Loading...
Mon - Sun - 24 Hourse Available
info@astroupdate.com
योगिनी एकादशी व्रत 2023 कब है, विधि , व्रत कथा | Yogini Ekadashi 2023
September 27, 2021

योगिनी एकादशी व्रत 2023 कब है, विधि , व्रत कथा | Yogini Ekadashi 2023

जानिए जानते है योगिनी एकादशी 2023 कब है और इसका क्या महत्व है

 

दोस्तों, आप जानते हैं हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व है।  वर्ष 2023 में योगिनी एकादशी 14 जून बुधवार 2023  के दिन मनाई जाएगी।  हिंदू पंचांग के हिसाब से हर माह में एकादशी पड़ती है तथा आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं में यह प्रचलन है की एकादशी व्रत सभी पापों को नष्ट कर देता है। इसलिए दोस्तों आपके मन में यह उत्सुकता तो जरूर होगी कि इस व्रत को कब, कैसे रखा जाता है। आइए जानते हैं इस आर्टिकल में योगिनी एकादशी व्रत कब फलित होता है। और इसे रखने की विधि क्या है। संपूर्ण विवरण आप इस लेख में पढ़ने वाले हैं इसलिए सभी पाठकों से निवेदन है कि वह दी गई जानकारी को भलीभांति पढ़े।

[wptb id=2056]

 

योगिनी एकादशी व्रत 2023 में कब रखा जाएगा

एकादशी व्रत रखने वाले सभी जातकों को इस से बहुत बड़ा फायदा होता है। मुख्य तौर पर इस व्रत को रखने वाले जातक अपने पाप कर्मों का भार नहीं सहते और सभी पाप कर्मों से मुक्त होते हैं। ऐसी हिंदू प्रथा में मान्यता है। ये एकादशी व्रत हर आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष में आती है। इस वर्ष यह 14 जून बुधवार 2023 को मनाई जाएगी। इस तिथि पर जो जातक एकादशी का व्रत विधि पूर्वक करते हैं उन्हें श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति सुनिश्चित होती है।

 

योगिनी एकादशी सम्पूर्ण व्रत कथा

भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर के कहने पर योगिनी एकादशी व्रत की कथा सुनाई। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इस योगिनी एकादशी व्रत रखने पर जातक के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान कहते हैं स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वो राजा शिव भक्त था और वो रोज भगवान  शिव की पूजा किया करता था। शिव पूजन में हेम नामक एक माली  रोज उस पुष्प लाकर दिया करता था। 1 दिन माली पुष्प लेकर बहुत देर तक नहीं पहुंचा। तो राजा ने नहीं आने का कारण जानने के लिए सेवकों को भेजा। सेवकों ने राजा से कहा, कि हेम अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण में व्यस्त है। यह सुनकर राजा कुबेर बहुत क्रोधित हुए और तुरंत उपस्थित होने का आदेश दिया।

हेम राजा के आदेश को सुनकर तुरंत उपस्थित हुआ और राजा ने क्रोधित होकर कहा कि दुष्ट तूने मेरी पूजा में इतनी देरी कि मेरे आराध्य भगवान शिव का तूने अनादर किया है। मैं तुझे श्राप देता हूं कि तुम अपनी स्त्री वियोग में मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।  श्राप सुनते ही हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह तुरंत पृथ्वी पर आ गिरा। इसी बीच मालिक की पत्नी भी अंतर्ध्यान हो गई और पृथ्वी पर गिरते समय श्वेत कोढ़ रोग से  ग्रसित हुआ। हेम जंगल जंगल भटक कर भूखा प्यासा रहने लगा।

हेम माली भगवान शिव की पूजा में पुष्प लाकर दिया करता था। तो उसके विवेक ने उसे मार्कंडेय ऋषि के आश्रम पहुंचा दिया। मार्कंडेय ऋषि उस समय काफी वर्ध थे। उन्होंने कहा तुमने ऐसा कौन सा पाप किया था जिससे तुम्हारी ऐसी स्थिति हो गई। तभी हेम माली ने सारा वृत्तांत सुनाया। ऋषि मार्कंडेय ने माली की व्यथा सुनकर कहां कि निश्चित ही तुमने सत्य वचन कहे हैं। मैं तुम्हें इस श्राप से मुक्त होने के लिए एक व्रत बताता हूं। यदि तुम आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएँगे।

अपने श्राप से मुक्त होने की विधि जानकर माली बहुत प्रसन्न हुआ और ऋषि को अष्टांग प्रणाम किया। ऋषि ने विधिवत पूजा विधि बताएं तत्पश्चात हेम माली अपने श्राप से मुक्त हो पाया।

जाएँ योगिनी एकादशी व्रत और सम्पूर्ण पूजा विधि

योगिनी एकादशी के दिन जातक प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें और हाथ में स्वच्छ जल लेकर योगिनी एकादशी तथा भगवान विष्णु का संकल्प ध्यान करें। इसके पश्चात एक आसन पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा प्रतिष्ठित करें। तथा स्वच्छ जल से अभिषेक करें। साथ ही पुष्प, फल, चंदन, तुलसी दल, अक्षत्, पीले वस्त्र, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करें।इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें और योगिनी एकादशी व्रत कथा जरूर  श्रवण करें।

 

योगिनी एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है तथा इसका महत्व-

 

जब भगवान विष्णु ने धर्मराज युधिष्ठिर के कहने पर योगिनी एकादशी व्रत की कथा सुनाई थी। उस कथा के अनुसार हेम नामक माली अपने किए गए दुष्ट कर्मों का फल बड़ी कठिनता के साथ भोग रहा था। परंतु उसके कुछ शुभ कर्म में राजा कुबेर को शिव पूजा में पुष्प लाकर देना एक पुण्य का काम था। इसी पुण्य की प्रताप से हेम माली को ऋषि मार्कंडेय के दर्शन हुए और मार्कंडेय ऋषि ने उसे इस श्राप से मुक्त होने का मार्ग सुझाया था। तब जाकर हेम माली अपने श्राप से मुक्त हो पाया था और अपनी स्त्री के साथ फिर से ग्रस्त जीवन में लौट आया था।   जो जातक इस कथा को सुनकर इस व्रत को रखते हैं उन्हें अभीष्ट फलों की प्राप्ति के साथ-साथ पिछले जन्म में तथा इस जन्म में किए गए कुछ अनिष्ट कार्यों से हुए दुखों से छुटकारा मिलता है। इसी कारण दुखी और रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए  एकादशी व्रत को विधिपूर्वक करना श्रेष्ठ रहता हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *