल सहदेव एकादशी का व्रत रखने को कह रहे हैं। भगवान मैं भगवान विष्णु की पूजा के लिए समस्त कार्य कर सकता हूं। परंतु बिना खाए पिए मेरे से रहा नहीं जाएगा। 

निर्जला एकादशी 2023 – भीम की बातों को सुनकर वेदव्यास जी कहने लगे कि, हे भीम, अगर तुम स्वर्ग  को अच्छा और नरक को बुरा समझते हो तो तुम्हें वर्ष में दो एकादशी को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।

निर्जला एकादशी 2023 – इतने में भीमसेन कहते हैं, आप ठीक कह रहे हैं, परंतु मैं खाए बगैर कैसे रह सकता हूं। मेरे पेट में वक्र नामक तीव्र अग्नि रहती है। इसलिए मैं भोजन किए बगैर कैसे रह सकता हूं ,और यह अग्नि भोजन करने के बाद ही शांत रहती है। अब आप ही बताइए मैं बगैर भोजन कैसे रहूँ।

इसलिए भगवान आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जो, व्रत में सिर्फ वर्ष में एक बार ही रखना हो और मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो।

निर्जला एकादशी 2023 – भगवान वेदव्यास जी कहते हैं, हे भीम, बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने बड़े-बड़े शास्त्र बनाए हैं और उन शास्त्रों में एसी विधियां बताई गई है तथा व्रत बताए गए हैं।  जिनसे जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में दो एकादशी व्रत को अति महत्वपूर्ण बताया है।

निर्जला एकादशी 2023 – भीम ने तुरंत कहा कि हे भगवान, मुझे इस व्रत की विशेषता तथा विधि बताइए। ताकि मैं इस व्रत को रख सकूं। तब भगवान वेदव्यास जी कहते हैं, मिथुन तथा वृषभ संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसका नाम “निर्जला” है। भीम तुम उस एकादशी का व्रत को करो। इस एकादशी को आन्च्मन में छह मासे से जल अधिक नहीं होना चाहिए और भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। भोजन ग्रहण करने से यह व्रत नष्ट हो जाता है। तथा इसके  मिलने वाले लाभ से वंचित रह सकते हैं। इस दिन अगर तुम एकादशी के सूर्य उदय होने से द्वादशी के सूर्य उदय होने तक जल ग्रहण नहीं करोगे। तो यह व्रत साल की सभी 24 एकादशीओ का प्रतिफल दे जाएगा।

निर्जला एकादशी 2023 – द्वादशी के दिन उठकर सर्वप्रथम शारीरिक स्वच्छ होकर ब्राह्मणों को दान करें। भूखे ब्राह्मणों को भोजन करवाकर फिर आप भोजन करें। ऐसा करने से सभी एकादशी के व्रत के फलों की प्राप्ति होती है। वेदव्यास जी कहते हैं, कि इस एकादशी व्रत की विशेषता स्वयं भगवान विष्णु ने मुझे बताई है। इस एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को मृत्यु देने वाले यमराज भी घेरते नहीं और भगवान के  पार्षद आकर दिव्य रथ से ले जाते हैं।

निर्जला एकादशी क्यों सर्वश्रेष्ठ है 

निर्जला एकादशी 2023 – अत: संसार में सबसे श्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत है। इसलिए यत्न के साथ इस व्रत को करना चाहिए। उस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और गौदान करना चाहिए।

निर्जला एकादशी 2023 – इस प्रकार वेदव्यास जी के कहने पर भीम और पांडवों ने एकादशी व्रत रखा। इस एकादशी व्रत को पांडव एकादशी भी कहते हैं। निर्जला व्रत करने से पूर्व भगवान से प्रार्थना करें कि हे भगवन! आज मैं निर्जला व्रत करता हूँ, दूसरे दिन भोजन करूँगा। मैं इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करूँगा, अत: आपकी कृपा से मेरे सब पाप नष्ट हो जाएँ। इस दिन जल से भरा हुआ एक घड़ा वस्त्र से ढँक कर स्वर्ण सहित दान करना चाहिए।

निर्जला एकादशी 2023 – वेदव्यास जी कहते हैं इस व्रत को रखने वाले जातक को कभी भी व्रत रखते समय अन्न नहीं खाना चाहिए। वह चांडाल के समान होते हैं, और नरक के द्वार जाते हैं। अगर कोई भी पापी अथवा ब्रहम हत्यारा भी हो और वह इस व्रत को कठोरता के साथ पालन करता है तो वह स्वर्ग जाता है।

 इसलिए है कुंती पुत्र तुम्हें श्रद्धा पूर्वक हर वर्ष इस वर्ष का कठोर पालन करना चाहिए। भगवान विष्णु की कृपा तुम पर ऐसे ही बनी रहेगी।

निर्जला एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है

निर्जला एकादशी 2023 – भगवान वेदव्यास जी पांडवों को कहते हैं, कि निर्जला एकादशी व्रत रखने वाले जातक को अभीष्ट फल की प्राप्ति तो होती ही है। साथ ही भगवान विष्णु के धाम को वह वास करते हैं। क्योंकि इस एकादशी का व्रत रखने वाले भगवान को अति प्रिय होते हैं। साथ ही इस दिन जो भी जातक व्रत का नियम पालन करता है। उसे द्वादशी के दिन स्वच्छ होकर गोदान वस्त्र दान भूखे ब्राह्मणों को भोजन कराने से अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी व्रत खोलने की विधि

निर्जला एकादशी 2023 – भगवान वेदव्यास जी जब पांडवों को यह कथा सुनाई थी तब ही यह भी बताया था कि जो जातक एकादशी के सूर्य उदय होने से लेकर द्वादशी के सूर्य उदय होने तक पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करते वही जातक व्रत के सही पालक हैं।  तथा दिनभर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मन से जब किया करते हैं। द्वादशी के दिन सुबह उठकर शारीरिक स्वच्छ होकर भूखे ब्राह्मणों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के उपरांत ही खुद सात्विक भोजन ग्रहण करें। तब ही इस व्रत की सही मायने में फलों की प्राप्ति निश्चित तौर पर होती है। भगवान विष्णु भी कहते हैं कि जो जातक पूरे विधि-विधान और शुभ मुहूर्त में इस एकादशी व्रत को धारण करते हैं। वह जातक मुझे अति प्रिय होते हैं और साक्षात महाकाल भी उन जातको पर अपनी कृपा दृष्टि बनाते हैं।

निर्जला एकादशी 2023 – ऐसे ही अपार अभीष्ट फलों की प्राप्ति इस व्रत से जातक को प्राप्त होती है। साथ ही जातक के जीवन में जो भी शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक कष्ट होते हैं वह हवा हो जाते हैं। जिन जातकों को परिवार में सुख शांति प्राप्त नहीं है ऐसे जातकों को यह व्रत अतिशय फल देता है। इसलिए भगवान वेदव्यास जी भी कहते हैं. कि इस दिन व्रत रखने वाले जातक सभी सुखों की प्राप्ति की ओर जाते हैं। चाहे वह शारीरिक सुख हो, पारिवारिक सुख ,होआर्थिक सुख हो, या फिर स्वर्ग जाने का सुख हो।

निर्जला एकादशी 2023 – हाँ दोस्तों, आपने एकादशी व्रत की कथा मेहता और लाभ के बारे में विस्तार पूर्वक जान ही लिया होगा। अगर आप भी एकादशी व्रत रखने की सोच रहे हैं। तो आपको पूरे विधि विधान के साथ यह व्रत रखना चाहिए। ताकि आप अभीष्ट फलों की प्राप्ति की ओर अग्रसर हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *